देहरादून: बिजली विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों से बिजली का बिल बाजार भाव से भी कम लेने के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. वरिष्ठ न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को 10 दिन के अंदर प्रति शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं.
बता दें, देहरादून के आरटीआई क्लब ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार बिजली विभाग में तैनात अधिकारियों से एक महीने का बिल मात्र 400 से ₹500 और कर्मचारियों से मात्र ₹100 ले रही है, जबकि इन कर्मचारियों और अधिकारियों का बिल लाखों में आता है, जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है, लिहाजा इन लोगों से बाजार भाव के हिसाब से किराया लिया जाए.
इस मामले में हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कॉरपोरेशन समेत राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद मंगलवार को पॉवर कॉरपोरेशन और राज्य सरकार ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया.
पॉवर कॉरपोरेशन ने कहा है कि जनहित याचिका में उठाए गए सभी बिंदु निराधार हैं. जिस का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता का कहना है कि जो भी आरोप लगाए गए हैं वो सही हैं. उनको ये आंकड़े उन्हीं के विभाग द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मिले हैं.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घरों में बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं. जहां लगे हैं वह खराब स्थिति में हैं. साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट में 300 से अधिक ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट कोर्ट में पेश की, जिनके घर में आज तक बिजली के मीटर नहीं लगे और जहां लगे भी हैं, तो वो खराब हैं.
मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 10 दिन के भीतर प्रति शपथ पत्र पेश कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.