नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उद्यान विभाग में हुए घोटाले की जांच सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी द्वारा कराए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने एसआईटी द्वारा पेश 42 पेज की रिपोर्ट को खोलकर सरकार से कहा कि इस रिपोर्ट को 13 सितंबर तक अंग्रेजी में अनुवाद करके दें. वहीं, मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को निर्धारित की गई है.
दीपक करगेती ने दायर की थी जनहित याचिका: पूर्व में कोर्ट ने एसआईटी से 15 दिन के भीतर मामले की प्राथमिक जांच कर सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश करने को कहा था. साथ ही यह भी कहा था कि हम यह देखना चाहते हैं कि मामले की जांच सीबीएआई से कराने से पहले एसआईटी सही जांच कर रही है या नहीं. मामले के अनुसार दीपक करगेती ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया है. याचिका में कहा गया है कि उद्यान विभाग में लाखों का घोटाला किया गया है. जिसमें फल और अन्य के पौधारोपण में गड़बडियां की गई हैं.
प्रकरण उठने पर रद्द किया गया अनिका ट्रेडर्स का आवंटन: साथ ही यह भी आरोप लगाया गया कि विभाग द्वारा एक ही दिन में वर्क ऑर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू-कश्मीर से पेड़ लाना दिखाया गया है. जिसका पेमेंट भी कर दिया गया. इस पूरे मामले में कई वित्तीय और अन्य गड़बडियां हुई हैं. जिसकी जांच सीबीआई या किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराई जाए. शीतकालीन सत्र में निलंबित उद्यान निदेशक द्वारा पहले एक नकली नर्सरी अनिका ट्रेडर्स को पूरे राज्य में करोड़ों की पौध खरीद का कार्य देकर बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया. जब उद्यान लगाओ उद्यान बचाओ यात्रा से जुड़े किसानों और उत्तरकाशी के किसानों द्वारा जोर-शोर से इस प्रकरण को उठाया गया, तो आनन-फानन में अनिका ट्रेडर्स के आवंटन को रद्द करने का पत्र जारी कर दिया गया. फिर भी पौधे अनिका ट्रेडर्स के बांटे गए.
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बिलों पर बिना हस्ताक्षर के करोड़ों रुपए का हुआ घोटाला: याचिका में आरोप लगाया गया है कि नैनीताल में मुख्य उद्यान अधिकारी राजेंद्र कुमार सिंह के साथ मिलकर बवेजा ने एक फर्जी आवंटन जम्मू-कश्मीर की एक और नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया. जिसमें हुए भौतिक सत्यापन में भी गड़बड़ी का जिक्र याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में किया है. बरकत एग्रो फार्म को इनवॉइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया, तो वहीं अकाउंटेंट के बिलों पर बिना हस्ताक्षर के ही करोड़ों रुपए ठिकाने लगा दिए गए.
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