हल्द्वानी: बे-मौसम दो बार धान का उत्पादन किए जाने को लेकर सरकार कड़ा कदम उठाने जा रही है. तराई क्षेत्रों में लगातार गिरते भूजल स्तर को देखते हुए जिला प्रशासन धान की दो बार की खेती पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है. हालांकि लगातार गिरता भूजल स्तर के पीछे कीटनाशकों का अधिक प्रयोग भी माना गया है.
संयुक्त कृषि निदेशक प्रदीप कुमार सिंह ने बताया क्षेत्र में करीब 40 हेक्टेयर हर साल बे-मौसम धान की खेती की जाती है. ऐसे में तराई क्षेत्र में लगातार भूजल स्तर गिर रहा है. यही नहीं दो बार धान उत्पादित होने के चलते कीटनाशकों का जीवन चक्र भी बढ़ रहा है. जिसके कारण सीजन में उत्पादित होने वाले धान पर भी इसका असर देखा जा सकता है.
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सीजन में उत्पादित होने वाले धान के खराब होने के आसार ज्यादा हो जाते हैं. जिसके लिए पेस्टीसाइड्स की जरूरत पड़ती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं. मामले में जिलाधिकारी ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है. प्रतिबंधन लगाने के मामले में शासन स्तर पर बातचीत हो रही है. जल्द ही इस पर प्रतिबंध लगाए जाने की उम्मीद है.