हल्द्वानीः पुलिस का सूचनातंत्र कहे जाने वाले ग्राम प्रहरी सरकार से खफा हैं. उत्तराखंड में ग्राम प्रहरी और ग्राम रक्षक अब सड़कों पर उतर गए हैं. ग्राम प्रहरियों का कहना है कि राजस्व पुलिस के अंतर्गत उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में तैनात किया जाता है. जहां वे जान जोखिम में डालकर रात दिन ड्यूटी करते हैं, लेकिन उन्हें मात्र 2 हजार रुपए का मानदेय दिया है. जो नाकाफी है. ऐसे में उन्हें भी होमगार्ड और पीआरडी जवानों के बराबर मानदेय दिया जाए.
उत्तराखंड ग्राम प्रहरी संगठन (Uttarakhand Gram Prahari Organization) से जुड़े ग्राम प्रहरियों ने आज मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर हल्द्वानी एसडीएम कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. साथ ही एसडीएम के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भी भेजा. ग्राम प्रहरियों का कहना है कि जो वेतनमान उन्हें दिया जा रहा है, उससे आजीविका चलाना मुश्किल है. ऐसे में उन्हें भी होमगार्ड या पीआरडी जवानों के बराबर मानदेय दिया जाए.
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ग्राम प्रहरी दया किशन पांडे (Gram Prahari Daya Kishan Pandey) ने बताया कि कुमाऊं और गढ़वाल में करीब 15 हजार ग्राम प्रहरी हैं. वो जान जोखिम में डालकर रात दिन ड्यूटी में तैनात रहते हैं. उनके मोबाइल फोन 24 घंटे ऑन रहते हैं, लेकिन उन्हें सरकार मानदेय के नाम पर केवल ₹2000 दे रही है. जो इस महंगाई के दौर में कुछ भी नहीं है. लिहाजा, ग्राम प्रहरियों के मानदेय में बढ़ोत्तरी (Gram Prahari Demand Increase of Honorarium) की जाए.
बता दें कि ग्राम प्रहरी ग्रामीण क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाते हैं. ग्राम प्रहरी अपने गांव से संबंधित सूचनाएं, आपराधिक घटनाओं या अन्य किसी भी प्रकार की सूचनाओं को पुलिस को देते हैं. ग्राम सभाओं में आपसी लड़ाई-झगड़े के कारण शांति व्यवस्था बिगड़ने पर राजस्व उप निरीक्षकों तक सूचना पहुंचाते हैं. इतना ही नहीं ग्रामीण स्तर पर होने वाले आपसी विवादों को सुलझाते हैं. इसके अलावा वाहन दुर्घटना के समय मौके पर पहुंचकर घायलों की मदद कर उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने और रेस्क्यू कार्यों में मदद करते हैं.