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हरीश रावत स्टिंग प्रकरण पर HC में हुई सुनवाई, जानिए कोर्ट ने क्या कहा

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Published : Jul 6, 2023, 7:14 PM IST

उत्तराखंड हाईकोर्ट में हरीश रावत स्टिंग मामले पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तिथि 27 जुलाई की नियत की है.

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नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने के मामले पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने गुरुवार को कोर्ट का समय कम रहते हुए अगली सुनवाई हेतु 27 जुलाई की तिथि नियत कर दी है.

मामले के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि उनके कार्यकाल के दौरान कुछ लोगों ने उनके ऊपर झूठे आरोप लगाए हैं. इस वजह से उनकी सरकार गिर गई थी. राज्य सरकार ने पूरे प्रकरण की जांच सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) से कराना चाही. राज्य सरकार ने सीबीआई से कहा कि इसकी पहले प्राथमिक जांच करें. तथ्य सही आने पर इन्हें गिरफ्तार करें. बाद में राज्य सरकार ने खुद अपना आदेश सीबीआई से वापस ले लिया.

हरीश रावत ने अपनी याचिका में कहा है कि जब राज्य सरकार ने सीबीआई से प्राथमिक जांच कराने का प्रार्थना पत्र वापस ले लिया है तो उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. जो केस स्टिंग प्रकरण से जुड़े हैं, उनका कोई महत्व नहीं रह जाता है. उन्हें बार-बार अभी भी परेशान किया जा रहा है. जबकि उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण में पहले से ही उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है.

ये भी पढ़ेंः स्टिंग ऑपरेशन केस: CBI कोर्ट में पेश हुए हरीश-हरक-उमेश, 15 जुलाई को अगली सुनवाई

ये है मामला: साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का कथित तौर पर कुछ विधायकों के खरीद फरोख्त का स्टिंग ऑपरेशन हुआ. स्टिंग में हरीश रावत कथित तौर पर विधायकों को कुछ लेने-देने की बात करते हुए नजर आए. ये बात भी सामने आई कि स्टिंग ऑपरेशन उत्तराखंड की खानपुर विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक और पूर्व पत्रकार उमेश कुमार ने किया था. इसके अलावा ये भी कहा गया कि स्टिंग कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट और हरक सिंह रावत भी शामिल थे.

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने के मामले पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने गुरुवार को कोर्ट का समय कम रहते हुए अगली सुनवाई हेतु 27 जुलाई की तिथि नियत कर दी है.

मामले के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि उनके कार्यकाल के दौरान कुछ लोगों ने उनके ऊपर झूठे आरोप लगाए हैं. इस वजह से उनकी सरकार गिर गई थी. राज्य सरकार ने पूरे प्रकरण की जांच सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) से कराना चाही. राज्य सरकार ने सीबीआई से कहा कि इसकी पहले प्राथमिक जांच करें. तथ्य सही आने पर इन्हें गिरफ्तार करें. बाद में राज्य सरकार ने खुद अपना आदेश सीबीआई से वापस ले लिया.

हरीश रावत ने अपनी याचिका में कहा है कि जब राज्य सरकार ने सीबीआई से प्राथमिक जांच कराने का प्रार्थना पत्र वापस ले लिया है तो उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. जो केस स्टिंग प्रकरण से जुड़े हैं, उनका कोई महत्व नहीं रह जाता है. उन्हें बार-बार अभी भी परेशान किया जा रहा है. जबकि उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण में पहले से ही उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है.

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ये है मामला: साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का कथित तौर पर कुछ विधायकों के खरीद फरोख्त का स्टिंग ऑपरेशन हुआ. स्टिंग में हरीश रावत कथित तौर पर विधायकों को कुछ लेने-देने की बात करते हुए नजर आए. ये बात भी सामने आई कि स्टिंग ऑपरेशन उत्तराखंड की खानपुर विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक और पूर्व पत्रकार उमेश कुमार ने किया था. इसके अलावा ये भी कहा गया कि स्टिंग कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट और हरक सिंह रावत भी शामिल थे.

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