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लाखों का बिल आने पर भी बिजली विभाग के अधिकारी भर रहे 400 रुपये, हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

बिजली विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों का बिजली का बिल बाजार भाव से कम लेने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 10 दिन से भीतर शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं.

उत्तराखंड हाई कोर्ट, nainital high court
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Published : Aug 14, 2019, 7:55 AM IST

देहरादून: बिजली विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों से बिजली का बिल बाजार भाव से भी कम लेने के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. वरिष्ठ न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को 10 दिन के अंदर प्रति शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें, देहरादून के आरटीआई क्लब ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार बिजली विभाग में तैनात अधिकारियों से एक महीने का बिल मात्र 400 से ₹500 और कर्मचारियों से मात्र ₹100 ले रही है, जबकि इन कर्मचारियों और अधिकारियों का बिल लाखों में आता है, जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है, लिहाजा इन लोगों से बाजार भाव के हिसाब से किराया लिया जाए.

इस मामले में हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कॉरपोरेशन समेत राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद मंगलवार को पॉवर कॉरपोरेशन और राज्य सरकार ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया.

पॉवर कॉरपोरेशन ने कहा है कि जनहित याचिका में उठाए गए सभी बिंदु निराधार हैं. जिस का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता का कहना है कि जो भी आरोप लगाए गए हैं वो सही हैं. उनको ये आंकड़े उन्हीं के विभाग द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मिले हैं.

मोहम्मद मतलूब अधिवक्ता याचिकाकर्ता.

पढ़ें- उत्तराखंड: 15 अगस्त को लेकर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था, पुलिस मुख्यालय ने जारी की एडवाइजरी

याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घरों में बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं. जहां लगे हैं वह खराब स्थिति में हैं. साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट में 300 से अधिक ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट कोर्ट में पेश की, जिनके घर में आज तक बिजली के मीटर नहीं लगे और जहां लगे भी हैं, तो वो खराब हैं.

मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 10 दिन के भीतर प्रति शपथ पत्र पेश कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

देहरादून: बिजली विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों से बिजली का बिल बाजार भाव से भी कम लेने के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. वरिष्ठ न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को 10 दिन के अंदर प्रति शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें, देहरादून के आरटीआई क्लब ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार बिजली विभाग में तैनात अधिकारियों से एक महीने का बिल मात्र 400 से ₹500 और कर्मचारियों से मात्र ₹100 ले रही है, जबकि इन कर्मचारियों और अधिकारियों का बिल लाखों में आता है, जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है, लिहाजा इन लोगों से बाजार भाव के हिसाब से किराया लिया जाए.

इस मामले में हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कॉरपोरेशन समेत राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद मंगलवार को पॉवर कॉरपोरेशन और राज्य सरकार ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया.

पॉवर कॉरपोरेशन ने कहा है कि जनहित याचिका में उठाए गए सभी बिंदु निराधार हैं. जिस का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता का कहना है कि जो भी आरोप लगाए गए हैं वो सही हैं. उनको ये आंकड़े उन्हीं के विभाग द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मिले हैं.

मोहम्मद मतलूब अधिवक्ता याचिकाकर्ता.

पढ़ें- उत्तराखंड: 15 अगस्त को लेकर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था, पुलिस मुख्यालय ने जारी की एडवाइजरी

याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घरों में बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं. जहां लगे हैं वह खराब स्थिति में हैं. साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट में 300 से अधिक ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट कोर्ट में पेश की, जिनके घर में आज तक बिजली के मीटर नहीं लगे और जहां लगे भी हैं, तो वो खराब हैं.

मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 10 दिन के भीतर प्रति शपथ पत्र पेश कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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प्रदेश में बिजली विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों का बिजली का बिल बाजार भाव से कम लेने हो सरकार द्वारा बिजली का किराया बढ़ाए जाने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट।

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बिजली विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों से बिजली का बिल बाजार भाव से भी कम लेने के मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को 10 दिन के भीतर प्रति शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं,,,
वहीं पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने और कॉरपोरेशन समेत राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए थे जिसके बाद आज पावर कारपोरेशन, राज्य सरकार समेत समस्त लोगों ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया।
जिसमें पावर कॉरपोरेशन ने कहा है कि जनहित याचिका में उठाए गए सभी बिंदु निराधार है जिस का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता का कहना है कि जो भी आरोप लगाए गए हैं वह सही है क्योंकि उनको यह आंकड़े उन्हीं के विभाग द्वारा सूचना का अधिकार से मिले हैं।


Body:आपको बता दें कि देहरादून की आर टी आई क्लब नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार विद्युत विभाग में तैनात अधिकारियों से 1 महीने का बिल मात्र 400 से ₹500 और कर्मचारियों से मात्र ₹100 ले रही है, जबकि इन कर्मचारियों और अधिकारियों का बिल लाखों में आता है जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है, लिहाजा इन लोगों से बाजार भाव के हिसाब से किराया लिया जाए।


Conclusion:वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घरों में बिजली के मीटर तक नहीं लगे और जहां लगे हैं वह खराब स्थिति में है साथ ही याचिकाकर्ता ने आज कोर्ट में करीब 300 से अधिक ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट कोर्ट में पेश की जिसमें घर में आज तक बिजली के मीटर नहीं लगे और जहां लगे हैं वह खराब है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 10 दिन के भीतर प्रति शपथ पत्र पेश कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाइट- मोहम्मद मतलूब अधिवक्ता याचिकाकर्ता
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