नैनीतालः पंचायत चुनावों की अटकलों से पर्दा हट गया है. नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को आदेश दिए हैं कि वह 30 नवंबर तक प्रदेश में पंचायत चुनाव कराएं. साथ ही कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि राज्य सरकार द्वारा पंचायतों में नियुक्त प्रशासनिक अधिकारी किसी भी प्रकार के फैसले नहीं ले सकेंगे और उनके सभी वित्तीय अधिकार सीज रहेंगे.
राज्य सरकार की तरफ से मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में बताया गया कि पंचायत चुनाव के लिए नई नीति बनाई गई है. जिस वजह से देर हो रही है और सरकार को चुनाव करवाने के लिए करीब 120 दिनों की आवश्यकता है. जिस पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने हामी भरते हुए राज्य सरकार को 120 दिन की स्वीकृति दी और 30 नवंबर तक पंचायत चुनाव कराने के आदेश दिए हैं.
आपको बता दें कि गूलरभोज निवासी पूर्व प्रधान नईम अहमद ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार प्रदेश में पंचायत चुनाव समय पर नहीं करा रही है और पंचायतों में प्रशासक नियुक्त कर रही है, जो राज्य सरकार द्वारा 2010 में कोर्ट में पेश किए गए शपथ पत्र के विपरीत है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में सरकार पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव समय पर कराने में असफल रही है, लिहाजा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए.
यह भी पढ़ेंः मनमाने दामों पर बिक रही शराब, लोगों ने अधिकारियों पर लगाया मिलीभगत का आरोप
वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि 2010 में राज्य सरकार की तरफ से मुख्य सचिव द्वारा शपथ पत्र पेश किया गया था कि पंचायत चुनाव समय पर कराए जाएंगे और पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति नहीं की जाएगी, लेकिन मुख्य सचिव द्वारा इस शपथपत्र की अवहेलना की जा रही है.
गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग को आदेश दिए हैं कि वो 30 नवंबर तक चुनाव सम्पन्न करवा लें.