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छात्रवृत्ति घोटाला: हाई कोर्ट ने सरकार और SIT को जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के दिए आदेश

सोमवार को इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी.

छात्रवृत्ति घोटाला
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Published : Oct 14, 2019, 9:24 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने छात्रवृत्ति घोटाला मामले में सरकार और एसआईटी के आईजी संजय गुंज्याल को शपथ पत्र के साथ जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. इसके अलावा कोर्ट ने जौनसार बावर क्षेत्र में आईएएस और आईपीएस समेत अन्य अधिकारियों के बच्चों को दी जा रही छात्रवृत्ति के मामले पर भी राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी.

देहरादून निवासी सुभाष नौटियाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चों को भी छात्रवृत्ति दी जा रही है जो गलत है.

बता दें कि देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया है. जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है.

पढ़ें- नैनीताल: टोल टैक्स और पार्किंग ठेके में वित्तीय अनियमितताएं आई सामने, डीएम ने कैंसिल किए टेंडर

2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा एसआईटी गठित की गई थी और 3 माह में जांच पूरी करने को कहा था, लेकिन इस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी. साथ ही याचिकाकर्ता का कहना था कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए.

सोमवार को इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की खंडपीठ ने एसआईटी के आईजी संजय गुंज्याल और राज्य सरकार को शपथ पत्र पेश कर घोटाले की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने छात्रवृत्ति घोटाला मामले में सरकार और एसआईटी के आईजी संजय गुंज्याल को शपथ पत्र के साथ जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. इसके अलावा कोर्ट ने जौनसार बावर क्षेत्र में आईएएस और आईपीएस समेत अन्य अधिकारियों के बच्चों को दी जा रही छात्रवृत्ति के मामले पर भी राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी.

देहरादून निवासी सुभाष नौटियाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चों को भी छात्रवृत्ति दी जा रही है जो गलत है.

बता दें कि देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया है. जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है.

पढ़ें- नैनीताल: टोल टैक्स और पार्किंग ठेके में वित्तीय अनियमितताएं आई सामने, डीएम ने कैंसिल किए टेंडर

2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा एसआईटी गठित की गई थी और 3 माह में जांच पूरी करने को कहा था, लेकिन इस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी. साथ ही याचिकाकर्ता का कहना था कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए.

सोमवार को इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की खंडपीठ ने एसआईटी के आईजी संजय गुंज्याल और राज्य सरकार को शपथ पत्र पेश कर घोटाले की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

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प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में हाई कोर्ट ने एसआईटी को घोटाले की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश।

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प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और घोटाले की जांच कर रही एसआईटी के आईजी संजय गुंज्याल को शपथ पत्र पेश कर घोटाले की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं, वहीं छात्रवृत्ति घोटाले के मामले की अगली सुनवाई अब 23 अक्टूबर को होगी।
राज्य सरकार द्वारा जौनसार बावर क्षेत्र में आई ए एस और आई पी एस अधिकारियों व अन्य अधिकारियों के बच्चों को दी जा रही छात्रवृत्ति के मामले पर भी राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं, देहरादून निवासी सुभाष नौटियाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चों को भी छात्रवृत्ति दी जा रही है जो गलत है, मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी।


Body:आपको बता दें कि देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया है जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है।


Conclusion:जबकि 2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी गठित की गई थी और 3 माह में जांच पूरी करने को कहा था परंतु इस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी, साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए,,,
आज घोटाले के मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की खंडपीठ ने एसआईटी के आईजी संजय गुंज्याल और राज्य सरकार को शपथ पत्र पेश कर घोटाले की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- एम सी पंत,अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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