नैनीताल: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कथित विधायकों के खरीद-फरोख्त स्टिंग मामले में आज नैनीताल हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ के समक्ष ब्रीफ सुनवाई हुई. अगली सुनवाई के लिए एक अक्टूबर की तारीख तय की गई है. सीबीआई ने हरीश रावत के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी.
1 अक्टूबर को पूरा दिन मामले में सुनवाई होगी. आज मामले की सुनवाई के दौरान हरीश रावत के अधिवक्ता देवी दत्त कामत ने अपना पक्ष रखा और सीबीआई की प्रारंभिक रिपोर्ट का विरोध करा. इस दौरान हरीश रावत के अधिवक्ता ने कहा कि उनके द्वारा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है.
पूर्व में सीबीआई को निर्देश दिए थे कि रावत के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से पहले कोर्ट को अवगत कराया जाए. इसी कड़ी में बीती 21 अगस्त को सीबीआई की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया था कि सीबीआई हरीश रावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी कर रही है. सीबीआई ने पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया था कि हरीश रावत के खिलाफ प्रारंभिक जांच पूरी कर ली गई है और मुकदमा दर्ज करने की तैयारी है. उधर, हरीश रावत का कहना है कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सीबीआई पर दबाव बनाया जा रहा है.
गौर हो कि 2016 में एक निजी चैनल ने हरीश रावत का एक स्टिंग दिखाया था, जिसमें रावत सरकार बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त करते दिखाई दिए थे. विपक्ष ने इस प्रकरण को जोरदार ढंग से उठाया था और इस मामले में लगातार सरकार को घेरने की कोशिश की थी.
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मामला उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने के बाद हरीश रावत सरकार फिर से बहाल हो गई थी, लेकिन इस बीच रहे राष्ट्रपति शासन के दौरान तत्कालीन राज्यपाल की संस्तुति पर केंद्र ने स्टिंग मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने याचिका दायर कर कहा था कि 2017 में कांग्रेस की सरकार गिरने पर उनके स्टिंग और विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में प्रारंभिक जांच पर रोक लगाई जाए.