हल्द्वानी: 13 फरवरी यानी आज विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है. एक समय था जब रेडियो हमारे जीवन का काफी अहमियत रखता था. रेडियो सूचना, संचार और गीत-संगीत के माध्यम से लोगों का मनोरंजन का मुख्य साधन था. लेकिन बदलते दौर में टीवी, मोबाइल के डिजिटल जमाने में अब रेडियो आम आदमी के इस्तेमाल से बाहर हो गया है. वहीं हल्द्वानी में उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी का हैलो हल्द्वानी रेडियो स्टेशन बदलते डिजिटल में परिवर्तन कर लोगों तक अपनी आवाज पहुंचा रहा है.
उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के पीआरओ और लोग गायक राकेश रायल ने बताया कि हैलो हल्द्वानी रेडियो अपने सामाजिक दायित्व को लगातार निभा रहा है. कोविड-19 में जन जागरूकता के तहत लोगों को कोरोना बीमारी से बचाने के लिए लगातार संदेश प्रसारण किया गया. उन्होंने बताया कि रेडियो समाज में संवाद स्थापित करने का मुख्य साधन है. बदलते डिजिटल युग में रेडियो भी अब डिजिटल के अनुसार परिवर्तन हुआ है. यहां तक कि ऐप के माध्यम से अब लोग रेडियो का प्रसारण सुन सकते हैं जो डिजिटल युग की ओर बढ़ रहा है.
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हैलो हल्द्वानी रेडियो के आरजे अनिल नैनवाल के मुताबिक आज भी रेडियो का अपना अलग महत्व है. लोग रेडियो का प्रसारण अब रेडियो के माध्यम से न सुनकर डिजिटल के माध्यम से सुन रहे हैं. पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों में जहां प्राकृतिक आपदा, विद्युत व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में रेडियो संचार का मुख्य साधन बना है.
रेडियो दिवस की शुरूआत
स्पेन के एक प्रस्ताव के बाद यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड ने 2011 में यूनेस्को द्वारा किए गए परामर्श प्रक्रिया के आधार पर विश्व रेडियो दिवस के उद्घोषणा की घोषणा की. इसके बाद, यूनेस्को के तत्कालीन महानिदेशक ने 13 फरवरी, 1946 के संयुक्त राष्ट्र रेडियो के गठन के प्रस्तावस को रखा और इसके बाद अपने 36 वें सत्र में, यूनेस्को ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में घोषित कर दिया.
रेडियो दिवस का उद्देश्य
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व रेडियो दिवस का उद्देश्य जनता और मीडिया के बीच रेडियो के महत्व के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता बढ़ाना है. इस दिन का उद्देश्य रेडियो स्टेशनों को अपने माध्यम से सूचना तक पहुंच प्रदान करना और प्रसारकों के बीच नेटवर्किंग और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना भी है.