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नैनीताल: विकास को आइना दिखा रहा भीमताल का हेडिया गांव, 2022 विस चुनाव का बहिष्कार का एलान

नैनीताल के हेडिया गांव के लोग सड़क नहीं होने से परेशान हैं. ग्रामीण सरकार से सड़क की सालों से मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. आलम ये है कि ग्रामीणों को खुद की सड़क की मरम्मत करनी पड़ रही है.

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Published : Jan 13, 2020, 3:24 PM IST

Updated : Jan 13, 2020, 7:21 PM IST

nainital news
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नैनीताल: राज्य गठन के बाद से उस उत्तराखंड की अवधारणा पूरी नहीं हो सकी है जिसकी परिकल्पना उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों और यहां के स्थानीय लोगों ने की थी. आज भी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र के लोग बदहाली के आंसू रोने को मजबूर हैं. ग्रामीणों की मांग जब सरकार ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों को खुद ही आगे आकर सड़की की मरम्मत करनी पड़ रही है. जो सरकार के विकास के दावों को आइना दिखाने का काम कर रही है. वहीं गुस्साए ग्रामीणों ने अब कहा है कि अगर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले गांव की सड़क नहीं बनी तो विधानसभा चुनाव का बहिष्कार का एलान किया है.

हेडिया गांव के लोग सालों से सड़क की मांग कर रहे हैं, जो आज भी पूरी नहीं हो सकी है. जिस वजह से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, ग्रामीणों द्वारा विरोध की आवाज उठाने के बाद 2016 में सड़क का निर्माण शुरू हुआ, जो कुछ समय बाद ही बंद हो गया और ग्रामीणों के सपने एक बार फिर से अधूरे रह गए. ग्रामीणों का कहना है कि ठेकेदार ने गांव में इतनी लापरवाही से सड़क निर्माण में कटान का काम किया कि आज उनके खेतों और घरों पर खतरा मंडरा रहा है.

सरकार और प्रशासन की बेरुखी को देखते हुए अब गांव के छोटे-छोटे बच्चे छुट्टी के दिन श्रमदान करके सड़क बनाने और उसमें पड़े हुए गड्ढों को भरने में जुटे हैं, ताकि उनके गांव तक गाड़ी आ सके.

पढ़ें- पेड़ कटान के बाद नहीं हो पाएगी लकड़ी चोरी, बिक्री की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सड़क न होने की वजह से मरीजों को डोली में मीलों का सफर तय कर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है. जिस वजह से ग्रामीण बंद पड़े मार्ग को दुरुस्त करने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अगर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले गांव की सड़क नहीं बनी तो ग्रामीण विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे.

नैनीताल: राज्य गठन के बाद से उस उत्तराखंड की अवधारणा पूरी नहीं हो सकी है जिसकी परिकल्पना उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों और यहां के स्थानीय लोगों ने की थी. आज भी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र के लोग बदहाली के आंसू रोने को मजबूर हैं. ग्रामीणों की मांग जब सरकार ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों को खुद ही आगे आकर सड़की की मरम्मत करनी पड़ रही है. जो सरकार के विकास के दावों को आइना दिखाने का काम कर रही है. वहीं गुस्साए ग्रामीणों ने अब कहा है कि अगर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले गांव की सड़क नहीं बनी तो विधानसभा चुनाव का बहिष्कार का एलान किया है.

हेडिया गांव के लोग सालों से सड़क की मांग कर रहे हैं, जो आज भी पूरी नहीं हो सकी है. जिस वजह से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, ग्रामीणों द्वारा विरोध की आवाज उठाने के बाद 2016 में सड़क का निर्माण शुरू हुआ, जो कुछ समय बाद ही बंद हो गया और ग्रामीणों के सपने एक बार फिर से अधूरे रह गए. ग्रामीणों का कहना है कि ठेकेदार ने गांव में इतनी लापरवाही से सड़क निर्माण में कटान का काम किया कि आज उनके खेतों और घरों पर खतरा मंडरा रहा है.

सरकार और प्रशासन की बेरुखी को देखते हुए अब गांव के छोटे-छोटे बच्चे छुट्टी के दिन श्रमदान करके सड़क बनाने और उसमें पड़े हुए गड्ढों को भरने में जुटे हैं, ताकि उनके गांव तक गाड़ी आ सके.

पढ़ें- पेड़ कटान के बाद नहीं हो पाएगी लकड़ी चोरी, बिक्री की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सड़क न होने की वजह से मरीजों को डोली में मीलों का सफर तय कर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है. जिस वजह से ग्रामीण बंद पड़े मार्ग को दुरुस्त करने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अगर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले गांव की सड़क नहीं बनी तो ग्रामीण विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे.

Intro:specal के लिए

Summry

नैनीताल के हेडिया गांव के बच्चे श्रमदान कर बना रहे स्कूल आवाजाही के लिए सड़क, स्थानीय लोगों ने विधानसभा चुनाव 2022 का किया बहिष्कार का ऐलान।

Intro

भले ही आज उत्तराखंड को बने 19 साल पूरे हो गए हो मगर आज भी उस उत्तराखंड की अवधारणा पूरी नहीं हो सकी है जिसकी परिकल्पना उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों और यहां के स्थानीय लोगों ने की थी, आज भी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र के लोग बदहाली के आंसू रोने को मजबूर हैं क्योंकि आज भी गांवों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है जिसका एक नमूना मात्र है नैनीताल के भीमताल का हेडिया गांव .......




Body:क्योंकि इस गांव के ग्रामीण सालों से सरकार से सड़क की मांग कर रहे हैं जो आज भी पूरी नहीं हो सकी है जिस वजह से ग्रामीण काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं, हालांकि ग्रामीणों के विरोध और आवाज उठाने के बाद 2016 में सड़क का निर्माण शुरू हुआ जो कुछ समय बाद ही बंद हो गया और ग्रामीणों के सपने एक बार फिर से अधूरे में रह गए।
इतना ही नहीं ग्रामीण बताते हैं कि सड़क निर्माण का कार्य कर रहे ठेकेदार ने गांव में इतनी लापरवाही से सड़क निर्माण में कटान का काम किया कि आज उनके खेतों और घरों पर खतरा मंडरा रहा है है।

बाईट- मोती राम, स्थानीय।
बाईट- करन स्थानीय।


Conclusion:सरकार और प्रशासन की बेरुखी को देखते हुए अब गांव के छोटे-छोटे बच्चे छुट्टी के दिन श्रमदान करके सड़क बनाने और उसमें पड़े हुए गड्ढों को भरने में जुटे हैं ताकि उनके गांव तक गाड़ी आ सके और बच्चे आसानी से अपने स्कूल तक जा सके,, इतना ही नहीं ग्रामीण बताते हैं कि गांव में सड़क ना होने की वजह से मरीजों को घंटों पैदल कंधों में लाकर अस्पताल लाना पड़ता है अगर गांव में किसी की मौत हो जाए तो उसको शमशान तक ले जाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है जिस वजह से अब ग्रामीण बंद हुए सड़क के काम को शुरू करने और सड़क को ठीक करने की मांग कर रहे हैं, ग्रामीणों का कहना है कि अगर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले गांव की सड़क नहीं बनी तो ग्रामीण विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

बाईट- खुशी,छात्रा।
बाईट- कंचन, छात्रा।
Last Updated : Jan 13, 2020, 7:21 PM IST
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