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नदियों से हो रहे भू कटाव का मामला, HC ने कमिश्नर कुमाऊं और गढ़वाल समेत पक्षकारों से चार सप्ताह में मांगा जवाब - न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल

Waterlogging And Land Erosion Case नैनीताल हाईकोर्ट में आज आबादी वाले क्षेत्रों में जलभराव और भू कटाव को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई है. जिसमें कोर्ट ने वन और सिंचाई विभाग के सचिव समेत कमिश्नर कुमाऊं और कमिश्नर गढ़वाल को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 22, 2023, 4:15 PM IST

Updated : Sep 22, 2023, 4:46 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में नंधौर, गौला, कोसी, गंगा और दाबका नदियों से हो रहे भूकटाव और बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण आबादी वाले क्षेत्रों में जलभराव और भू कटाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने पूर्व के आदेश पर जवाब पेश नहीं करने पर वन विभाग सचिव, सिंचाई विभाग सचिव, दैवीय आपदा सचिव, कमिश्नर कुमाऊं और कमिश्नर गढ़वाल से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख निर्धारित की गई है.

मामले के अनुसार हल्द्वानी चोरगलिया निवासी भुवन चंद्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में बारिश की वजह से आजकल नदियां उफान पर हैं. नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण बाढ़ और भू कटाव हो रहा है. जिसके चलते आबादी क्षेत्र में जलभराव हो रहा है. नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़ और सरकारी योजनाएं बह गई हैं. साथ ही नदियों के चैनलाइज नहीं होने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर लिया है. जिसकी वजह से उधमसिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर, रुड़की और देहरादून में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है.

ये भी पढ़ें: राजनीतिक रसूख का फायदा उठाकर प्रशासन पर बनाया जा रहा दबाव! HC ने जाहिर की चिंता, MLA और DM को भेजा नोटिस

बाढ़ से कई पुल बह गए हैं. आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही है. सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर और मलबा को नहीं हटाया है. जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 14 फरवरी 2023 का पालन नहीं किया है. जिसकी वजह से प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार संबंधित विभागों को साथ लेकर नदियों से गाद, मलबा और बोल्डर हटाकर उन्हें चैनलाइज करे, ताकि बरसात में नदियों का पानी बिना रुकावट के बह सके.

ये भी पढ़ें: बागेश्वर लोनिवि की आवासीय कॉलोनी में अवैध निर्माण से जुड़ी याचिका निस्तारित, जानिए मामला

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में नंधौर, गौला, कोसी, गंगा और दाबका नदियों से हो रहे भूकटाव और बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण आबादी वाले क्षेत्रों में जलभराव और भू कटाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने पूर्व के आदेश पर जवाब पेश नहीं करने पर वन विभाग सचिव, सिंचाई विभाग सचिव, दैवीय आपदा सचिव, कमिश्नर कुमाऊं और कमिश्नर गढ़वाल से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख निर्धारित की गई है.

मामले के अनुसार हल्द्वानी चोरगलिया निवासी भुवन चंद्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में बारिश की वजह से आजकल नदियां उफान पर हैं. नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण बाढ़ और भू कटाव हो रहा है. जिसके चलते आबादी क्षेत्र में जलभराव हो रहा है. नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़ और सरकारी योजनाएं बह गई हैं. साथ ही नदियों के चैनलाइज नहीं होने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर लिया है. जिसकी वजह से उधमसिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर, रुड़की और देहरादून में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है.

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बाढ़ से कई पुल बह गए हैं. आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही है. सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर और मलबा को नहीं हटाया है. जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 14 फरवरी 2023 का पालन नहीं किया है. जिसकी वजह से प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार संबंधित विभागों को साथ लेकर नदियों से गाद, मलबा और बोल्डर हटाकर उन्हें चैनलाइज करे, ताकि बरसात में नदियों का पानी बिना रुकावट के बह सके.

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Last Updated : Sep 22, 2023, 4:46 PM IST
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