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हल्द्वानी-काठगोदाम हाईवे निर्माणकार्य 8 साल से अधर में लटका, बरसात में साबित हो रहा जानलेवा

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Published : Jul 25, 2022, 2:56 PM IST

हल्द्वानी-काठगोदाम-लालकुआं हाईवे 8 साल से अधर में लटका है. हाईवे बनाने वाली दो कंपनियां डिफॉल्टर घोषित हो गई हैं. हाईवे पर जगह-जगह बारिश का पानी भरा हुआ है, जो राहगीरों के लिए जानलेवा बना हुआ है.

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हल्द्वानी: काठगोदाम-हल्द्वानी से लालकुआं के बीच बनने वाला हाईवे पिछले 8 सालों से अधर में लटका हुआ है. क्षतिग्रस्त हाईवे लोगों के लिए जानलेवा बन रहा है. जगह-जगह खोदे गड्ढे बरसात में लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं, जहां रोज हादसे हो रहे हैं. इन हादसों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है, तो कई लोग चोटिल भी हो रहे हैं. लेकिन प्रशासन और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इस हाईवे निर्माण में कोई तेजी नहीं ला रहा है.

दो कंपनियां डिफॉल्टर घोषित हो चुकी हैं: आलम यह है कि हाईवे को बनाने वाली दो कंपनियां डिफाल्टर घोषित हो गई हैं. उसके बावजूद भी हाईवे नहीं बन पाया. ऐसे में अब तीसरी कंपनी से हाईवे बनाने के लिए कार्रवाई चल रही है. बता दें, रुद्रपुर-लालकुआं-हल्द्वानी-काठगोदाम 45 किलोमीटर हाईवे का निर्माण होना है, जिसका पिछले 8 सालों से काम चल रहा है. रुद्रपुर से लालकुआं के बीच हाईवे का काम लगभग 70 फीसदी पूरा हो गया है. लेकिन लालकुआं से हल्द्वानी काठगोदाम के बीच बनने वाले हाईवे का काम मात्र 40 फीसदी ही हो पाया है.

हल्द्वानी-काठगोदाम हाईवे निर्माणकार्य 8 साल से अधर में लटका.

हाईवे निर्माण वाले गड्ढे बन रहे जानलेवा: कार्यदाई संस्था ने हाईवे निर्माण के लिए सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे खोदकर छोड़ दिये हैं, जिसके चलते आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं. आलम यह है कि गड्ढों में बारिश का पानी भर जाने से कई हादसे हो रहे हैं, जिसमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है. हाईवे बनाने वाली एक कंपनी पहले ही डिफॉल्टर घोषित हो चुकी है.

वहीं, दूसरी कंपनी जून माह में डिफॉल्टर हुई है, जिसके चलते हाईवे का निर्माण पूरी तरह से ठप हो गया है. जगह-जगह हाईवे पर निर्माण के लिए खोदे गए गड्ढे लोगों के लिए मुसीबत बन रहे हैं. हाईवे निर्माण के लिए ग्रामीण कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं. उसके बावजूद भी हाईवे का निर्माण नहीं हो पा रहा है. ऐसे में स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले पर्यटकों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है.
पढ़ें- टिहरी में भारी बारिश से दो मकान ढहे, दो मवेशी मलबे में दबे

उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला मुख्य हाईवे बरेली और रामपुर को जोड़ता है. यहां से बड़ी संख्या में पहाड़ों के लिए पर्यटक आते हैं, लेकिन बदहाल हाईवे पर्यटकों के लिए भी मुसीबत बन रहा है.

कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत का कहना है कि हाईवे निर्माण के लिए प्रशासन द्वारा लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. दो कंपनियां डिफॉल्टर हो चुकी हैं, तीसरी कंपनी से निर्माण के लिए हाईवे अथॉरिटी टेंडर प्रक्रिया फिर से शुरू करने जा रही है. टेंडर होते ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

हल्द्वानी: काठगोदाम-हल्द्वानी से लालकुआं के बीच बनने वाला हाईवे पिछले 8 सालों से अधर में लटका हुआ है. क्षतिग्रस्त हाईवे लोगों के लिए जानलेवा बन रहा है. जगह-जगह खोदे गड्ढे बरसात में लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं, जहां रोज हादसे हो रहे हैं. इन हादसों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है, तो कई लोग चोटिल भी हो रहे हैं. लेकिन प्रशासन और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इस हाईवे निर्माण में कोई तेजी नहीं ला रहा है.

दो कंपनियां डिफॉल्टर घोषित हो चुकी हैं: आलम यह है कि हाईवे को बनाने वाली दो कंपनियां डिफाल्टर घोषित हो गई हैं. उसके बावजूद भी हाईवे नहीं बन पाया. ऐसे में अब तीसरी कंपनी से हाईवे बनाने के लिए कार्रवाई चल रही है. बता दें, रुद्रपुर-लालकुआं-हल्द्वानी-काठगोदाम 45 किलोमीटर हाईवे का निर्माण होना है, जिसका पिछले 8 सालों से काम चल रहा है. रुद्रपुर से लालकुआं के बीच हाईवे का काम लगभग 70 फीसदी पूरा हो गया है. लेकिन लालकुआं से हल्द्वानी काठगोदाम के बीच बनने वाले हाईवे का काम मात्र 40 फीसदी ही हो पाया है.

हल्द्वानी-काठगोदाम हाईवे निर्माणकार्य 8 साल से अधर में लटका.

हाईवे निर्माण वाले गड्ढे बन रहे जानलेवा: कार्यदाई संस्था ने हाईवे निर्माण के लिए सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे खोदकर छोड़ दिये हैं, जिसके चलते आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं. आलम यह है कि गड्ढों में बारिश का पानी भर जाने से कई हादसे हो रहे हैं, जिसमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है. हाईवे बनाने वाली एक कंपनी पहले ही डिफॉल्टर घोषित हो चुकी है.

वहीं, दूसरी कंपनी जून माह में डिफॉल्टर हुई है, जिसके चलते हाईवे का निर्माण पूरी तरह से ठप हो गया है. जगह-जगह हाईवे पर निर्माण के लिए खोदे गए गड्ढे लोगों के लिए मुसीबत बन रहे हैं. हाईवे निर्माण के लिए ग्रामीण कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं. उसके बावजूद भी हाईवे का निर्माण नहीं हो पा रहा है. ऐसे में स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले पर्यटकों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है.
पढ़ें- टिहरी में भारी बारिश से दो मकान ढहे, दो मवेशी मलबे में दबे

उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला मुख्य हाईवे बरेली और रामपुर को जोड़ता है. यहां से बड़ी संख्या में पहाड़ों के लिए पर्यटक आते हैं, लेकिन बदहाल हाईवे पर्यटकों के लिए भी मुसीबत बन रहा है.

कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत का कहना है कि हाईवे निर्माण के लिए प्रशासन द्वारा लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. दो कंपनियां डिफॉल्टर हो चुकी हैं, तीसरी कंपनी से निर्माण के लिए हाईवे अथॉरिटी टेंडर प्रक्रिया फिर से शुरू करने जा रही है. टेंडर होते ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

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