हल्द्वानी: इस बार गर्मियों में हल्द्वानी को बड़े पेयजल संकट का सामान कर पड़ सकता है. लाखों की आबादी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस सकती है. क्योंकि पिछले सालों के मुकाबले इस साल गौला नदी के जलस्तर में भारी गिरावट देखी गई है, जिसका असर सीधे तौर पर हल्द्वानी की जनता पर पड़ेगा.
जानकारी के मुताबिक एक हफ्ते पहले गौला नदी के जल स्तर में सात क्यूसेक की कमी आई है. पिछले हफ्ते गौला नदी का जल स्तर 77 क्यूसेक था, लेकिन अब 70 क्यूसेक दर्ज किया गया है. पिछले साल से इसकी तुलना की जाएं तो इसी समय गौला का जल स्तर 250 क्यूसेक से ऊपर था, जो 70 क्यूसेक है. अब इस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गौला के जल स्तर में कितनी कमी आई है.
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हल्द्वानी पेयजल और सिंचाई के लिए पूरी तरह से गौला नदी पर निर्भर है. हल्द्वानी शहर को पेयजल आपूर्ति के लिए 30 क्यूसेक और सिंचाई के लिए 47 क्यूसेक पानी की रोजाना आवश्यकता पड़ती है. लिहाजा लगातार कम हो रहे जलस्तर को देख पेय जल संस्थान के अधिकारी भी चिंता में डूबे हुए हैं.
गौरतलब है कि हल्द्वानी शहर में पेयजल की किल्लत को देखते हुए कई साल पहले भीमताल से पानी यहां ढोकर लाया जाता था. इस बार भी कहीं ऐसी नौबत ना आए. अधिशासी अभियंता जल संस्थान संजय श्रीवास्तव का मानना है कि इस बार न तो पहाड़ों में बरसात हुई है और ना ही बर्फबारी. यही वजह है कि पहाड़ों के स्रोत से निकलकर गौला नदी में आने वाले पानी में भारी गिरावट दर्ज की गई है. जिसका सीधा असर इस बार हल्द्वानी शहर की लाखों की आबादी पर पड़ेगा.
उन्होंने बताया कि वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर शहर में लगे ट्यूबवेल के जलस्तर पर निगरानी बनाई जा रही है. अगर ट्यूबवेल का भी जल स्तर गिरता है तो ट्यूबवेलों में अतिरिक्त पाइप लाइन डालकर शहर की पेयजल व्यवस्था को दुरुस्त की जाएगी.
अधिकारी भी मौसम विभाग की सूचनाओं पर नजरें गड़ाए हुए हैं कि अगर इस बीच बरसात हुई तो नदी का जलस्तर बढ़ सकता है और पेयजल की दिक्कत कुछ हद तक सुधर सकती है, लेकिन बरसात नहीं हुई तो पेयजल संस्थान को वैकल्पिक व्यवस्था के लिए तैयार रहना होगा. मई और जून की भीषण गर्मी में हल्द्वानी शहर टैंकरों की आपूर्ति से भी पेयजल आपूर्ति पूरी नहीं कर पाता है. लिहाजा अधिकारियों को अभी से तैयारी करनी होगी, नहीं तो लोगों को बूंद- बूंद पानी के लिए तरसना पड़ सकता है.