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पंचायत चुनाव पर सरकार को लगा बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने चार महीने का वक्त देने से किया इनकार

नैनीताल हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को बुधवार तक जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

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Published : Jul 26, 2019, 11:30 PM IST

नैनीताल हाई कोर्ट

नैनीताल: प्रदेश में पंचायत चुनावों में हो रही देरी पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को जमकर फटकार लगाई है. नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को बुधवार तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

शुक्रवार को पंचायत चुनावों की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनाव करवाने के लिए कोर्ट से 4 महीने का समय मांगा गया. जिसके लिए कोर्ट ने अनुमति देने से इंकार कर दिया. साथ ही सरकार से बुधवार को प्रदेश में पंचायत चुनाव में हो रही देरी को लेकर जवाब पेश करने का आदेश दिया है. वहीं मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार द्वारा प्रदेश की पंचायतों में नियुक्त किये गये प्रशासकों के वित्तीय अधिकार और पॉलिसी बनाने के अधिकारों को भी सीज कर दिया है.

जितेंद्र चौधरी, अधिवक्ता याचिकाकर्ता

पढे़ं- उत्तराखंड के लोकगीतों को नई पहचान दे रहे युवा, कार्यक्रम में पहाड़ी गानों और डांस से बांधा समां

बता दें कि उधम सिंह नगर जिले के गूलरभोज गांव के पूर्व प्रधान नईम ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि सरकार प्रदेश में पंचायत चुनाव समय पर नहीं करा रही है. साथ ही पंचायतों में प्रशासक नियुक्त कर रही है. जो राज्य सरकार द्वारा 2010 में कोर्ट में पेश किए गए शपथ पत्र के विपरीत है. याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में सरकार पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव समय पर कराने में असफल रही है. लिहाजा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए.

वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि साल 2010 में राज्य सरकार की तरफ से मुख्य सचिव द्वारा शपथ पत्र पेश किया गया था. जिसमें कहा गया था कि प्रदेश में पंचायत चुनाव समय पर कराए जाएंगे और पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति नहीं की जाएगी. लेकिन मुख्य सचिव द्वारा इस शपथ पत्र की अवहेलना की जा रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने चुनाव में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को बुधवार को जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

नैनीताल: प्रदेश में पंचायत चुनावों में हो रही देरी पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को जमकर फटकार लगाई है. नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को बुधवार तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

शुक्रवार को पंचायत चुनावों की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनाव करवाने के लिए कोर्ट से 4 महीने का समय मांगा गया. जिसके लिए कोर्ट ने अनुमति देने से इंकार कर दिया. साथ ही सरकार से बुधवार को प्रदेश में पंचायत चुनाव में हो रही देरी को लेकर जवाब पेश करने का आदेश दिया है. वहीं मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार द्वारा प्रदेश की पंचायतों में नियुक्त किये गये प्रशासकों के वित्तीय अधिकार और पॉलिसी बनाने के अधिकारों को भी सीज कर दिया है.

जितेंद्र चौधरी, अधिवक्ता याचिकाकर्ता

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बता दें कि उधम सिंह नगर जिले के गूलरभोज गांव के पूर्व प्रधान नईम ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि सरकार प्रदेश में पंचायत चुनाव समय पर नहीं करा रही है. साथ ही पंचायतों में प्रशासक नियुक्त कर रही है. जो राज्य सरकार द्वारा 2010 में कोर्ट में पेश किए गए शपथ पत्र के विपरीत है. याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में सरकार पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव समय पर कराने में असफल रही है. लिहाजा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए.

वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि साल 2010 में राज्य सरकार की तरफ से मुख्य सचिव द्वारा शपथ पत्र पेश किया गया था. जिसमें कहा गया था कि प्रदेश में पंचायत चुनाव समय पर कराए जाएंगे और पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति नहीं की जाएगी. लेकिन मुख्य सचिव द्वारा इस शपथ पत्र की अवहेलना की जा रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने चुनाव में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को बुधवार को जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

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प्रदेश में पंचायत चुनाव में हो रही देरी के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार राज्य निर्वाचन आयोग को जमकर फटकार लगाई है।

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चुनावों में हुई देरी के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को बुधवार तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं,
वहीं सरकार द्वारा प्रदेश की पंचायतों में नियुक्त करें प्रशासकों के वित्तीय अधिकार और पॉलिसी बनाने के अधिकारों को भी मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सीज कर दिया है,,
आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के द्वारा पंचायत चुनाव करवाने के लिए कोर्ट से 4 महीने का समय मांगा जिसको कोर्ट ने इंकार कर दिया और सरकार से बुधवार को जवाब पेश करने को कहा है ताकि प्रदेश में जल्द से जल्द पंचायत चुनाव कराए जा सकें।


Body:आपको बता दें कि गूलरभोज निवासी पूर्व प्रधान नईम ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार प्रदेश में पंचायत चुनाव समय पर नहीं करा रही है और पंचायतों में प्रशासक नियुक्त कर रही है जो राज्य सरकार द्वारा 2010 में कोर्ट में पेश किए गए शपथ पत्र के विपरीत है वहीं प्रदेश में सरकार पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव समय पर कराने में असफल रही है लिहाजा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए।


Conclusion:वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि 2010 में राज्य सरकार की तरफ से मुख्य सचिव द्वारा शपथ पत्र पेश किया गया था कि पंचायत चुनाव समय पर कराए जाएंगे और पंचायतों प्रशासकों की नियुक्ति नहीं की जाएगी,, लेकिन मुख्य सचिव द्वारा इस शपथ पत्र की अवहेलना करी जा रही है, आज मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने चुनाव में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं,,,

बाइट- जितेंद्र चौधरी अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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