देहरादून: खट्टी-मीठी यादों के साथ साल 2024 खत्म होने को है. कुछ ही दिनों में नए साल का आगमन होने वाला है. नए साल की शुरुआत से पहले गुजरते हुए साल के बीते पल रील्स की तरह आंखों के सामने से गुजर रहे हैं. आखिरी दिनों में हर कोई साल 2024 के गुणा-भाग और हासिल के जोड़ गणित में लगा है. इसी कड़ी में आज हम आपको उत्तराखंड के ऐसे कुछ खास चेहरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने साल 2024 में राजनीति तौर पर खबरों में छाए रहे. इन्हीं चेहरों के इर्द-गिर्द उत्तराखंड का घटनाक्रम घूमता रहा.
पुष्कर सिंह धामी: इन चेहरों में सबसे पहला नाम प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का है. पुष्कर सिंह धामी इस साल न केवल उत्तराखंड बल्कि देशभर में भी छाये रहे. उत्तराखंड में एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले लेने के साथ ही धामी ने प्रदेश में यूसीसी को लेकर कदम बढ़ाया, जिसको लेकर देशभर में उन्होंने सुर्खियां बटोरी. इसके बाद पुष्कर सिंह धामी ने लैंड जिहाद के लेकर एक्शन लिया. उनके इस एक्शन को भी देशव्यापी कवरेज मिली. इससे वो देशभर की खबरों के साथ ही सोशल मीडिया पर छा गए.
उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून को लेकर लिये गये फैसले से भी पुष्कर सिंह धामी ने खुद को मजबूत करने की कोशिश की. ये ही कारण रहा कि 2024 लोकसभा चुनाव में पुष्कर सिंह धामी बीजेपी के प्रमुख स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल रहे. सीएम धामी ने देश के कोने कोने में जाकर प्रचार किया. काम के अलावा सीएम धामी अपने स्वभाव को लेकर भी चर्चा में रहे हैं. वो शांत से मृदु स्वभाव के हैं. हर किसी से खुले दिल से बात करते हैं.
हरक सिंह रावत: साल 2024 के चर्चित चेहरों में दूसरे नंबर पर उत्तराखंड के फायर ब्रांड नेता हरक सिंह रावत है. हरक सिंह रावत भले ही 2022 के विधानसभा चुनाव से उत्तराखंड की पॉलिटिक्स से दूर हैं, मगर वो खबरों में इसके बाद भी बने रहते हैं. साल 2024 में हरक सिंह रावत के बयानों ने खूब सुर्खियां बटोरी. इन बयानों में कभी हरक सिंह रावत ने सत्ताधारी बीजेपी नेताओं को घेरा तो कभी अपने ही सीनियर नेताओं पर चुटकी ली. इसी साल एक बार तो ऐसा समय भी आया जब लगा कि हरक सिंह रावत फिर से बीजेपी में जा सकते हैं. इन सब अफवाहों को उनके करीबियों के कांग्रेस छोड़ने ने हवा दी. उनकी बहू के बीजेपी में शामिल होने के बाद हरक सिंह पर सबकी नजरें टिक गईं. इसे लेकर कुछ समय उहापोह की स्थिति बनी रही. आखिर में हरक सिंह रावत ने सामने आकर हरिद्वार के चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, तब जाकर इन खबरों पर विराम लगा.
इसके अवाला हरक सिंह रावत सीबीआई जांच, ईडी रेड के कारण भी चर्चाओं में रहे. इस साल में कई बार हरक सिंह रावत को सरकारी जांच एजेंसियों की पूछताछ से गुजरना पड़ा. जितनी बार वे इससे गुजरते वे खबरों में आ जाते. आखिर में वो केदारनाथ उपचुनाव को लेकर भी छाये रहे. उन्हें भी केदारनाथ उपचुनाव में कैंडिडेट का दावेदार माना जा रहा था. उनके बयान भी इसी ओर इशारा कर रहे थे. वो आये दिन बयान देकर सुर्खियां बटोर रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने मनोज रावत को केदारनाथ से कैंडिडेट बनाया. हरक सिंह रावत ने उनके लिए प्रचार किया. इस दौरान भी उनकी खूब चर्चा हुई.
हरीश रावत: इस कड़ी में कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत का आता है. हरीश रावत उत्तराखंड की राजनीति का ऐसा नाम है जिसे खुद को पॉलिटिक्स में पावरफुल कैसे रखना है वो अच्छे से आता है. हरीश रावत जब राजनीतिक रूप से एक्टिव होते हैं तो वो बीस होते हैं, मगर जब वो इससे डिएक्टिवेट होते हैं वो बाईस हो जाते हैं. ऐसा इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि इस दौरान हरीश रावत सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव होते हैं.
