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हरे कृष्णा हरे रामा आश्रम में की गई गोवर्धन पर्वत की पूजा, भंडारा भी लगा

हल्दूचौड़ के हरे कृष्णा हरे रामा आश्रम में गाय के गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा की गई. इसके बाद आश्रम में रह रही गायों की भी पूजा की गई. इस दौरान विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया.

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हल्द्वानी
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Published : Nov 5, 2021, 4:10 PM IST

हल्द्वानीः दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा के मौके पर हल्द्वानी के हल्दूचौड़ के हरे कृष्णा हरे रामा आश्रम में गाय के गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाया गया. इसके बाद विधि-विधान के साथ गोवर्धन पर्वत का पूजा की गई. इस मौके पर हवन यज्ञ के साथ विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया.

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली से उठाया था. गोवर्धन पूजा के मौके पर हल्दूचौड़ के हरे कृष्णा हरे रामा आश्रम में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की. इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन यज्ञ का भी आयोजन किया गया.

हरे कृष्णा हरे रामा आश्रम के संस्थापक महाराज रामेश्वर दास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम के समर्पित गाय के गोबर से बने गोवर्धन पर्वत के माध्यम से गौ संरक्षण का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि आश्रम में 1500 से अधिक गौवंश हैं. उन्होंने बताया कि मान्यता है कि गोवर्धन पूजा में गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है.

ये भी पढ़ेंः गंगोत्री धाम के कपाट 6 माह के लिए बंद, तस्वीरों में करें मां गंगा के 'दर्शन'

शास्त्रों के मुताबिक गौ माता में 36 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है. गाय को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. गाय की सेवा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. पौराणिक मान्यता के मुताबिक श्रीकृष्ण भगवान ने इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था और भगवान इंद्र द्वारा की गई बारिश से ब्रज वासियों को बचाया था.

हल्द्वानीः दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा के मौके पर हल्द्वानी के हल्दूचौड़ के हरे कृष्णा हरे रामा आश्रम में गाय के गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाया गया. इसके बाद विधि-विधान के साथ गोवर्धन पर्वत का पूजा की गई. इस मौके पर हवन यज्ञ के साथ विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया.

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली से उठाया था. गोवर्धन पूजा के मौके पर हल्दूचौड़ के हरे कृष्णा हरे रामा आश्रम में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की. इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन यज्ञ का भी आयोजन किया गया.

हरे कृष्णा हरे रामा आश्रम के संस्थापक महाराज रामेश्वर दास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम के समर्पित गाय के गोबर से बने गोवर्धन पर्वत के माध्यम से गौ संरक्षण का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि आश्रम में 1500 से अधिक गौवंश हैं. उन्होंने बताया कि मान्यता है कि गोवर्धन पूजा में गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है.

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शास्त्रों के मुताबिक गौ माता में 36 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है. गाय को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. गाय की सेवा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. पौराणिक मान्यता के मुताबिक श्रीकृष्ण भगवान ने इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था और भगवान इंद्र द्वारा की गई बारिश से ब्रज वासियों को बचाया था.

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