नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रोफेसर अजय सिंह रावत को राहत देते हुए उनकी गिरफ्तार पर अग्रिम रोक लगा दी है. प्रोफेसर अजय सिंह रावत पर उनकी लिखी हुई उत्तराखंड का समग्र राजनीतिक इतिहास पुस्तक के कुछ विवादित अंशों को लेकर मुकदमा दर्ज हो रखा है. गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रोफेसर अजय सिंह रावत हाईकोर्ट की शरण में गए थे.
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई. मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी. मामले के अनुसार थारू जनजाति के लोगों को कहना है कि प्रोफेसर अजय रावत की पुस्तक उत्तराखंड का समग्र राजनीतिक इतिहास में थारू समाज के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया है. राणा थारू परिषद अध्यक्ष दान सिंह राणा की तहरीर पर प्रोफेसर अजय सिंह रावत के खिलाफ खटीमा थाने में पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है, जिसके खिलाफ प्रोफेसर अजय रावत ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत हेतु याचिका दायर की है.
पढ़ें- सलमान खुर्शीद के घर आगजनी का मामला, उत्तराखंड HC ने दो आरोपियों को किया बरी
इधर इतिहासकार और पर्यावरणविद अजय रावत का कहना है कि उनकी पुस्तक उत्तराखंड का समग्र राजनीतिक इतिहास 1949 तक में थारु जनजाति के बारे में प्रकाशित वर्णन का संदर्भ एचआर नेविल द्वारा रचित गवर्नमेंट गजेटियर से लिया गया है. इसे वर्ष 1904 में यूनाइटेड प्रोविंसेज सरकार ने प्रकाशित किया है. उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था. यदि समाज के किसी व्यक्ति को इससे ठेस पहुंची है तो वह इसके लिए पहले ही खेद व्यक्त कर चुके हैं और किताब के प्रकाशक ने बाजार में मौजूद इस किताब को वापस मंगा लिया है. अब बाजार में विवाद वाले अंश को हटाकर नया संस्करण उपलब्ध कर दिया है.