ऐसा कहना शायद अतिशयोक्ति न होगा कि हरीश रावत उत्तराखंड के ऐसे नेता हैं जिन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का बेहद अच्छे से इस्तेमाल किया है. इस साल भी उन्होंने ऐसा ही किया. साल भर हरीश रावत सोशल मीडिया के जरिये जनता तक पहुंचते रहे. कभी गाड़ गदेरों का बात को लेकर तो कभी पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद, कभी अपने तीखे व्यंग से हरीश रावत पैने तीर छोड़ते रहे.
इसके अलावा हरीश रावत पॉलिटिकल रूप से भी खासे चर्चाओं में रहे. लक्सर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर दर्ज हो रहे मुकदमों का हरीश रावत ने विरोध किया. वो यहां पहुंचे. इस दौरान हैंडपंप पर नहाने का उनका वीडियो वायरल हुआ. इसके अलावा प्रदेश के अलग-अलग मुद्दों तो लेकर हरदा का मौन उपवास भी खासा हिट रहा. लोकसभा चुनाव से पहले और लोकसभा चुनाव के दौरान अलग-अलग वजहों से चर्चाओं में रहे. लोकसभा चुनाव से पहले हरीश रावत टिकट की दौड़ को लेकर खबरों में रहे. इसके बाद उनके बेटे आनंद रावत को हरिद्वार से लोकसभा का टिकट मिला लेकिन बेटे से ज्यादा चर्चाओं मे हरीश रावत रहे. चुनाव प्रचार के दौरान हरीश रावत का अंदाज, उनके बयान खूब वायरल हुये.
महेंद्र भट्ट: हरीश रावत के बाद इस कड़ी में चौथा नाम बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का आता है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते आते दिन टीवी, अखबारों, विज्ञापनों के जरिये महेंद्र भट्ट घर घर पहुंचते रहे. इसके बाद महेंद्र भट्ट अपने बेबाक बयानों के कारण भी चर्चाओं में रहे. साल 2024 में महेंद्र भट्ट की सबसे अधिक चर्चा तब हुई जब बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए उन्हें उत्तराखंड से राज्यसभा भेजा. बड़ी बात ये रही कि महेंद्र भट्ट को राज्यसभा भेजने के बाद भी उन्हें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से नहीं हटाया गया. इसके बाद महेंद्र भट्ट बदरीनाथ उपचुनाव को लेकर भी खूब चर्चाओं में रहे. पहले बदरीनाथ के पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी के साथ उनकी अदावत, फिर भंडारी को अपनी ही पार्टी में शामिल करवाना, उसके बाद उन्हें जितवाने के लिए आंसू बहाना. ये सब वो घटनाक्रम रहा जिसने महेंद्र भट्ट को साल 2024 के चर्चित चेहरों में शामिल कर दिया.
गणेश गोदियाल: महेंद्र भट्ट के बाद इस कड़ी में पांचवां नाम कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल का आता है. गणेश गोदियाल लोकसभा चुनाव के दौरान खूब वायरल हुये. पौड़ी लोकसभा सीट से उनकी इलेक्शन बैटल चर्चाओं में रही. लोकसभा चुनाव के दौरान गणेश गोदियाल की रैलियां, उनके गढ़वाली में दिये भाषणों ने सीधा जनता से कनेक्ट किया. जिससे वो पौड़ी लोकसभा सीट पर मास लीडर बनकर उभरे. लोकसभा चुनाव 2024 में गणेश गोदियाल ने पूरा चुनाव अकेले दम पर लड़ा.
उन्होंने इस चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता, पीएम मोदी और अमित शाह के करीबी अनिल बलूनी को कड़ी टक्कर दी. इस लोकसभा चुनाव में गणेश गोदियाल ने किसी स्टार प्रचारक को नहीं बुलाया. गणेश गोदियाल ने जनता को ही स्टार प्रचारक बनाया. 2024 का लोकसभा चुनाव गणेश गोदियाल हार गये, मगर इसके बाद वो कांग्रेस के टॉप लीडर्स में शामिल हो गये हैं. उत्तराखंड में हरीश रावत, प्रीतम सिंह, हरक सिंह के बाद गणेश गोदियाल ही कांग्रेस के जनमान्य नेता हैं.
