नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रोडवेज की हरिद्वार रोड स्थित 5 एकड़ भूमि के मामले में सरकार को भूमि के कमर्शियल उपयोग (Commercial use of roadways land) के मामले में ठोस प्रस्ताव पेश करने के निर्देश दिये हैं. वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिये हैं. कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर परिवहन निगम से भूमि के उपयोग को लेकर ठोस प्रस्ताव मांगा था. अब मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी.
कर्मचारी यूनियन के महासचिव ने प्रति शपथ पत्र में क्या कहा: कर्मचारी यूनियन की ओर से प्रति शपथ पत्र में कहा गया कि सरकार स्मार्ट सिटी परियोजना लिमिटेड (Dehradun Smart City Project Limited) नामक कंपनी को भूमि को बेचने की साजिश रच रही है. यह भी कहा गया है कि कंपनी ने मौके पर काम शुरू कर दिया है. कुछ भवनों को तोड़ा जा चुका है. कुछ तस्वीर भी अदालत में पेश की गयीं. 200 करोड़ से अधिक मूल्य की संपत्ति को 114 करोड़ में बेचा जा रहा है, जबकि निगम के सामने किसी प्रकार का वित्तीय संकट भी नहीं है.
अशोक चौधरी ने कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया: यूनियन के महासचिव अशोक चौधरी की ओर से दिये गये प्रति शपथ पत्र में कहा गया कि यह कोर्ट की अवमानना है. मांग की गई कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. यूनियन की ओर से मौके पर जांच के लिये कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने और जमीन के वास्तविक मूल्यांकन के लिये स्वतंत्र मूल्यांकन टीम बनाने की भी मांग की गयी है.
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परिवहन निगम का विवादों से है नाता: उत्तराखंड रोडवेज का विवादों से पुराना नाता है. टनकपुर में रोडवेज मृतक आश्रित संगठन 19 दिन से धरना प्रदर्शन कर रहा है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो लंबे समय से मृतक आश्रितों को नौकरी पर रखने की मांग कर रहे हैं. मगर परिवहन निगम और सरकार उनकी मांग नहीं मान रहे. संगठन के अध्यक्ष गौरव शर्मा ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने की मांग की जा रही है. अगर शीघ्र मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन तेज होगा.