नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल व उधम सिंह नगर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के खिलाफ चल रहे स्टोन क्रशरों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद जिलाधिकारी नैनीताल को निर्देश दिए हैं कि एक माह के भीतर याचिकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों का निस्तारण करें. इस मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई.
बता दें कि ग्राम गजरौला बाजपुर उधम सिंह नगर निवासी हरकेश सिंह ने हाई कोर्ट मं जनहित याचिका दायर कर कहा है कि बैलपड़ाव तहसील कालाढूंगी क्षेत्र में खेतों को समतल करने के लिए दो फिट खोदने की परमिशन सरकार द्वारा दी गयी थी. जिसकी आड़ में ग्रामीणों और स्टोन क्रशरों की मिलीभगत से 80 एकड़ में फैले खेतों को 40-40 फिट गहरा खोद कर अवैध खनन किया जा रहा है. जिसे बाजपुर व अन्य स्टोन क्रशरों को बेचा जा रहा है. ऐसे में खुदान से आसपास स्कूल सहित कृषि भूमि को नुकसान पहुच रहा है.
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ऐसे में याचिकाकर्ता ने ओमकार स्टोन क्रशर, दाबका स्टोन क्रशर व एलएसएससी स्टोन क्रशर पर रोक लगाने और अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. अवैध खनन से सरकार को करोड़ों रूपये के राजस्व का नुकसान भी हुआ है. याचिककार्ता का यह भी कहना है कि उन्होंने इस सम्बंध में जिला अधिकारी नैनीताल, तहसीलदार कालाढूंगी, जिला अधिकारी उधमसिंह नगर, राज्य सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रत्यावेदन भी दिया परन्तु उनके प्रत्यावेदन पर प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस अवैध खनन को रोकने के लिए माननीय उच्च न्यायलय में जनहित याचिका दायर करनी पड़ी.