रामनगर: पूर्व सीएम हरीश रावत आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा करने और पीड़ितों का हालचाल जानने रामनगर पहुंचे हैं. दरअसल, उत्तराखंड में संकट बनकर आई बारिश आपदा के निशान छोड़ चुकी है. दर्जनों जिंदगी लीलने के साथ लोगों को उम्र भर के जख्म भी दे दिए हैं. सड़क से लेकर घरों तक में लोग फंसे रहे और उनका आशियाना बिखरता चला गया.
एक तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार आपादा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत भी मैदान में कूद पड़े हैं. हरीश रावत रामनगर के चुकुम और मोहान में आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं और पीड़ितों का हालचाल जान रहे हैं. इस दौरान हरीश रावत ने आपदाग्रस्त क्षेत्र चुकुम गांव पहुंचकर आपदा प्रभावित लोगों से मुलाकात की व उनकी समस्याओं को सुना. सुंदरखाल एवं चुकुम गांव वासियों को हो रही परेशानी एवं विस्थापन के संबंध में वन मंत्री हरक सिंह रावत से बातचीत भी की. इस दौरान हरीश रावत और पीसीसी चीफ गणेश गोदियाल ने राफ्टिंग के जरिए कोसी नदी का जायजा भी लिया.
इस दौरान पीसीसी चीफ गणेश गोदियाल भी मौजूद रहें. गोदियाल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि अमरपुर मोहान रामनगर में आपदाग्रस्त क्षेत्रों में हुए नुकसान का जायजा लिया और आपदा प्रभावित लोगों से मिलकर राहत सामग्री उपलब्ध करवायी.
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इससे पहले अल्मोड़ा में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि 36 घंटे पहले चेतावनी के बाद भी सरकार पर आपदा प्रबंधन करने में पूरी तरह नाकाम रही. उन्होंने मुख्यमंत्री को बहोड़ यानि बछड़ा बताया और कहा कि उन्हें तो कुछ भी नहीं पता, जो जैसा कह रहा है वैसा कर रहे हैं. इसके साथ ही पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए.
उन्होंने कहा कि चेतावनी के बाद भी सरकार नहीं जागी और लोगों को अलर्ट तक नहीं किया गया. लगातार बारिश होती रही, उसके बाद भी आपदा का तंत्र सक्रिय नहीं हुआ. प्राकृतिक आपदा आ गई थी तो उसके बाद कम से कम राहत और बचाव कार्य में तेजी लाना चाहिए था. अभी तक सड़कें नहीं खुल पाई हैं और राहत कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं. अगर राज्य सरकार मौसम विज्ञानियों की चेतावनी को गंभीरता से लेता तो हादसों को रोका जा सकता था और नुकसान भी कम होता.