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नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने के मामले में हाई कोर्ट ने नगर निगम और सरकार से मांगा जवाब - नैनीताल हाई कोर्ट

काठगोदाम हल्द्वानी निवासी भूपेंद्र सूर्यवंशी ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया कि नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से नगर निगम की 201.92  वर्ग मीटर नजूल भूमि को महेश कुमारी के नाम फ्री होल्ड कर दिया गया.

uttarakhand High Court
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Published : May 14, 2019, 11:36 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नगर निगम हल्द्वानी की नजूल भूमि को फ्री होल्ड कराने व उक्त भूमि और आम रास्ते में रेस्टोरेंट निर्माण करने के मामले में सुनवाई करते हुए नगर निगम और सरकार से 20 मई तक स्थिति साफ करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 20 मई सोमवार को होगी.

पढ़ें- चारधाम यात्रा 2019: टिकटों की कालाबाजारी रोकने के लिए विभाग ने बनाया ये प्लान

काठगोदाम हल्द्वानी निवासी भूपेंद्र सूर्यवंशी ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया कि नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से नगर निगम की 201.92 वर्ग मीटर नजूल भूमि को महेश कुमारी के नाम फ्री होल्ड कर दिया गया. जिस पर इसी साल महेश कुमारी के बच्चों ने रेस्टोरेंट का निर्माण कर दिया. इसके अलावा इसी से लगे आम रास्ते को भी खुर्द बुर्द कर दिया गया.

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इसकी जांच कराने के लिए तत्कालीन जिला अधिकारी ने पालिका के अधिशासी अधिकारी को निर्देश दिए थे. जांच में पाया गया था कि 2011 में उक्त भूमि को फ्री होल्ड कराने के लिए महेश कुमारी द्वारा 20 हजार रुपए का शुल्क भी जमा किय गया था. लेकिन उक्त भूमि का पीडब्ल्यूडी व राष्ट्रीय राजमार्ग से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया गया.

पढ़ें- विधायक संजय गुप्ता ने कमल हासन के बयान पर दी तीखी प्रतिक्रिया, बोले- मुंह पर ताला लगाने की जरूरत

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि नगर निगम के अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर 2016 में विपक्षी के नाम जमीन फ्री होल्ड कर दी. मामले को सुनने के बाद खण्डपीठ ने सोमवार 20 मई को स्थिति साफ करने के आदेश सरकार व नगर निगम को दिए हैं. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायामूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई.

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नगर निगम हल्द्वानी की नजूल भूमि को फ्री होल्ड कराने व उक्त भूमि और आम रास्ते में रेस्टोरेंट निर्माण करने के मामले में सुनवाई करते हुए नगर निगम और सरकार से 20 मई तक स्थिति साफ करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 20 मई सोमवार को होगी.

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काठगोदाम हल्द्वानी निवासी भूपेंद्र सूर्यवंशी ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया कि नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से नगर निगम की 201.92 वर्ग मीटर नजूल भूमि को महेश कुमारी के नाम फ्री होल्ड कर दिया गया. जिस पर इसी साल महेश कुमारी के बच्चों ने रेस्टोरेंट का निर्माण कर दिया. इसके अलावा इसी से लगे आम रास्ते को भी खुर्द बुर्द कर दिया गया.

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इसकी जांच कराने के लिए तत्कालीन जिला अधिकारी ने पालिका के अधिशासी अधिकारी को निर्देश दिए थे. जांच में पाया गया था कि 2011 में उक्त भूमि को फ्री होल्ड कराने के लिए महेश कुमारी द्वारा 20 हजार रुपए का शुल्क भी जमा किय गया था. लेकिन उक्त भूमि का पीडब्ल्यूडी व राष्ट्रीय राजमार्ग से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया गया.

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याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि नगर निगम के अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर 2016 में विपक्षी के नाम जमीन फ्री होल्ड कर दी. मामले को सुनने के बाद खण्डपीठ ने सोमवार 20 मई को स्थिति साफ करने के आदेश सरकार व नगर निगम को दिए हैं. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायामूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई.

Intro:स्लग-मिड डे मील

रिपोर्ट-गौरव जोशी

स्थान-नैनीताल

एंकर- नैनीताल हाई कोर्ट ने हरिद्वार के लक्क्षर  हरिद्वार में मिड डे मिल में हुए घोटाले के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि सरकार नई गाइड लाइन्स का व्यापक प्रचार प्रशार करें और सरकार चाहे तो  प्रधानाचार्य व अन्य अधिकारियो के खिलाफ कार्यवाही कर सकती है। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायधीश एनएस धनिक की खण्डपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है


Body:आपको बता डे की लक्क्षर हरिद्वार निवासी सोमेंद्र कुमार ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि लक्क्षर के किसान इंटर कालेज के प्रधानाचार्य व अन्य अधिकारियो ने मिडडे मिल भोजन योजना में घोटाला किया हुआ है और छात्रो को निम्न श्रेणी का भोजन दिया जा रहा है। जिसकी शिकायत उन्होंने सरकार व उच्च अधिकारियो से की परन्तु इस पर कोई कार्यवाही नही होने के कारण उन्होंने दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए जनहित याचिका दायर की। पूर्व में खण्डपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि इस समंध में नई गाइड लाइन्स जारी करें। सरकार ने नई गाइड लाइन्स में कहा है कि दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करें। 


Conclusion:सीआरसी व बीआरसी इसका निरीक्षण करेंगे। दोषी पाये जाने पर बीओ स्तर से ही कार्यवाही की जाऐगी। यदि मिडडे मिल भोजन कराने के लिए धनराशि नही है उपलब्ध नही है तो स्कूल का प्रधानाध्यापक अपनी जेब से भोजन की व्यव्स्था करें। मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने  सरकार को निर्देश दिए है  कि नई गाइड लाइन्स का व्यापक प्रचार व प्रशार करें । सरकार चाहे तो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही कर सकती है।


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