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हल्द्वानी में गोवर्धन पूजा की धूम, गौ आश्रम में की गई पूजा-अर्चना - हल्द्वानी गौ सेवा आश्रम

हल्द्वानी के हल्दुचौड़ स्थित हरे कृष्णा हरे रामा गौ सेवा आश्रम में गोवर्धन पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. आश्रम में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया गया.

गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा
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Published : Nov 15, 2020, 3:57 PM IST

हल्द्वानी: दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दिन को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. गोवर्धन पूजा के मौके पर गोवंश की गोबर से पर्वत बनाया जाता है और गोवंश की पूजा करने का विशेष महत्व है. कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाए जाने वाली गोवर्धन पूजा सुख शांति का प्रतीक माना जाता है.

हल्द्वानी
गोवर्धन पूजा

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया था. इस मौके पर हल्द्वानी के हल्दुचौड़ स्थित हरे कृष्णा हरे रामा गौ सेवा आश्रम में गोवर्धन पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाया गया.

ये भी पढ़ें: छात्रवृत्ति घोटाले के बाद की सख्ती जरूरतमंदों पर पड़ी भारी, भौतिक सत्यापन न कराने के पक्ष में मंत्री

हरे कृष्णा हरे रामा गौ सेवा आश्रम में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया गया. साथ ही आश्रम में पल रही करीब 15 सौ से अधिक गोवंश की पूजा कर सुख शांति की कामना की गई. गौ सेवा आश्रम के महाराज रामेश्वर दास ने बताया कि आश्रम में करीब 15 सौ से अधिक गोवंश हैं, जिनको कृष्ण भक्ति के रूप में सेवा की जाती है. यहां सभी गायों को अच्छी तरह से देखभाल की जाती है. उन्होंने बताया कि मान्यता है कि गोवर्धन पूजा मे गोधन यानी गाय की विशेष पूजा का महत्व होती है. शास्त्रों के अनुसार गौमाता में 36 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है. साथ ही गाय को मां लक्ष्मी का भी स्वरूप माना जाता है. गाय की सेवा से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.

गोवर्धन पूजा

पौराणिक मान्यताओं अनुसार श्री कृष्ण ने भगवान इंद्र का घमंड को तोड़ा था. लगातार 7 दिनों तक हो रही बारिश से ब्रजवासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था और सातवें दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा था. तभी से भगवान कृष्ण ने इस दिन को अन्नकूतट उत्सव मनाने की आज्ञा दी थी, जिसके बाद से इस उत्सव को गोवर्धन पूजा और अन्नकूटके रूप में मनाया जाता है.

हल्द्वानी: दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दिन को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. गोवर्धन पूजा के मौके पर गोवंश की गोबर से पर्वत बनाया जाता है और गोवंश की पूजा करने का विशेष महत्व है. कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाए जाने वाली गोवर्धन पूजा सुख शांति का प्रतीक माना जाता है.

हल्द्वानी
गोवर्धन पूजा

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया था. इस मौके पर हल्द्वानी के हल्दुचौड़ स्थित हरे कृष्णा हरे रामा गौ सेवा आश्रम में गोवर्धन पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाया गया.

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हरे कृष्णा हरे रामा गौ सेवा आश्रम में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया गया. साथ ही आश्रम में पल रही करीब 15 सौ से अधिक गोवंश की पूजा कर सुख शांति की कामना की गई. गौ सेवा आश्रम के महाराज रामेश्वर दास ने बताया कि आश्रम में करीब 15 सौ से अधिक गोवंश हैं, जिनको कृष्ण भक्ति के रूप में सेवा की जाती है. यहां सभी गायों को अच्छी तरह से देखभाल की जाती है. उन्होंने बताया कि मान्यता है कि गोवर्धन पूजा मे गोधन यानी गाय की विशेष पूजा का महत्व होती है. शास्त्रों के अनुसार गौमाता में 36 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है. साथ ही गाय को मां लक्ष्मी का भी स्वरूप माना जाता है. गाय की सेवा से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.

गोवर्धन पूजा

पौराणिक मान्यताओं अनुसार श्री कृष्ण ने भगवान इंद्र का घमंड को तोड़ा था. लगातार 7 दिनों तक हो रही बारिश से ब्रजवासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था और सातवें दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा था. तभी से भगवान कृष्ण ने इस दिन को अन्नकूतट उत्सव मनाने की आज्ञा दी थी, जिसके बाद से इस उत्सव को गोवर्धन पूजा और अन्नकूटके रूप में मनाया जाता है.

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