नैनीतालः उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्रदेश में कोरोना महामारी के दौरान बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने जनहित याचिकाओं को निस्तारित करते हुए याचिकाकर्ता से कहा है कि अगर भविष्य में कोरोना की चौथी लहर आती है तो वे इस जनहित याचिका में प्रार्थना पत्र दे सकते हैं. उन्हें अलग से जनहित याचिका दायर करने की आवश्यकता नहीं है.
वहीं, खंडपीठ ने दूसरी जनहित याचिका में सरकार को निर्देश दिए हैं कि अभी तक विकलांग व बुजुर्गों का वैक्सीनेशन कितना हुआ है, 27 अप्रैल तक कोर्ट में इसकी रिपोर्ट पेश करें. कोर्ट ने तीसरी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि स्टार इमेजिंग पैथ लैब द्वारा कोरोना के समय बॉर्डर पर लोगों को निगेटिव रिपोर्ट देकर उत्तराखंड भेजा गया. इस मामले पर डीजीपी जांच कराएं.
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मामले के मुताबिक, अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल, अनु पंत, डीके जोशी, राम स्वरूप, दीपक बलुटिया, राजेंद्र आर्या व अर्जुन सिंह ने विभिन्न बिंदुओं को लेकर अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की थी. सभी जनहित याचिकाएं एक ही विषय को लेकर होने के कारण उच्च न्यायालय ने सभी की एक साथ सुनवाई की. मामले के मुताबिक, इन जनहित याचिकाओं में क्वारंटीन सेंटर, कोविड अस्पतालों की बदहाली, उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर दायर की गई थी.
पूर्व में बदहाल क्वारंटीन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटीन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है. जिसका संज्ञान लेकर कोर्ट ने अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटियां गठित करने के आदेश दिए थे और कमेटियों से सुझाव मांगे थे.