हल्द्वानी: 30 मई मंगलवार को गंगा दशहरा मनाया जाएगा. जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इसी दिन भगीरथ की तपस्या के बाद मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था. गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान के बाद दान का विशेष महत्व होता है. इस दिन उपवास कर मां गंगा के साथ देवी नारायण, शिव, ब्रम्हा, सूर्य, राजा भगीरथ और हिमालय पर्वत का भी पूजन करने की परंपरा है.
गंगा दशहरा पर धरती पर अवतरित हुई थीं गंगा: शास्त्रों के अनुसार इस दिन मां गंगा जीवों और मनुष्य की कल्याण के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुई थी. राजा भगीरथ की कठिन तपस्या के बाद भगवान विष्णु के चरणों का अनुसरण करते हुए मां गंगा शिव की जटाओं से गंगोत्री से प्रकट हुई थी. तब से मां गंगा पूरे विश्व का कल्याण कर रही है.
गंगा दशहरा पर पूजन विधि: ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक गंगा दशहरा के दिन ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान करना विशेष पुण्यकारी होता है. इस दिन स्नान के साथ मां गंगा की बहती लहरों के बीच भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. ऐसा करने से आपको गंगा स्नान का विशेष लाभ प्राप्त होता है. गंगा स्नान के दौरान 'ऊँ नम: शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:' मंत्र का जाप करें. गंगा दशहरा के दिन स्नान करने के बाद पूजा पाठ करें. साथ ही जरूरतमंदों को दान दें. ऐसा करने से सभी तरह के कष्टों व पूर्वजों को मोक्ष और पितृदोष से मुक्ति मिलती है.
गंगा द्वार पत्र का महत्व: उत्तराखंड में यह परंपरा प्रमुख रूप से प्रचलित है कि गंगा दशहरा के पर्व पर घरों में गंगा दशहरा 'द्वार पत्र' लगाने को बहुत ही शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस द्वार पत्र को लगाने से घर में विनाशकारी शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं. वज्रपात, बिजली गिरने और आपदा जैसी घटनाओं से बचाव होता है. इसके साथ घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश को भी यह द्वार पत्र रोकता है तथा घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.
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गंगा दशहरा का मंत्र: ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक जो अनेकों प्रकार के पापों का हरण करे वह पर्व दशहरा नाम से जाना जाता है. गंगा दशहरा पर्व पर प्रत्येक घरों के द्वार पर दशहरा पत्र लगाया जाता है, जिसमें यह प्रसिद्ध पौराणिक मंत्र लिखा हुआ होता है. द्वार पत्र' का श्लोक इस तरह है-
ऊं अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायनमेव च।
जैमिनिश्च सुमन्तुश्च पंचैते वज्र वारका: ।।
मुने कल्याण मित्रस्य जैमिनेश्चानु कीर्तनात्।
विद्युदग्निभयंनास्ति लिखिते च गृहोदरे।।
यत्रानुपायी भगवान हृदयास्ते हरिरीश्वर:।
भंगो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा।।
ज्योतिष के अनुसार गंगा का उद्गम स्थान गंगोत्री है. इस दिन उत्तराखंड में घरों के दरवाजों पर दशहरा के द्वार पत्र लगाने की परंपरा है. इस पत्र को स्थापित करने के बाद दान देना शुभ माना गया है.