अनिल बलूनी: गणेश गोदियाल के बाद इस कड़ी में अगला नाम बीजेपी नेता अनिल बलूनी का आता है. अनिल बलूनी 2024 से पहले उत्तराखंड के राज्यसभा सांसद थे. साल 2024 में बीजेपी ने पौड़ी लोकसभा सीट से तीरथ सिंह रावत का टिकट काटा. उनकी जगह अनिल बलूनी को टिकट दिया. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अनिल बलूनी की पीएम मोदी और अमित शाह से उनकी करीबी चर्चाओं में रही. लोकसभा चुनाव के दौरान चर्चा तो यहां तक थी कि लोकसभा जीतने पर अनिल बलूनी को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. इस परसेप्शन ने भी अनिल बलूनी को जनता के बीच फेमस किया
अनिल बलूनी की पैराशूट लैंडिंग का मुद्दा भी काफी सुर्खियों में रहा. इसके साथ ही उनका दिल्ली में रहना भी विपक्ष के लिए हथियार बना. पूरे लोकसभा चुनाव में अनिल बलूनी सुर्खियों में रहे. जीतने के बाद केंद्र में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला. जिसके कारण बलूनी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का परसेप्शन टूटा. इसके बाद अनिल बलूनी ने काम के जरिये लोगों का दिल जीता. वे बदरीनाथ चुनाव में पार्टी का चेहरा बने. उन्होंने इस दौरान ग्राउंड पर काम किया. इसके साथ ही सांसद के तौर पर भी काम करते रहे. जिससे उनकी चर्चा होती रही.
बॉबी पंवार: पॉलिटिक्ल दिग्गजों के बाद इस लिस्ट में एक नौजवान का है. इस नौजवान का नाम बॉबी पंवार है. बॉबी पंवार साल 2024 में नौजवानों के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आये. बॉबी पंवार उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष है. बॉबी पंवार साल के शुरू से ही बेरोजगारों की आवाज उठाते हुए सुर्खियों में रहे. इस दौरान बॉबी पंवार को युवाओं के साथ जनता का भारी समर्थन मिला. इसके बाद बॉबी पंवार ने लोकसभा चुनाव में टिहरी लोकसभा सीट पर ताल ठोकी.
इस दौरान बॉबी पंवार का क्रेज इतना बढ़ गया कि जनता दोनों मुख्य राजनीतिक दलों से ज्यादा बॉबी पंवार को तवज्जो देने लगी. बॉबी पंवार क्षेत्रीय मीडिया से निकलकर राष्ट्रीय चैनलों की हेडलाइन बन गये. अपने चुनाव प्रचार के दौरान बॉबी पंवार ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया. ये मुद्दा युवाओं से जुड़ा था. इसके कारण बॉबी सीधे युवाओं के कनेक्ट हुए. इस चुनाव में भले ही बॉबी पंवार जीत नहीं सके, मगर उन्होंने आने वाले दिनों में यहां के लोगों को एक उम्मीद बंधा दी.लोकसभा चुनाव में छाने के बाद बॉबी ने और अधिक जोर शोर से युवाओं की आवाज उठानी शुरू की. उन्होंने इसके अलावा दूसरे मुद्दों पर भी मुखरता से बोलना शुरू किया. जिसके कारण वो साल 2024 में किसी न किसी कारण से खबरों में छाये रहे.
मोहित डिमरी: इस लिस्ट में एक नाम युवा मोहित डिमरी का है. रुद्रप्रयाग जिले से निकले एक पत्रकारिता के छात्र ने पहाड़ के हक हकूकों को लेकर उत्तराखंड की जनता को जगाने का प्रयास किया. मूल निवास 1950, सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर मोहित डिमरी ने अपनी टीम के साथ मिलकर एक बड़ा आंदोलन किया. उन्होंने इसके लिए मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति का गठन किया. इसके बाद प्रदेश में स्वाभिमान रैलियां निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं और महिलाओं की भागीदारी रही.
इन रैलियों के माध्यम से मोहित डिमरी और उनकी टीम ने मूल निवास 1950, सशक्त भू-कानून की मांग को जनता का मांग बना दिया. जिसका असर इसी साल के आखिर में देखने को मिला. इन युवाओं के आंदोलन का ही नतीजा था कि सीएम धामी को भू-कानून को लेकर एक्शन लेने पड़ा. उन्होंने साल 2025 में पहले विधानसभा सत्र में इसे लेकर सख्त कानून लाने की बात कही.