नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश एम्स में विभिन्न पदों की भर्ती में हुई अनियमितताओं के खिलाफ दायर ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने विपक्षियों से 6 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया है कि केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली एम्स की तर्ज पर ऋषिकेश में एम्स की स्थापना की गयी है. संस्थान में पदों को भरने के लिए स्पष्ट आरक्षण दिया गया है. लेकिन प्रो रविकांत के कार्यकाल में अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति/जनजाति की सीटों की भर्ती में 32 डॉक्टरों की नियुक्ति बिना प्रक्रिया पालन किए अपने परिजनों व करीबी लोगों को नियुक्ति दे दी गयी.
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि निदेशक प्रो रविकांत की पत्नी डॉ बीना रवि को अवैध ढंग से सर्जरी विभाग में बतौर संविदा प्रोफेसर नियुक्त कर दिया गया. प्रो रविकांत के बहनोई की भी विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर नियुक्त कर दी गयी. यौन उत्पीड़न जैसे आरोप के चलते उन्हें दो साल में ही छोड़कर जाना पड़ा.
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जनहित याचिका में निदेशक के करीबी दोस्त एसपी अग्रवाल को भी बिना किसी साक्षात्कार व प्रक्रिया के सर्जिकल ओंकोलॉजी विभाग में तैनात कर दिया गया, जब इसकी शिकायत केंद्र सरकार व सीईसी से की गयी तो, उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. याचिकाकर्ता ने जनहीत याचिका में इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है. (Nainital High Court) (AIIMS Rishikesh) (High Court on AIIMS Rishikesh) (Irregularities in recruitment in AIIMS Rishikesh)