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ऋषिकेश में वनभूमि में हुए अतिक्रमण मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

ऋषिकेश में वन भूमि पर हुए अतिक्रमण के मामले में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, राजस्व सचिव, डीएफओ हरिद्वार, डीएम देहरादून समेत संबंधित विभाग से जबाव मांगा है.

high court
नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Nov 27, 2019, 10:37 PM IST

नैनीतालः ऋषिकेश में वन भूमि पर हुए अतिक्रमण के मामले पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. इस मामले ने कोर्ट ने राज्य सरकार, राजस्व सचिव, डीएफओ हरिद्वार, डीएम देहरादून समेत संबंधित विभागों को 2 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि स्वामी चिदानंद ने साल 2000 से 2019 तक ऋषिकेश के बीरपुर खुर्द, वीरभद्र क्षेत्र में गंगा किनारे करीब 8 हेक्टेयर रिजर्व वनक्षेत्र की भूमि पर अवैध कब्जा किया है. साथ इस क्षेत्र में अवैध रूप से 52 कमरों का निर्माण किया गया है. साथ ही गौशाला भी बनाई गई है.

जानकारी देते अधिवक्ता याचिकाकर्ता विवेक शुक्ला.

ये भी पढ़ेंः नैनीताल झील में मिला लापता व्यक्ति का शव, मचा हड़कंप

इतना ही नहीं याचिका में बताया गया है कि स्वामी चिदानंद क्षेत्र में गांव गंगा गोकुल के नाम पर आश्रम भी चला रहे हैं. जिस पर जिला प्रशासन, राजस्व विभाग और वन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि स्वामी चिदानंद के राजनीतिक पहुंच और डर की वजह से कोई भी व्यक्ति आवाज उठाने को तैयार नहीं है. जिस वजह से चिदानंद अन्य क्षेत्रों में भी अवैध रूप से अतिक्रमण कर रहे हैं.

वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण होने के बावजूद भी वन विभाग, राजस्व विभाग तथा पशुलोक विभाग बात की अनदेखी कर रहे हैं. इसी कड़ी में मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, राजस्व सचिव, डीएफओ हरिद्वार, डीएम देहरादून समेत संबंधित विभाग से जबाव मांगा है.

नैनीतालः ऋषिकेश में वन भूमि पर हुए अतिक्रमण के मामले पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. इस मामले ने कोर्ट ने राज्य सरकार, राजस्व सचिव, डीएफओ हरिद्वार, डीएम देहरादून समेत संबंधित विभागों को 2 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि स्वामी चिदानंद ने साल 2000 से 2019 तक ऋषिकेश के बीरपुर खुर्द, वीरभद्र क्षेत्र में गंगा किनारे करीब 8 हेक्टेयर रिजर्व वनक्षेत्र की भूमि पर अवैध कब्जा किया है. साथ इस क्षेत्र में अवैध रूप से 52 कमरों का निर्माण किया गया है. साथ ही गौशाला भी बनाई गई है.

जानकारी देते अधिवक्ता याचिकाकर्ता विवेक शुक्ला.

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इतना ही नहीं याचिका में बताया गया है कि स्वामी चिदानंद क्षेत्र में गांव गंगा गोकुल के नाम पर आश्रम भी चला रहे हैं. जिस पर जिला प्रशासन, राजस्व विभाग और वन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि स्वामी चिदानंद के राजनीतिक पहुंच और डर की वजह से कोई भी व्यक्ति आवाज उठाने को तैयार नहीं है. जिस वजह से चिदानंद अन्य क्षेत्रों में भी अवैध रूप से अतिक्रमण कर रहे हैं.

वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण होने के बावजूद भी वन विभाग, राजस्व विभाग तथा पशुलोक विभाग बात की अनदेखी कर रहे हैं. इसी कड़ी में मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, राजस्व सचिव, डीएफओ हरिद्वार, डीएम देहरादून समेत संबंधित विभाग से जबाव मांगा है.

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वन भूमि में अतिक्रमण मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब।

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ऋषिकेश में वन भूमि पर हुए अतिक्रमण के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार, राजस्व सचिव, डीएफओ हरिद्वार, डीएम देहरादून समेत संबंधित विभागों को 2 सप्ताह के भीतर से जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं


Body:आपको बता दें कि हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि मुनि चिदानंद ने सन 2000 से 2019 तक ऋषिकेश के बीरपुर खुर्द, वीरभद्र क्षेत्र में गंगा किनारे करीब 8 हेक्टेयर रिजर्व वन क्षेत्र की भूमि पर अवैध कब्जा करा है साथ इस क्षेत्र में अवैध रूप से 52 कमरों का निर्माण किया गया है और इसमें गौशाला भी बनाई गई है, और स्वामी चिदानंद इस क्षेत्र मे गांव गंगा गोकुल के नाम पर आश्रम चला रहे हैं जिस पर जिला प्रशासन, राजस्व विभाग और वन विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।
साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि स्वामी चिदानंद के राजनीतिक पहुच और डर की वजह से कोई भी व्यक्ति आवाज उठाने को तैयार नहीं है, जिस वजह से चिदानंद अन्य क्षेत्रों में भी अवैध रूप से अतिक्रमण कर रहा है।


Conclusion:याचिकाकर्ता का कहना है कि रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण होने के बावजूद भी वन विभाग, राजस्व विभाग तथा पशुलोक विभाग बात की अनदेखी कर रहे हैं।
मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, राजस्व सचिव, डीएफओ हरिद्वार, डीएम देहरादून समेत संबंधित विभागों को 2 सप्ताह के भीतर से जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं

बाईट- विवेक शुक्ला, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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