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दुष्कर्म मामला: NSUI पूर्व जिलाध्यक्ष को राहत नहीं, संबंध के लिए दवाब बनाने वाला SHO सस्पेंड, HC में पीड़िता ने खोली थी पोल - SHO accused of harassing rape victim

नैनीताल हाईकोर्ट ने आज दुष्कर्म के आरोपी एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष तरुण साह की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को नियत की है. वहीं, कोर्ट में पीड़िता के बयान के बाद एसएचओ मुखानी दीपक बिष्ट को सस्पेंड कर दिया गया है. पीड़िता ने बिष्ट पर पांच लाख रुपये मांगने और संबंध के लिए दवाब बनाने का आरोप लगाया था.

NSUI president rape case
दुष्कर्म मामले में NSUI के पूर्व अध्यक्ष की जमानत याचिका पर HC में सुनवाई
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Published : Jul 20, 2022, 4:07 PM IST

Updated : Jul 21, 2022, 11:45 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आज एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष तरुण साह पर दुष्कर्म मामले में अग्रिम जमानत याचिका मामले की सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने अगली सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तिथि तय की है. वहीं, पुलिस की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पीड़िता की ओर से एसएचओ मुखानी दीपक बिष्ट पर लगे आरोप प्रथम दृष्टया जांच में सही पाए जाने पर बिष्ट को सस्पेंड कर दिया गया है.

गौर हो कि, बीते मंगलवार (19 जुलाई) को पीड़िता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि एसएचओ मुखानी दीपक बिष्ट उनके केस में जांच नहीं कर रहे हैं. इसके बदले वो उनसे पांच लाख रुपये व संबंध बनाने के लिए दबाव डाल रहे हैं. इसकी रिकॉर्डिंग भी उनके पास है. इसकी शिकायत उन्होंने डीजीपी से भी की, उसके बाद भी एसएचओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.

पीड़िता ने बताया कि, उसने डीजीपी अशोक कुमार को 13 पेज का शिकायती पत्र भेजा था, जिसमें उसने बताया था कि बीती 26 अप्रैल को वह एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत लेकर तत्कालीन मुखानी एसएचओ के पास गई थी. वहां उसकी कोई मदद तो नहीं हुई बल्कि साह पर कार्रवाई करने के लिए एसएचओ दीपक बिष्ट ने उससे जबरन संबंध बनाने को कहा और साथ ही ₹5 लाख रुपये भी मांगे. इस खुलासे के बाद कोर्ट ने पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी थी.

वहीं, आज सुनवाई में एसएसपी नैनीताल पंकज भट्ट की ओर से इस मामले की जांच के लिए तैनात सीओ रामनगर बलजीत सिंह भाकुनी ने आज कोर्ट को अवगत कराया कि जांच में एसएचओ के खिलाफ प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए गए, जिसके बाद उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 534 और 506 के तहत बीते मंगलवार रात करीब 8:45 बजे मुकदमा दर्ज कर दिया था. मुकदमे की कार्रवाई के बाद थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है.
इसे भी पढ़ें- हाईकोर्ट के जज के नाम पर जिला कोर्ट के एडीजे से ठगे डेढ़ लाख, मुकदमा दर्ज

वहीं, अभियुक्त के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि तरुण साह पर महिला द्वारा झूठे आरोप लगाए गए हैं, जो दुष्कर्म के अंतर्गत नहीं आता है. पीड़िता ने ये आरोप 2018 में लगाए थे. चार साल बीत जाने के बाद अब उनके खिलाफ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया है, जो गलत है. दोनों शादीशुदा हैं, उन्हें गलत फंसाया जा रहा है. फिलहाल, इस मामले में कोर्ट की तरफ से आरोपी को कोई राहत नहीं मिली है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी.

