नैनीतालः उत्तराखंड में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामलों में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को सोमवार तक अपना जवाब कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है. आज कोर्ट के आदेश पर बनी निगरानी कमेटी ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया. साथ ही कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का प्रदेश में खुला उल्लंघन किया जा रहा है. लोग न तो मास्क का प्रयोग कर रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं. वहीं कमेटी का ये भी कहना है कि उत्तराखंड के अस्पतालों में स्टाफ की कमी है. जिस वजह से अस्पतालों की स्थिति खराब बनी हुई है.
बता दें कि हाईकोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड के 6 अस्पतालों को कोविड-19 के रूप में स्थापित किया है. मगर इन अस्पतालों में कोई भी आधारभूत सुविधा नहीं है. जिसके बाद देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने भी उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें अदालत ने दोनों याचिकाओं का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को क्वारंटाइन सेंटरों की स्थिति ठीक करने के आदेश दिए थे.
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पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव को आदेश दिए थे कि वह सभी क्वारंटाइन सेंटरों पर जाकर अपनी रिपोर्ट पेश करें और उनकी स्थिति बताएं. जिसके बाद जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव की रिपोर्ट में भी स्पष्ट हुआ था कि प्रदेश के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं.
बाहर से आ रहे लोगों के लिए उचित व्यवस्था नहीं है. जिसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि सभी क्वारंटाइन सेंटरों की स्थिति को ठीक करे और जिन ग्रामीण क्षेत्रों में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं, उन सभी ग्राम प्रधानों को जल्द से जल्द बजट अवमुक्त करे, ताकि बाहर से आ रहे लोगों को उचित व्यवस्था मिल सके.