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हल्द्वानीः खनन में लगे मजदूरों का सरकार से सवाल, आखिर कब मिलेंगी सुविधाएं ?

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Published : Nov 23, 2019, 10:19 AM IST

Updated : Nov 23, 2019, 11:43 AM IST

गौला नदी में खनन शुरू होते ही मजदूरों की संख्या बढ़ गई है. वहीं वन निगम महकमा मजदूरों को मूलभूत सविधा तक नहीं दे पा रहा है.

गौला नदी.

हल्द्वानी: गौला नदी में खनन सत्र शुरू हो चुका है. खनन से सरकार को करोड़ों को राजस्व देने वाले गौला नदी के मजदूरों की संख्या बढ़ती जा रही है. लेकिन वन विकास निगम इन मजदूरों को कोई मूलभूत सुविधा तक उपलब्ध नहीं करा रहा है. यही नहीं मजदूर गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, जबकि विभाग की उदासीनता के चलते मजदूर खुले में शौच जा रहे हैं. सरकार इन मजदूरों के वेलफेयर सोसाइटी के नाम पर करोड़ों रुपए दबा कर बैठी है. लेकिन इन्हें सुविधा देने की जहमत तक नहीं उठा रही है, जो मजदूरों पर भारी पड़ रही है.

खनन में लगे मजदूरों का सरकार से सवाल.

दरअसल, कुमाऊं की लाइफलाइन कही जाने वाली गौला नदी में खनन शुरू हो गया है. बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के रहने वाले करीब 25000 मजदूर गौला नदी में होने वाले खनन काम से जुड़े हुए हैं. वन विकास निगम इन सभी मजदूरों को नदी में काम करने के लिए पंजीकरण कर वेलफेयर सोसाइटी भी बनाई है. जिससे नदी में काम करने वाले इन मजदूरों के स्वास्थ्य, पेयजल सुविधा, टूल्स किट्स, ठंड से बचने के लिए कंबल और जलौनी लकड़ी मजदूरों के बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था, जूते, गलप्स दिए जाते हैं.

पढ़ें-आयुष छात्रों का नहीं हुआ भला, निजी कॉलेजों का चल रहा मनमानी

लेकिन पिछले वर्षों से इन मजदूरों को सुविधा के नाम पर वन विकास निगम द्वारा कुछ भी नहीं दिया गया. वन विकास पिछले वर्ष भी इन मजदूरों को पंजीकरण के नाम पर 500 रुपये वसूले थे. लेकिन मजदूरों को सुविधाएं तो नहीं मिली उल्टा मेहनत की कमाई जरूर चली गई. बताया जा रहा है कि वेलफेयर सोसाइटी में मजदूरों के हित के करोड़ों रुपए डंप पड़े हुए हैं, लेकिन वन विकास निगम और सरकार वेलफेयर सोसाइटी के पैसे को खर्च करने की जहमत तक नहीं उठा पा रही है.

वहीं ठंड बढ़ने लगी है. लेकिन अभी तक वन विकास निगम और सरकार इन मजदूरों को कोई भी सुविधा नहीं उपलब्ध करा पाई है. ऐसे में मजदूर एक बार फिर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. यही नहीं विभाग की उदासीनता के चलते मजदूर स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लगा रहे हैं और मजबूरन खुले में शौच को विवश हैं. वहीं मजदूरों का कहना है कि वन विकास निगम उनको पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं करा रहा है मजबूरन उनको या तो गंदा पानी पीना पड़ता है या दूर से पानी ढोकर लाना पड़ता है.

वहीं जिलाधिकारी सविन बंसल का कहना है कि मजदूरों को मिलने वाली सुविधा के लिए वेलफेयर सोसाइटी बनाई गई है. अधिकारियों को निर्देशित किया जा चुका है कि हर हाल में नियमों का पालन किया जाए. साथ ही मजदूरों को हर सुविधा उपलब्ध कराई जाए, यदि निर्देश के बाद भी लापरवाही पाई गई तो सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

हल्द्वानी: गौला नदी में खनन सत्र शुरू हो चुका है. खनन से सरकार को करोड़ों को राजस्व देने वाले गौला नदी के मजदूरों की संख्या बढ़ती जा रही है. लेकिन वन विकास निगम इन मजदूरों को कोई मूलभूत सुविधा तक उपलब्ध नहीं करा रहा है. यही नहीं मजदूर गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, जबकि विभाग की उदासीनता के चलते मजदूर खुले में शौच जा रहे हैं. सरकार इन मजदूरों के वेलफेयर सोसाइटी के नाम पर करोड़ों रुपए दबा कर बैठी है. लेकिन इन्हें सुविधा देने की जहमत तक नहीं उठा रही है, जो मजदूरों पर भारी पड़ रही है.

खनन में लगे मजदूरों का सरकार से सवाल.

दरअसल, कुमाऊं की लाइफलाइन कही जाने वाली गौला नदी में खनन शुरू हो गया है. बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के रहने वाले करीब 25000 मजदूर गौला नदी में होने वाले खनन काम से जुड़े हुए हैं. वन विकास निगम इन सभी मजदूरों को नदी में काम करने के लिए पंजीकरण कर वेलफेयर सोसाइटी भी बनाई है. जिससे नदी में काम करने वाले इन मजदूरों के स्वास्थ्य, पेयजल सुविधा, टूल्स किट्स, ठंड से बचने के लिए कंबल और जलौनी लकड़ी मजदूरों के बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था, जूते, गलप्स दिए जाते हैं.

