हल्द्वानीः होली के कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में लोगों पर होली का खुमार चढ़ने लगा है, लेकिन लोग बाजारों में मिलने वाले रासायनिक रंगों से होली खेलने से बचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब आपको रासायनिक रंगों से होली खेलने की जरूरत नहीं है. रासायनिक रंगों के प्रभाव से कैसे बचें और होली भी कैसे बनाएं जिससे आपकी स्किन भी सुरक्षित रह सके इसको लेकर हल्द्वानी एक संस्था की महिलाएं अपने बूते आपको केमिकल रंगों से बचाने का काम कर रही हैं, देखिए खास रिपोर्ट
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गेंदे, गुलाब, पालक, हल्दी के जरिए हर्बल कलर बनाती ये महिलाएं हल्द्वानी के हरीनायकपुर गांव की हैं.इन महिलाओं के पास उत्तराखंड से ही नहीं बल्कि यूपी और दिल्ली, बैंगलुरु और विदेशों से भी हर्बल कलर की डिमांड है, जिसके चलते सभी महिलाएं करीब एक माह पहले से हर्बल कलर तैयार कर रही हैं.
इसके लिए फूलों, हल्दी, कपूर जैसे अन्य उत्पादों का कलेक्शन कर ये महिलाएं हर्बल कलर को तैयार कर डिमांड के अनुसार सप्लाई भी कर रही हैं. महिलाओं के मुताबिक यदि इस हर्बल कलर से होली खेली जाती है तो इस पर शरीर का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा. उनका कहना है कि लोगों मे कोरोना के प्रति व्याप्त भय की वजह से भी उन्हे इस साल अच्छा आंर्डर मिल रहा है. मु्श्किल है कि मौसम की मार के वजह से आर्डर पुरा करने में परेशानी हो रही है.
इन कलरफुल रंगों से खुशबू के साथ-साथ निखार भी आती है. प्राकृतिक रंग बनाने वाली महिलाएं यह काम स्वयं सहायता समूह के जरिए कर रही हैं, जिससे वह स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बन सकें.
महिला रंग बनाने से लेकर पैकिंग तक सारा काम खुद करती हैं, जिसमें अलग-अलग रंग और अलग-अलग साइज के पैकेट भी उपलब्ध हैं जो डिमांड के आधार पर बनाए गए हैं, जिसका लाभ सीधे इन महिलाओं के हाथ में जाता है.
समूह संचालिका तनुजा मेलकानी के मुताबिक हर्बल कलर के रेट बाजारों में बिकने वाले कलर के रेट के समान ही रखे गए हैं, जिससे लोग इसको ज्यादा से ज्यादा खरीद सकें. मेलकानी ने बताया कि उनके यहां 5 कलर में हर्बल रंग को तैयार किया गया है. ग्राहकों को ये रंग 100 ग्राम, 200 ग्राम, आधा किलो और 1 किलो की पैकिंग में उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि 100 ग्राम की पैकिंग की कीमत ₹20 जबकि 200 ग्राम पैकिंग कीमत ₹40 आधा किलो पैकिंग की कीमत ₹100, जबकि 1 किलो की पैकिंग ₹200 में हैं.
इस समूह के जरिए महिलाओं को सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है. होली के रंगों को बेहतर रूप देने वाली महिलाओं के मुताबिक वे हर्बल कलर बनाने का पिछले कई सालों से काम कर रही हैं.
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लिहाजा यह कोशिश रही है कि लोगों को हर्बल रंगों से रंगा जाए जिससे केमिकल प्रभाव से बचा जा सके. उनके मुताबिक इस काम के जरिए कुछ नया सीखने को मिलता है और आर्थिक मजबूती भी मिलती है. घर के काम के साथ-साथ पार्ट टाइम में यह काम कर कर काफी खुश भी हैं.
इन हर्बल रंगों के प्रयोग से होली के रंग में सरोबोर होने का मजा कुछ और ही है. उम्मीद की जानी चाहिए कि इन रंगों के माध्यम से होली के दौरान आप केमिकल रंगों के प्रयोग से बच सकेंगे और अपनी होली बेहद सुरक्षित और रंगीन मना सकेंगे.