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आज से शुरू हुई गुप्त नवरात्रि, 9 दिन ऐसे करें मां भगवती को प्रसन्न

30 जून यानी आज से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. मान्यता है कि इस दौरान जो भी सच्चे मन से मां भगवती की आराधना करेगा, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होंगी. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. इस नवरात्रि में 10 महाविद्याओं का पूजा करने का महत्व है, जिसमें साधना से तंत्र मंत्र की सिद्धि की प्राप्ति होती है.

Gupt Navratri 2022
गुप्त नवरात्रि की शुरुआत
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Published : Jun 30, 2022, 4:55 AM IST

हल्द्वानी: आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 30 जून दिन गुरुवार से प्रारंभ होकर 8 जुलाई को समापन होगा. गुप्त नवरात्रि में मां भगवती के सभी नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी. गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व तंत्र मंत्र और सिद्धि के लिए जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार एक वर्ष में कुल 4 नवरात्रि होती हैं. इसमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. जबकि गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और माघ माह में आती है.

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. इस नवरात्रि में 10 महाविद्याओं का पूजा करने का महत्व है. जिसमें साधना से तंत्र मंत्र की सिद्धि की प्राप्ति होती है. गुप्त नवरात्रि में मुख्य रूप से तांत्रिक पूजा की जाती है. इसमें मां भगवती की गुप्त रूप में पूजा की जाती है. जिससे कि सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो सके.

गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ

ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी ने कहा कि गुप्त नवरात्रि 30 जून को शुरू होगी और 8 जुलाई को इसका समापन होगा. 8 जुलाई को सुबह 5:26 से लेकर सुबह 7:00 बजे तक कलश स्थापन और पूजा पाठ का योग बन रहा है. आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि पर तंत्र मंत्र और सिद्धि साधना के लिए विशेष महत्व माना गया है.

गुप्त नवरात्रि में मां भगवती का आगमन ध्रुव योग. जबकि प्रस्थान शिव सिद्धि योग में होगा. शास्त्रों के अनुसार जो भी जातक गुप्त नवरात्रि में मां भगवती की साधना करते हैं, उन्हें सभी तरह के ग्रह दोष, सभी तरह के रोगों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है. सभी कार्यों में सफलता की प्राप्ति होती है.

ये भी पढ़ें: Chardham Yatra: साढ़े 24 लाख श्रद्धालुओं ने टेका मत्था, 203 यात्रियों की गई जान

ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी ने कहा कि ध्रुव योग से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत और शिव सिद्धि योग से मां भगवती का प्रस्थान का योग बन रहा है. ऐसे में यह संयोग बेहद ही लाभदायक है. इस बार नवरात्रि में गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जो बेहद ही शुभ संयोग हैं. इस नवरात्रि में जो भी जातक व्रत पूजा उपासना करेगा, उसका जीवन मंगलमय होगा और सभी तरह की बाधाएं दूर होंगी.

ज्योतिष अनुसार इन 9 दिनों में मां भगवती के नौ रूपों की पूजा की जाएगी. सुबह स्नान करने के बाद मां भगवती की विधि विधान से पूजा आराधना करें. मां भगवती की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्ज्वलित करें और मां भगवती के सप्तशती का पाठ करें. नाना प्रकार के फल फूल और जानकी भोग लगाने से मां दुर्गा और लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन संपदा की वृद्धि करेंगी. गुप्त नवरात्रि में मां भगवती की विधि विधान से आराधना करने से सभी तरह के सिद्धि योग की प्राप्ति होती है. रात्रि में मां भगवती की आराधना का विशेष महत्व होता है. मां भगवती के सभी नवार्ण मंत्र और मां भगवती की साधना जाप करने से सर्व सिद्धि की प्राप्ति होगी.

हल्द्वानी: आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 30 जून दिन गुरुवार से प्रारंभ होकर 8 जुलाई को समापन होगा. गुप्त नवरात्रि में मां भगवती के सभी नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी. गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व तंत्र मंत्र और सिद्धि के लिए जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार एक वर्ष में कुल 4 नवरात्रि होती हैं. इसमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. जबकि गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और माघ माह में आती है.

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. इस नवरात्रि में 10 महाविद्याओं का पूजा करने का महत्व है. जिसमें साधना से तंत्र मंत्र की सिद्धि की प्राप्ति होती है. गुप्त नवरात्रि में मुख्य रूप से तांत्रिक पूजा की जाती है. इसमें मां भगवती की गुप्त रूप में पूजा की जाती है. जिससे कि सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो सके.

गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ

ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी ने कहा कि गुप्त नवरात्रि 30 जून को शुरू होगी और 8 जुलाई को इसका समापन होगा. 8 जुलाई को सुबह 5:26 से लेकर सुबह 7:00 बजे तक कलश स्थापन और पूजा पाठ का योग बन रहा है. आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि पर तंत्र मंत्र और सिद्धि साधना के लिए विशेष महत्व माना गया है.

गुप्त नवरात्रि में मां भगवती का आगमन ध्रुव योग. जबकि प्रस्थान शिव सिद्धि योग में होगा. शास्त्रों के अनुसार जो भी जातक गुप्त नवरात्रि में मां भगवती की साधना करते हैं, उन्हें सभी तरह के ग्रह दोष, सभी तरह के रोगों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है. सभी कार्यों में सफलता की प्राप्ति होती है.

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ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी ने कहा कि ध्रुव योग से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत और शिव सिद्धि योग से मां भगवती का प्रस्थान का योग बन रहा है. ऐसे में यह संयोग बेहद ही लाभदायक है. इस बार नवरात्रि में गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जो बेहद ही शुभ संयोग हैं. इस नवरात्रि में जो भी जातक व्रत पूजा उपासना करेगा, उसका जीवन मंगलमय होगा और सभी तरह की बाधाएं दूर होंगी.

ज्योतिष अनुसार इन 9 दिनों में मां भगवती के नौ रूपों की पूजा की जाएगी. सुबह स्नान करने के बाद मां भगवती की विधि विधान से पूजा आराधना करें. मां भगवती की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्ज्वलित करें और मां भगवती के सप्तशती का पाठ करें. नाना प्रकार के फल फूल और जानकी भोग लगाने से मां दुर्गा और लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन संपदा की वृद्धि करेंगी. गुप्त नवरात्रि में मां भगवती की विधि विधान से आराधना करने से सभी तरह के सिद्धि योग की प्राप्ति होती है. रात्रि में मां भगवती की आराधना का विशेष महत्व होता है. मां भगवती के सभी नवार्ण मंत्र और मां भगवती की साधना जाप करने से सर्व सिद्धि की प्राप्ति होगी.

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