नैनीताल: हरिद्वार के राजाजी नेशनल पार्क के भीतर कुनाउ गांव में स्वामी चिदानंद मुनि द्वारा किए गए अतिक्रमण मामले पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 11 जून तक अपना विस्तृत जवाब शपथ-पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रभुदत्त शर्मा जो मुनि चिदानंद का कॉन्ट्रैक्टर है. वह क्या आदिवासी है या उसके पास जंगल में रहने का कोई पास है. अगर उसके पास कोई पास है तो वह उसको किसने दिया.
बता दें कि हरिद्वार निवासी अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हरिद्वार के करीब 14 किलोमीटर दूर राजाजी नेशनल पार्क में वन विभाग की भूमि पर स्वामी चिदानंद के द्वारा 2006 से भारी निर्माण किया जा रहा है.
वहीं, स्वामी चिदानंद के द्वारा करीब 100 बीघा जमीन पर कब्जा किया गया है, जिसके बावजूद भी वन विभाग के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है और वन विभाग की शय पर स्वामी चिदानंद मुनि वन भूमि पर निर्माण कर रहे हैं. लिहाजा, इस निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
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इस मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 8 जुलाई तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.