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वन विभाग के दैनिक श्रमिकों को समान कार्य-समान वेतन न देने का मामला, हाईकोर्ट में PCCF हुए पेश

वन विभाग के दैनिक श्रमिकों को समान काम समान वेतन नहीं देने के मामले पर नैनीताल HC में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान पीसीसीएफ (Principal Chief Conservator of Forests) कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए.

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नैनीताल
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Published : Nov 8, 2021, 4:52 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वन विभाग में सालों से कार्यरत दैनिक श्रमिकों के मामले में पूर्व में दिए गए आदेशों का पालन नहीं करने पर लगभग 25 से अधिक अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई की. मामले में आज (8 नवंबर 2021) प्रमुख वन संरक्षक कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार ने इन आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है. जिसमें अगली सुनवाई दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह में होनी है. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह की तिथि नियत की है.

दरअसल पूर्व में कोर्ट ने पीसीसीएफ (Principal Chief Conservator of Forests) को निर्देश दिए थे कि या तो 8 नवंबर तक पूर्व में दिए गए सभी आदेशों का पालन करें या फिर इसी तिथि (8 नवंबर) को कोर्ट में पेश हों. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई.

मामले के मुताबकि भरत सिंह, गब्बर सिंह व 120 अन्य लोगों द्वारा 25 से अधिक अवमानना याचिकाएं दायर कर कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय ने 18 दिसंबर 2020 को सरकार की लगभग 130 स्पेशल अपीलों को निरस्त करते हुए आदेश दिया था कि वन विभाग में विभिन्न वन प्रभागों में कार्यरत दैनिक श्रमिकों को समान कार्य समान वेतन व अन्य भत्ते दें. लेकिन अभी तक विभाग ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया.

ये भी पढ़ेंः लखीमपुर हिंसा पर एससी की यूपी सरकार को फटकार, कहा 2 FIR में अंतर नहीं कर पा रही SIT

इससे पूर्व एकलपीठ ने भी उनके पक्ष में निर्णय दिया था. जिसे बाद में सरकार ने स्पेशल अपील दायर कर चुनौती दी थी. याचिकर्ताओं का कहना है कि सालों से वन विभाग में अलग-अलग वन प्रभागों में दैनिक श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे हैं. लेकिन उनको समान कार्य व समान वेतन एवं अन्य भत्ते नियमित कर्मचारियों की भांति नहीं दिया जा रहा था. जिसको लेकर उनके द्वारा 2016-17-18 में विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. न्यायालय के आदेश होने के उपरांत भी उनको यह लाभ नहीं दिया जा रहा है.

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वन विभाग में सालों से कार्यरत दैनिक श्रमिकों के मामले में पूर्व में दिए गए आदेशों का पालन नहीं करने पर लगभग 25 से अधिक अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई की. मामले में आज (8 नवंबर 2021) प्रमुख वन संरक्षक कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार ने इन आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है. जिसमें अगली सुनवाई दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह में होनी है. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह की तिथि नियत की है.

दरअसल पूर्व में कोर्ट ने पीसीसीएफ (Principal Chief Conservator of Forests) को निर्देश दिए थे कि या तो 8 नवंबर तक पूर्व में दिए गए सभी आदेशों का पालन करें या फिर इसी तिथि (8 नवंबर) को कोर्ट में पेश हों. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई.

मामले के मुताबकि भरत सिंह, गब्बर सिंह व 120 अन्य लोगों द्वारा 25 से अधिक अवमानना याचिकाएं दायर कर कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय ने 18 दिसंबर 2020 को सरकार की लगभग 130 स्पेशल अपीलों को निरस्त करते हुए आदेश दिया था कि वन विभाग में विभिन्न वन प्रभागों में कार्यरत दैनिक श्रमिकों को समान कार्य समान वेतन व अन्य भत्ते दें. लेकिन अभी तक विभाग ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया.

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इससे पूर्व एकलपीठ ने भी उनके पक्ष में निर्णय दिया था. जिसे बाद में सरकार ने स्पेशल अपील दायर कर चुनौती दी थी. याचिकर्ताओं का कहना है कि सालों से वन विभाग में अलग-अलग वन प्रभागों में दैनिक श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे हैं. लेकिन उनको समान कार्य व समान वेतन एवं अन्य भत्ते नियमित कर्मचारियों की भांति नहीं दिया जा रहा था. जिसको लेकर उनके द्वारा 2016-17-18 में विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. न्यायालय के आदेश होने के उपरांत भी उनको यह लाभ नहीं दिया जा रहा है.

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