पढ़ें-आयुष छात्रों का नहीं हुआ भला, निजी कॉलेजों का चल रहा मनमानी

लेकिन पिछले वर्षों से इन मजदूरों को सुविधा के नाम पर वन विकास निगम द्वारा कुछ भी नहीं दिया गया. वन विकास पिछले वर्ष भी इन मजदूरों को पंजीकरण के नाम पर 500 रुपये वसूले थे. लेकिन मजदूरों को सुविधाएं तो नहीं मिली उल्टा मेहनत की कमाई जरूर चली गई. बताया जा रहा है कि वेलफेयर सोसाइटी में मजदूरों के हित के करोड़ों रुपए डंप पड़े हुए हैं, लेकिन वन विकास निगम और सरकार वेलफेयर सोसाइटी के पैसे को खर्च करने की जहमत तक नहीं उठा पा रही है.

वहीं ठंड बढ़ने लगी है. लेकिन अभी तक वन विकास निगम और सरकार इन मजदूरों को कोई भी सुविधा नहीं उपलब्ध करा पाई है. ऐसे में मजदूर एक बार फिर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. यही नहीं विभाग की उदासीनता के चलते मजदूर स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लगा रहे हैं और मजबूरन खुले में शौच को विवश हैं. वहीं मजदूरों का कहना है कि वन विकास निगम उनको पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं करा रहा है मजबूरन उनको या तो गंदा पानी पीना पड़ता है या दूर से पानी ढोकर लाना पड़ता है.

वहीं जिलाधिकारी सविन बंसल का कहना है कि मजदूरों को मिलने वाली सुविधा के लिए वेलफेयर सोसाइटी बनाई गई है. अधिकारियों को निर्देशित किया जा चुका है कि हर हाल में नियमों का पालन किया जाए. साथ ही मजदूरों को हर सुविधा उपलब्ध कराई जाए, यदि निर्देश के बाद भी लापरवाही पाई गई तो सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

Intro:sammry- सरकार को करोड़ों की राजस्व देने वाले गौला मज़दूरों को नहीं मिल रहा है मूलभूत सुविधाएं, गंदा पानी और खुले में शौच जाने को है मजबूर। (स्पेशल)

एंकर- खनन सत्र शुरू हो चुका है खनन से सरकार को करोड़ों को राजस्व देने वाले गोला नदी के मजदूर नदी में अपना खून पसीना बहाना शुरू कर दिया है ।लेकिन वन विकास निगम इन मजदूरों को कोई मूलभूत सुविधा तक उपलब्ध नहीं करा रहा है यही नहीं मजदूर गंदा पानी पीने को मजबूर हैं । जबकि विभाग की उदासीनता के चलते मजदूर खुले में शौच जाने को भी मजबूर हैं । सरकार इन मजदूरों के वेलफेयर सोसाइटी के नाम पर करोड़ों रुपए दबा कर बैठी है लेकिन इन मजदूरों को सुविधा देने को जहमत तक नहीं उठा रही हैं ।


Body:दरअसल कुमाऊ की लाइफलाइन कही जाने वाली गौला नदी मैं फिर से खनन शुरू हो गया है। बिहार ,झारखंड, उत्तर प्रदेश के रहने वाले करीब 25000 मजदूर गौला नदी में होने वाले खनन काम में जुड़े हुए हैं। वन विकास निगम इन सभी मजदूरों को नदी में काम करने के लिए पंजीकरण कर मजदूरों के लिए वेलफेयर सोसाइटी भी बनाई गई है जिससे नदी में काम करने वाले इन मजदूरों के स्वास्थ्य, पेयजल सुविधा, टूल किट्स ,ठंड से बचने के लिए कंबल और जलौनी लकड़ी मजदूरों के बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था, और जूते ,गलप्स दिए जाते हैं लेकिन पिछले वर्षो से इन मजदूरों को सुविधा के नाम पर वन विकास निगम द्वारा कुछ भी नहीं दिया गया। वन विकास पिछले वर्ष भी इन मजदूरों को पंजीकरण के नाम पर ₹500 वसूले थे लेकिन मजदूरों को सुविधाएं तो नहीं मिली उल्टा मेहनत की कमाई जरूर चली गई ।बताया जा रहा है कि वेलफेयर सोसाइटी में मजदूरों के हित के करोड़ों रुपए डंप पड़े हुए हैं लेकिन वन विकास निगम और सरकार वेलफेयर सोसाइटी के पैसे को खर्च करने की जहमत तक नहीं उठा पा रही है।

इस बार फिर नदी से खनन शुरू हो चुका है ठंड का मौसम भी शुरू हो गया है लेकिन अभी तक वन विकास निगम और सरकार इन मजदूरों को कोई भी सुविधा नहीं उपलब्ध करा पाया है। ऐसे में मजदूर एक बार फिर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। यही नहीं इस विभाग की उदासीनता के चलते मजदूर स्वच्छ भारत अभियान का पलीता लगा रहे है औऱ मजबूरन खुले में शौच को जाते हैं। यही नहीं मजदूरों का कहना है कि वन विकास निगम उनको पीने के पानी तक उपलब्ध नहीं करा रहा है मजबूरन उनको या तो गंदा पानी पीना पड़ता है या दूर दूर से पानी को ढोकर लाते हैं।

बाइट मजदूर
वाइट- मजदूर
बाइट- महिला मजदूर




Conclusion: जिलाधिकारी सविन बंसल का कहना है कि मजदूरों को मिलने वाले सुविधा के लिए वेलफेयर सोसाइटी बनाई गई है ।अधिकारियों को निर्देशित किया जा चुका है कि हर हाल में नियमों का पालन किया जाए और इन मजदूरों को सुविधा उपलब्ध कराई जाए विभाग अगर इस पर लापरवाही बढ़ती जाएगी तो उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बाइट -सविन बंसल जिलाधिकारी नैनीताल
Last Updated : Nov 23, 2019, 11:43 AM IST
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