मामले के अनुसार 2013-2014 में एनएसयूआई नैनीताल जिलाध्यक्ष रह चुके तरुण साह के खिलाफ एक महिला ने मुखानी थाना पुलिस को तहरीर देकर कहा था कि तरुण साह ने 2018 में उससे अवैध संबंध बनाए. उसके पति की बीमारी का फायदा उठाकर आरोपी ने उसके साथ जबरदस्ती की. वह उसके घर आकर अवैध संबंध बनाता था. वहीं, लोक-लाज का हवाला देकर उसे चुप कराता रहा और बार-बार धमकी देकर शारीरिक शोषण करता रहा. 2019 में महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया. महिला के अनुसार वह बच्चा भी तरुण साह का है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आज एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष तरुण साह पर दुष्कर्म मामले में अग्रिम जमानत याचिका मामले की सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने अगली सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तिथि तय की है. वहीं, पुलिस की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पीड़िता की ओर से एसएचओ मुखानी दीपक बिष्ट पर लगे आरोप प्रथम दृष्टया जांच में सही पाए जाने पर बिष्ट को सस्पेंड कर दिया गया है.

गौर हो कि, बीते मंगलवार (19 जुलाई) को पीड़िता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि एसएचओ मुखानी दीपक बिष्ट उनके केस में जांच नहीं कर रहे हैं. इसके बदले वो उनसे पांच लाख रुपये व संबंध बनाने के लिए दबाव डाल रहे हैं. इसकी रिकॉर्डिंग भी उनके पास है. इसकी शिकायत उन्होंने डीजीपी से भी की, उसके बाद भी एसएचओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.

पीड़िता ने बताया कि, उसने डीजीपी अशोक कुमार को 13 पेज का शिकायती पत्र भेजा था, जिसमें उसने बताया था कि बीती 26 अप्रैल को वह एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत लेकर तत्कालीन मुखानी एसएचओ के पास गई थी. वहां उसकी कोई मदद तो नहीं हुई बल्कि साह पर कार्रवाई करने के लिए एसएचओ दीपक बिष्ट ने उससे जबरन संबंध बनाने को कहा और साथ ही ₹5 लाख रुपये भी मांगे. इस खुलासे के बाद कोर्ट ने पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी थी.

वहीं, आज सुनवाई में एसएसपी नैनीताल पंकज भट्ट की ओर से इस मामले की जांच के लिए तैनात सीओ रामनगर बलजीत सिंह भाकुनी ने आज कोर्ट को अवगत कराया कि जांच में एसएचओ के खिलाफ प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए गए, जिसके बाद उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 534 और 506 के तहत बीते मंगलवार रात करीब 8:45 बजे मुकदमा दर्ज कर दिया था. मुकदमे की कार्रवाई के बाद थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है.
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वहीं, अभियुक्त के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि तरुण साह पर महिला द्वारा झूठे आरोप लगाए गए हैं, जो दुष्कर्म के अंतर्गत नहीं आता है. पीड़िता ने ये आरोप 2018 में लगाए थे. चार साल बीत जाने के बाद अब उनके खिलाफ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया है, जो गलत है. दोनों शादीशुदा हैं, उन्हें गलत फंसाया जा रहा है. फिलहाल, इस मामले में कोर्ट की तरफ से आरोपी को कोई राहत नहीं मिली है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी.

मामले के अनुसार 2013-2014 में एनएसयूआई नैनीताल जिलाध्यक्ष रह चुके तरुण साह के खिलाफ एक महिला ने मुखानी थाना पुलिस को तहरीर देकर कहा था कि तरुण साह ने 2018 में उससे अवैध संबंध बनाए. उसके पति की बीमारी का फायदा उठाकर आरोपी ने उसके साथ जबरदस्ती की. वह उसके घर आकर अवैध संबंध बनाता था. वहीं, लोक-लाज का हवाला देकर उसे चुप कराता रहा और बार-बार धमकी देकर शारीरिक शोषण करता रहा. 2019 में महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया. महिला के अनुसार वह बच्चा भी तरुण साह का है.

Last Updated : Jul 21, 2022, 11:45 PM IST
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