नैनीताल: राज्य गठन के बाद से उस उत्तराखंड की अवधारणा पूरी नहीं हो सकी है जिसकी परिकल्पना उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों और यहां के स्थानीय लोगों ने की थी. आज भी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र के लोग बदहाली के आंसू रोने को मजबूर हैं. ग्रामीणों की मांग जब सरकार ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों को खुद ही आगे आकर सड़की की मरम्मत करनी पड़ रही है. जो सरकार के विकास के दावों को आइना दिखाने का काम कर रही है. वहीं गुस्साए ग्रामीणों ने अब कहा है कि अगर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले गांव की सड़क नहीं बनी तो विधानसभा चुनाव का बहिष्कार का एलान किया है.
हेडिया गांव के लोग सालों से सड़क की मांग कर रहे हैं, जो आज भी पूरी नहीं हो सकी है. जिस वजह से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, ग्रामीणों द्वारा विरोध की आवाज उठाने के बाद 2016 में सड़क का निर्माण शुरू हुआ, जो कुछ समय बाद ही बंद हो गया और ग्रामीणों के सपने एक बार फिर से अधूरे रह गए. ग्रामीणों का कहना है कि ठेकेदार ने गांव में इतनी लापरवाही से सड़क निर्माण में कटान का काम किया कि आज उनके खेतों और घरों पर खतरा मंडरा रहा है.
सरकार और प्रशासन की बेरुखी को देखते हुए अब गांव के छोटे-छोटे बच्चे छुट्टी के दिन श्रमदान करके सड़क बनाने और उसमें पड़े हुए गड्ढों को भरने में जुटे हैं, ताकि उनके गांव तक गाड़ी आ सके.
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ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सड़क न होने की वजह से मरीजों को डोली में मीलों का सफर तय कर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है. जिस वजह से ग्रामीण बंद पड़े मार्ग को दुरुस्त करने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अगर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले गांव की सड़क नहीं बनी तो ग्रामीण विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे.