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हाईकोर्ट में हाइड्रोपावर कंपनियों पर वाटर टैक्स लगाए जाने के मामले पर सुनवाई हुई

हाइड्रोपावर कंपनियों पर वाटर टैक्स लगाए जाने के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट में लगातार चार दिन तक सुनवाई हुई है. अब इस मामले पर अलगी सुनवाई दो मई को होगी.

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Published : Apr 20, 2023, 7:27 PM IST

हाईकोर्ट
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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जल विद्युत उत्पादन पर वाटर टैक्स लगाए जाने के खिलाफ दायर विशेष अपीलों में चार दिन तक लगातार सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई के लिए अगली तारिख दो मई निधारित की है. चार दिन की सुनवाई में कई हाइड्रोपावर कंपनियों की तरफ से सुनवाई हो चुकी है. मामलो की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमुर्ति रविन्द्र मैठाणी की खंडपीठ में हुई.

पूर्व में एकलपीठ ने एक्ट को सही ठहराते हुए विभिन्न हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट कंपनियों की तरफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इस आदेश को हाइड्रोपावर कंपनियों ने विशेष अपील दायर कर खंडपीठ में चुनौती दी है. मामले के अनुसार राज्य बनने के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्य की नदियों में जल विद्युत परियोजनाएं लगाए जाने हेतु विभिन्न कंपनियों को आमंत्रित किया था और उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्य व जल विद्युत कंपनियों के मध्य करार हुआ था.
पढ़ें- बिजली उत्पादन में आई कमी से बढ़ी राज्य की मुश्किलें, रोस्टिंग के लिए मजबूर हुआ UPCL

करार में तय हुआ कि कुल उत्पादन के 12 फीसदी बिजली उत्तराखंड को नि:शुल्क दी जाएगी, जबकि शेष बिजली उत्तर प्रदेश को बेची जाएगी, लेकिन 2012 में उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड वाटर टैक्स ऑन इलैक्ट्रिसिटी जनरेशन एक्ट बनाकर जल विद्युत कंपनियों पर वायर की क्षमतानुसार 2 से 10 पैंसा प्रति यूनिट वाटर टैक्स लगा दिया. जिसे अलकनन्दा पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, टीएचडीसी, एनएचपीसी, स्वाति पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, भिलंगना हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट और जय प्रकाश पावर वेंचर प्राइवेट लिमिटेड आदि ने हाईकोर्ट में चुनौती दी.

हाईकोर्ट की एकलपीठ ने इनकी याचिकाओं को खारीज करते हुए कहा था कि विधायिका को इस तरह का एक्ट बनाने का अधिकार है. यह टैक्स पानी के उपयोग पर नहीं बल्कि पानी से विद्युत उत्पादन पर है, जो संवैधानिक दायरे के भीतर बनाया गया है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जल विद्युत उत्पादन पर वाटर टैक्स लगाए जाने के खिलाफ दायर विशेष अपीलों में चार दिन तक लगातार सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई के लिए अगली तारिख दो मई निधारित की है. चार दिन की सुनवाई में कई हाइड्रोपावर कंपनियों की तरफ से सुनवाई हो चुकी है. मामलो की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमुर्ति रविन्द्र मैठाणी की खंडपीठ में हुई.

पूर्व में एकलपीठ ने एक्ट को सही ठहराते हुए विभिन्न हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट कंपनियों की तरफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इस आदेश को हाइड्रोपावर कंपनियों ने विशेष अपील दायर कर खंडपीठ में चुनौती दी है. मामले के अनुसार राज्य बनने के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्य की नदियों में जल विद्युत परियोजनाएं लगाए जाने हेतु विभिन्न कंपनियों को आमंत्रित किया था और उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्य व जल विद्युत कंपनियों के मध्य करार हुआ था.
पढ़ें- बिजली उत्पादन में आई कमी से बढ़ी राज्य की मुश्किलें, रोस्टिंग के लिए मजबूर हुआ UPCL

करार में तय हुआ कि कुल उत्पादन के 12 फीसदी बिजली उत्तराखंड को नि:शुल्क दी जाएगी, जबकि शेष बिजली उत्तर प्रदेश को बेची जाएगी, लेकिन 2012 में उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड वाटर टैक्स ऑन इलैक्ट्रिसिटी जनरेशन एक्ट बनाकर जल विद्युत कंपनियों पर वायर की क्षमतानुसार 2 से 10 पैंसा प्रति यूनिट वाटर टैक्स लगा दिया. जिसे अलकनन्दा पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, टीएचडीसी, एनएचपीसी, स्वाति पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, भिलंगना हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट और जय प्रकाश पावर वेंचर प्राइवेट लिमिटेड आदि ने हाईकोर्ट में चुनौती दी.

हाईकोर्ट की एकलपीठ ने इनकी याचिकाओं को खारीज करते हुए कहा था कि विधायिका को इस तरह का एक्ट बनाने का अधिकार है. यह टैक्स पानी के उपयोग पर नहीं बल्कि पानी से विद्युत उत्पादन पर है, जो संवैधानिक दायरे के भीतर बनाया गया है.

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