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बीएड डिग्री धारकों को HC ने दी बड़ी राहत, 50 फीसदी से कम अंक पाने वाले भी योग्य

हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने 50 फीसदी से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को उत्तराखंड में शिक्षकों के पद के लिए योग्य करार दिया है.

Nainital High Court
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Published : Dec 2, 2020, 10:17 PM IST

नैनीताल: 50 फीसदी से कम अंक पाने वाले छात्रों को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने 50 फीसदी से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को उत्तराखंड में शिक्षकों के पद के लिए योग्य करार दिया है और साल 2011 से पहले डीएड करने वाले अभ्यर्थियों को शिक्षक के पदों में आवेदन करने की छूट दी है.

बता दें, प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा बीते दिनों सहायक अध्यापक प्रारंभिक शिक्षा के करीब 2 हजार पदों पर आवेदन के योग्य करार दिया है. मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आदेश जारी कर शिक्षा विभाग को निर्देश दिए है कि समाचारों/अखबारों में विज्ञापन के माध्यम से कोर्ट के आदेश को प्रसारित करे ताकि बीएड अभियर्थियों को राहत मिल सके.

राज्य सरकार ने 20 नवंबर 2020 को जिलों में सहायक अध्यापक के करीब 2 हजार पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की है. आवेदन के लिए अभ्यर्थी का स्नातक में 50 फीसदी अंकों के साथ बीएड डिग्रीधारी होना अनिवार्य किया गया है. एनसीटीई की गाइडलाइंस का हवाला दिया गया है, जिसे बागेश्वर निवासी पूनम पंत समेत अन्य 50 लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बीएड में 50 फीसदी अंकों की बाध्यता के नियम को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया कि एनसीटीई द्वारा यह नियम 2019 में लागू किया गया, जबकि सरकार ने साल 2011 से पहले के पहले स्नातक में 50 फीसदी से कम अंकों से उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारी को भी आवेदन से आयोग्य करार दिया जो नियम विरुद्ध है.

पढ़ें- स्ट्रीट वेंडरों के लिए संजीवनी साबित हो रही 'स्वनिधि योजना', अबतक 11 हजार से ज्यादा लाभान्वित

मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ व नयायाधीश रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ ने साल 2011 से पहले के स्नातक में 50 फीसद से कम अंको वाले अभ्यर्थियों को को भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: 50 फीसदी से कम अंक पाने वाले छात्रों को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने 50 फीसदी से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को उत्तराखंड में शिक्षकों के पद के लिए योग्य करार दिया है और साल 2011 से पहले डीएड करने वाले अभ्यर्थियों को शिक्षक के पदों में आवेदन करने की छूट दी है.

बता दें, प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा बीते दिनों सहायक अध्यापक प्रारंभिक शिक्षा के करीब 2 हजार पदों पर आवेदन के योग्य करार दिया है. मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आदेश जारी कर शिक्षा विभाग को निर्देश दिए है कि समाचारों/अखबारों में विज्ञापन के माध्यम से कोर्ट के आदेश को प्रसारित करे ताकि बीएड अभियर्थियों को राहत मिल सके.

राज्य सरकार ने 20 नवंबर 2020 को जिलों में सहायक अध्यापक के करीब 2 हजार पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की है. आवेदन के लिए अभ्यर्थी का स्नातक में 50 फीसदी अंकों के साथ बीएड डिग्रीधारी होना अनिवार्य किया गया है. एनसीटीई की गाइडलाइंस का हवाला दिया गया है, जिसे बागेश्वर निवासी पूनम पंत समेत अन्य 50 लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बीएड में 50 फीसदी अंकों की बाध्यता के नियम को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया कि एनसीटीई द्वारा यह नियम 2019 में लागू किया गया, जबकि सरकार ने साल 2011 से पहले के पहले स्नातक में 50 फीसदी से कम अंकों से उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारी को भी आवेदन से आयोग्य करार दिया जो नियम विरुद्ध है.

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मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ व नयायाधीश रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ ने साल 2011 से पहले के स्नातक में 50 फीसद से कम अंको वाले अभ्यर्थियों को को भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के आदेश दिए हैं.

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