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हल्द्वानी का पोलिनेटर पार्क, तितलियों और पक्षियों की रंग-बिरंगी दुनिया - Forest Research Center Haldwani

हल्द्वानी का अनुसंधान केंद्र अपने कई उपलब्धियों के लिए जाना जाता है. यहां पर कई दुर्लभ वनस्पतियों के साथ-साथ जड़ी बूटियों का संरक्षण करने का भी काम किया जा रहा है. इसी के तहत अनुसंधान केंद्र में बनाए गए पोलिनेटर पार्क (परागणकर्ता पार्क) विकसित किया है, जहां परागण करने वाले जीव-जंतु, पक्षियों, तितली, कीट पतंगों का प्राकृतिक वास स्थल तैयार किया गया है.

pollinator park
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Published : Nov 15, 2021, 7:57 AM IST

हल्द्वानी: वन अनुसंधान केंद्र अपने कई उपलब्धियों के लिए जाना जाता है. हल्द्वानी का वन संधान केंद्र जैव विविधता के साथ-साथ विलुप्त प्रजातियों के पौधों और वनस्पतियों को संरक्षण के लिए भी काम करता है. इसी के तहत अनुसंधान केंद्र में बनाए गए पोलिनेटर पार्क (परागणकर्ता पार्क) विकसित किया है, जहां परागण करने वाले जीव-जंतु, पक्षियों, तितली और कीट पतंगों का प्राकृतिक वास स्थल तैयार किया गया है. जिसमें कई प्रकार के मधुमक्खियों, पक्षियों और कीट पतंगों की प्रजातियों देखने को मिल रही है.

बता दें कि, देश का पहला पोलिनेटर पार्क की स्थापना 29 दिसंबर 2020 को कि गई. जो अब पूर्ण रूप से विकसित हो चुका है. पार्क में करीब 40 से अधिक विभिन्न प्रजातियों की तितलियों के अलावा मधुमक्खियों और चिड़ियों का रैन बसेरा बन गया है. करीब 4 एकड़ वन भूमि पर बने पार्क ने इन दिनों खूबसूरत रूप ले लिया है और यहां पर तरह-तरह के जीव-जंतु, चिड़िया, तितलियां और कीट पतंग देखने को मिल रहे हैं, जो अपने परागण से इस पार्क को और विकसित कर रहे हैं. इन परागण करने वाले जीव के लिए अनुसंधान केंद्र द्वारा कई तरह के फूल, पौधे और पेड़ भी स्थापित किए गए हैं, जो परागण जीव जंतुओं का वास स्थल भी है. बता दें कि, पार्क में इस समय 40 से अधिक प्रजातियों के तितलियों के अलावा 15 से 20 प्रजाति कीट पतंगों भी शामिल है.

हल्द्वानी का पोलिनेटर पार्क

वन संधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि इस पार्क को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य परागण प्रजातियों का संरक्षण करना है. इन प्रजातियों के संरक्षण के महत्व के बारे में सामान्य रूप से लोगों में जागरूकता पैदा करना और परागण के विभिन्न पहलुओं पर शोध को बढ़ावा देना है. क्योंकि कीटनाशक रसायन और प्रदूषण के कारण कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है.

पढ़ें: उत्तराखंड में बिखरी पहाड़ की परंपरा और संस्कृति की छटा, जगह-जगह खेला गया भैलो

अनुसंधान केंद्र के वन आरक्षी प्रियंका बिष्ट ने बताया कि पार्क को बेहतर और खूबसूरत बनाने के लिए विभिन्न प्रजातियों के फूल पौधों और पेड़ों को लगाया गया है. यह राज्य के अनेकों हिस्सों से लाकर लगाए गए हैं. जिससे कि परागण कर्ता जीव जंतु परागण के माध्यम से इन लुप्त हो रहे पौधों और वनस्पतियों को और विकसित कर सकें.

हल्द्वानी: वन अनुसंधान केंद्र अपने कई उपलब्धियों के लिए जाना जाता है. हल्द्वानी का वन संधान केंद्र जैव विविधता के साथ-साथ विलुप्त प्रजातियों के पौधों और वनस्पतियों को संरक्षण के लिए भी काम करता है. इसी के तहत अनुसंधान केंद्र में बनाए गए पोलिनेटर पार्क (परागणकर्ता पार्क) विकसित किया है, जहां परागण करने वाले जीव-जंतु, पक्षियों, तितली और कीट पतंगों का प्राकृतिक वास स्थल तैयार किया गया है. जिसमें कई प्रकार के मधुमक्खियों, पक्षियों और कीट पतंगों की प्रजातियों देखने को मिल रही है.

बता दें कि, देश का पहला पोलिनेटर पार्क की स्थापना 29 दिसंबर 2020 को कि गई. जो अब पूर्ण रूप से विकसित हो चुका है. पार्क में करीब 40 से अधिक विभिन्न प्रजातियों की तितलियों के अलावा मधुमक्खियों और चिड़ियों का रैन बसेरा बन गया है. करीब 4 एकड़ वन भूमि पर बने पार्क ने इन दिनों खूबसूरत रूप ले लिया है और यहां पर तरह-तरह के जीव-जंतु, चिड़िया, तितलियां और कीट पतंग देखने को मिल रहे हैं, जो अपने परागण से इस पार्क को और विकसित कर रहे हैं. इन परागण करने वाले जीव के लिए अनुसंधान केंद्र द्वारा कई तरह के फूल, पौधे और पेड़ भी स्थापित किए गए हैं, जो परागण जीव जंतुओं का वास स्थल भी है. बता दें कि, पार्क में इस समय 40 से अधिक प्रजातियों के तितलियों के अलावा 15 से 20 प्रजाति कीट पतंगों भी शामिल है.

हल्द्वानी का पोलिनेटर पार्क

वन संधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि इस पार्क को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य परागण प्रजातियों का संरक्षण करना है. इन प्रजातियों के संरक्षण के महत्व के बारे में सामान्य रूप से लोगों में जागरूकता पैदा करना और परागण के विभिन्न पहलुओं पर शोध को बढ़ावा देना है. क्योंकि कीटनाशक रसायन और प्रदूषण के कारण कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है.

पढ़ें: उत्तराखंड में बिखरी पहाड़ की परंपरा और संस्कृति की छटा, जगह-जगह खेला गया भैलो

अनुसंधान केंद्र के वन आरक्षी प्रियंका बिष्ट ने बताया कि पार्क को बेहतर और खूबसूरत बनाने के लिए विभिन्न प्रजातियों के फूल पौधों और पेड़ों को लगाया गया है. यह राज्य के अनेकों हिस्सों से लाकर लगाए गए हैं. जिससे कि परागण कर्ता जीव जंतु परागण के माध्यम से इन लुप्त हो रहे पौधों और वनस्पतियों को और विकसित कर सकें.

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