हरिद्वारः जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन के आखिरी दिन मौलाना अरशद मदनी ने ऐसा बयान दिया, जिससे संत समाज बिफर उठा है. मदनी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदुओं और मुसलमानों के पूर्वज एक जैसे हैं. जिस पर मदनी ने कहा कि तुम्हारे पूर्वज हिंदू नहीं, मनु थे यानी आदम. इस बयान के बाद संतों ने अब मदन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी दी है.
जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के बयान को लेकर मचे विवाद पर हरिद्वार के संतों और अखाड़ा परिषद में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने उन संतों को भी सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी भी दी है, जो दिल्ली में हुए उस कार्यक्रम में शालिम हुए थे. जिसमें अरशद मदनी ने विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने वाले संत दोबारा ऐसे किसी कार्यक्रम में शामिल हुए तो अखाड़ा परिषद उनका सामाजिक बहिष्कार करेगा.
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ऐसे बयानों पर सरकार ले कड़ा एक्शनः महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि अरशद मदनी को पुराणों और शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए. उन्होंने जो भगवान मनु पर जो विवादित बयान दिया है, उनको ऐसे बयानों से बचना चाहिए. उन्होंने सभी धर्मों के धर्मावलंबियों से अपील की है कि सभी बड़े संतों को ऐसे बयानों से बचना चाहिए. साथ ही कहा कि सरकार को भी ऐसे विवादित बयानों पर कड़ा एक्शन लेना चाहिए.
वहीं, बड़ा उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने मदनी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सनातन धर्म का इतिहास लाखों-करोड़ों वर्ष पुराना है, जबकि मुस्लिम धर्म 1400 साल पुराना है. हिंदू धर्म के मतानुसार धम्मा स्वस्तिक का संचालन करते हैं. इसीलिए इस्लामिक धर्मगुरु को ऐसे बेतुके बयान देकर हंसी का पात्र नहीं बनना चाहिए. शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने भी मदनी को आड़े हाथों लिया. साथ ही कहा कि अरशद मदनी जल्द माफी मांगे.
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