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हल्द्वानी​​​​​​​: बे-मौसम उत्पादित धान पर प्रतिबंध लगाएगी सरकार - प्रतिबंध

तराई क्षेत्रों में लगातार गिरते भूजल स्तर को लेकर सरकार बड़ा कदम उठाएगी. जिला प्रशासन ने गर्मी के मौसम में दो बार धान की खेती करने पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है.

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बे मौसम उत्पादित धान पर सरकार लगाएगी प्रतिबंध
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Published : Dec 24, 2019, 10:26 PM IST

Updated : Dec 24, 2019, 11:55 PM IST

हल्द्वानी: बे-मौसम दो बार धान का उत्पादन किए जाने को लेकर सरकार कड़ा कदम उठाने जा रही है. तराई क्षेत्रों में लगातार गिरते भूजल स्तर को देखते हुए जिला प्रशासन धान की दो बार की खेती पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है. हालांकि लगातार गिरता भूजल स्तर के पीछे कीटनाशकों का अधिक प्रयोग भी माना गया है.

बे-मौसम उत्पादित धान पर सरकार लगाएगी प्रतिबंध

संयुक्त कृषि निदेशक प्रदीप कुमार सिंह ने बताया क्षेत्र में करीब 40 हेक्टेयर हर साल बे-मौसम धान की खेती की जाती है. ऐसे में तराई क्षेत्र में लगातार भूजल स्तर गिर रहा है. यही नहीं दो बार धान उत्पादित होने के चलते कीटनाशकों का जीवन चक्र भी बढ़ रहा है. जिसके कारण सीजन में उत्पादित होने वाले धान पर भी इसका असर देखा जा सकता है.

पढ़ेंः देहरादून: अवैध खनन पर नकेल कसने के लिए DM ने लिया टेक्नोलॉजी का सहारा

सीजन में उत्पादित होने वाले धान के खराब होने के आसार ज्यादा हो जाते हैं. जिसके लिए पेस्टीसाइड्स की जरूरत पड़ती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं. मामले में जिलाधिकारी ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है. प्रतिबंधन लगाने के मामले में शासन स्तर पर बातचीत हो रही है. जल्द ही इस पर प्रतिबंध लगाए जाने की उम्मीद है.

हल्द्वानी: बे-मौसम दो बार धान का उत्पादन किए जाने को लेकर सरकार कड़ा कदम उठाने जा रही है. तराई क्षेत्रों में लगातार गिरते भूजल स्तर को देखते हुए जिला प्रशासन धान की दो बार की खेती पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है. हालांकि लगातार गिरता भूजल स्तर के पीछे कीटनाशकों का अधिक प्रयोग भी माना गया है.

बे-मौसम उत्पादित धान पर सरकार लगाएगी प्रतिबंध

संयुक्त कृषि निदेशक प्रदीप कुमार सिंह ने बताया क्षेत्र में करीब 40 हेक्टेयर हर साल बे-मौसम धान की खेती की जाती है. ऐसे में तराई क्षेत्र में लगातार भूजल स्तर गिर रहा है. यही नहीं दो बार धान उत्पादित होने के चलते कीटनाशकों का जीवन चक्र भी बढ़ रहा है. जिसके कारण सीजन में उत्पादित होने वाले धान पर भी इसका असर देखा जा सकता है.

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सीजन में उत्पादित होने वाले धान के खराब होने के आसार ज्यादा हो जाते हैं. जिसके लिए पेस्टीसाइड्स की जरूरत पड़ती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं. मामले में जिलाधिकारी ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है. प्रतिबंधन लगाने के मामले में शासन स्तर पर बातचीत हो रही है. जल्द ही इस पर प्रतिबंध लगाए जाने की उम्मीद है.

Intro:sammry- उधम सिंह नगर में उत्पादित बेमौसम धन पर सरकार लगाने जा रही है प्रतिबंध।

एंकर- तराई में गिरते भूजल और कीटनाशकों के जीवन चक्र को देखते हुए सरकार उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में उत्पादित बेमौसम धन पर सरकार जल्द प्रतिबंध लगाने जा रही है। इसको लेकर जिलाधिकारी और कृषि विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है।


Body:उत्तराखंड के प्रमुख कृषि उत्पादक क्षेत्र उधम सिंह नगर में बड़े किसानों द्वारा गर्मी के मौसम में दो बार धान का उत्पादन किया जाता है। ऐसे में तराई के क्षेत्रों मे लगातार गिरते भूजल स्तर और कीटनाशकों के जीवन चक्र बढ़ने के चलते सरकार बे मौसमी धान के उत्पादन पर जल्द प्रतिबंध लगाने जा रही है। संयुक्त कृषि निदेशक प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि उधम सिंह नगर में करीब 40 हेक्टेयर में हर साल में मौसमी धान की खेती की जाती है ऐसे में तराई के क्षेत्र में लगातार भूजल स्तर गिर रहा है। यही नहीं 2 बार धान उत्पादित होने के चलते हैं कीटनाशकों के जीवन चक्र भी बढ़ रहा है जिसके चलते सीजन में उत्पादित होने वाले धान पर इसका असर देखा जाता है और सीजन में उत्पादित होने वाले धाम खराब होने के कगार पर पहुंच जाते हैं ।जिसके लिए पेस्टीसाइड्सकी जरूरत पड़ती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।


Conclusion:उन्होंने बताया कि उधम सिंह नगर के जिलाधिकारी ने शासन को प्रस्ताव भेजा है और कृषि विभाग और शासन स्तर पर इसकी वार्ता की जा रही है और जल्द इस पर प्रतिबंध लगने की उम्मीद जताई जा रही है।

बाइट- प्रदीप कुमार सिंह संयुक्त निर्देशक कृषि विभाग कुमाऊं मंडल
Last Updated : Dec 24, 2019, 11:55 PM IST
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