नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश की माइनिंग पॉलिसी, अवैध खनन, बिना पीसीबी के अनुमति के संचालित स्टोन क्रशरों एवं आबादी क्षेत्रों में संचालित स्टोन क्रशरों के खिलाफ 38 से अधिक जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. कोर्ट ने सुनवाई गुरुवार (30 सितंबर) को भी जारी रखी है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.
मामले के मुताबिक बाजपुर निवासी रमेश लाल, मिलख राज, रामनगर निवासी शैलजा शाह सहित 38 लोगों की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई. ये याचिकाएं विभिन्न बिंदुओं को लेकर दायर की गई हैं.
कुछ याचिकाओं में प्रदेश की खनन नीति को चुनौती दी गई है. कुछ में आबादी क्षेत्रों में चल रहे स्टोन क्रशरों को हटाए जाने के खिलाफ जनहित याचिकाएं दायर की गई. कुछ जनहित याचिकाओं में स्टोन क्रशरों द्वारा अवैध रूप से किए जा रहे खनन तथा कुछ जनहित याचिकाओं में स्टोन क्रशरों द्वारा पीसीबी के मानकों को पूरा नहीं करने के खिलाफ जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं.
ये भी पढ़ेंः HC का आदेश, गन्ना किसानों को इकबालपुर चीनी मिल करे 14 करोड़ का भुगतान
जैसे शैलजा शाह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि अल्मोड़ा के मासी में रामगंगा नदी के किनारे 60 मीटर दूरी पर रामगंगा स्टोन क्रशर लगाया गया है, जो पीसीबी के नियमों के विरुद्ध है. दूसरा, बाजपुर के रमेश लाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कोसी नदी में स्टोन क्रशर मालिकों द्वारा अवैध खनन किया जा रहा है.
आनंद सिंह नेगी की जनहित याचिका में कहा गया है कि अभी तक सरकार ने नॉइज पॉल्यूशन जोन घोषित नहीं किया है. सरकार जहां मर्जी हो वहां स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दे रही है. इसलिए प्रदेश में नॉइज पॉल्यूशन जोन घोषित किया जाए, ताकि जिससे पता चल सके कि कौन सा जोन इंडस्ट्रियल है, कौन सा आबादी और कौन सा ईको सेंसिटिव जोन है.