नैनातील: रामनगर के सखनपुर में नियमों के विरुद्ध चल रहे मनराल स्टोन क्रशर के मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए है. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि प्रदेश में स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति देने से पहले साइलेंट, जोन इंडस्ट्रियल जोन और आवासीय जोन का सरकार द्वारा निर्धारण किया गया है या नहीं?
बता दें कि रामनगर के रहने वाले आनंद सिंह नेगी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास सखनपुर में मनराल स्टोन अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है. स्टोन क्रशर स्वामी के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का लाइसेंस और राज्य सरकार की वैध अनुमति नहीं है. स्टोन क्रशर संचालित करने में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन किया गया है. लिहाजा स्टोन क्रशर को बंद किया जाए.
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वहीं, याचिकाकर्ता का कहना था कि उनके द्वारा क्रशर को बंद करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन विभाग के उच्च अधिकारियों को प्रत्यावेदन दिया गया, लेकिन उनके प्रत्यावेदन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.
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आज मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के द्वारा कोर्ट को बताया कि उत्तराखंड बने 20 साल हो चुके हैं. अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि कौन सा क्षेत्रवासी है, कौन सा क्षेत्र औद्योगिक और कौन सा साइलेंट जोन है. जिस वजह से स्टोन क्रशर मनमर्जी से खोले जा रहे हैं. जिसका समाज पर गलत प्रभाव पड़ रहा है.