देहरादून: उत्तराखंड में मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल गया है. 27 दिसंबर से ही प्रदेश के तमाम हिस्सों में भारी बारिश और बर्फबारी का सिलसिला जारी है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि अगर इस सीजन ठीक बर्फबारी होती है, तो ये बर्फबारी ग्लेशियर के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है, जबकि मौसम विभाग ने भी अगले कुछ दिनों तक प्रदेश में इसी तरह का मौसम रहने का अनुमान जताया है.
ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या: देश-दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. एक ओर ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बारिश का चक्र बदलता जा रहा है. वहीं, दूसरी ओर ग्लेशियर पिघलने से साथ-साथ बर्फबारी भी पहले से कम होती जा रही है. उत्तराखंड की मौजूदा स्थिति ये है कि कम बर्फबारी होने के चलते ग्लेशियर पीछे खिसकते जा रहे हैं. हालांकि, पिछले साल काफी अच्छी बर्फबारी हुई थी. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस सीजन भी काफी अच्छी बर्फबारी हो सकती है.
28 दिसंबर को बारिश और बर्फबारी की संभावना: मौसम विज्ञान केंद्र ने 27 और 28 दिसंबर को बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई थी, जिसका असर प्रदेश भर में देखने को मिला. 27 दिसंबर को प्रदेश के मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश का सिलसिला देखने को मिला है. वहीं, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी भी काफी अधिक हुई. प्रदेश के तमाम हिस्सों में हो रही भारी बर्फबारी के बावजूद वैज्ञानिक इसे ग्लेशियर के लिहाज से अच्छा संकेत नहीं बता रहे हैं, क्योंकि जब तक लगातार 8 से 10 दिनों तक भारी बर्फबारी नहीं होती है, तब तक ये ग्लेशियर के लिए बेहतर नहीं होगा.
फरवरी-मार्च 2024 में हुई थी अच्छी बर्फबारी: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के ग्लेशियोलॉजिस्ट डॉ. मनीष मेहता ने बताया कि प्रदेश में कभी दिसंबर-जनवरी तो कभी फरवरी-मार्च में बर्फबारी होती है, जबकि पिछले सीजन यानी फरवरी-मार्च 2024 में काफी अच्छी बर्फबारी हुई थी. हालांकि, बर्फबारी का एक पैटर्न है, जो हर सीजन देखने को मिलती है, लेकिन ग्लेशियर की हेल्थ के लिए बर्फबारी की मात्रा पर निर्भर करती है. उन्होंने कहा कि पहले 4 से 5 फीट तक बर्फ पड़ती थी, लेकिन अब कुछ इंच ही बर्फ पड़ती है. ऐसे में बर्फबारी की क्वांटिटी में काफी फर्क पड़ा है, जिससे ग्लेशियर पर कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा.
दो दिन की बर्फबारी से ग्लेशियर पर नहीं पड़ेगा फर्क: डॉ. मनीष मेहता ने बताया कि ग्लेशियर की सेहत के लिए एक या दो दिन की बर्फबारी से कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा. ग्लेशियर पर जब फर्क पड़ेगा, जब कम से कम 8 से 10 दिन तक लगातार बर्फबारी हो. तब जाकर कुछ अच्छा रिजल्ट देखने को मिलेगा, लेकिन एक दो दिन तक बर्फबारी होती है, तो वो पिघल जाता है. उन्होंने कहा कि जब 10 से 15 दिन के सर्कल में बर्फबारी होगी, तो उससे ग्लेशियर को फायदा मिलेगा और ग्लेशियर की हेल्थ बढ़ेगी.
बारिश और बर्फबारी की अच्छी एक्टिविटी देखने को मिलेगी: मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि 28 दिसंबर को प्रदेश भर में बारिश और बर्फबारी की अच्छी एक्टिविटी देखने को मिलेगी, जिसके तहत 2200 से 2500 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की और मध्यम बर्फबारी देखने को मिलेगी, जबकि देहरादून, उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ में 2500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले तमाम क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होगी, जिसको देखते हुए कोल्ड डे की वार्निंग दी गई है. लिहाजा, प्रदेश में खूबसूरत वादियों का दीदार करने आने वाले यात्रियों को सावधानियां बरतने और सड़कों से बर्फ हटाने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है.
ये भी पढ़ें-