नैनीताल: आजादी के महानायक और दुनियाभर को अहिंसा की ताकत का अहसास कराने वाले बापू का नैनीताल से गहरा नाता है. जिसके बारे में शायद बहुत ही कम लोग जानते हैं. इस मंदिर की स्थापना खुद 1929 में गांधी जी ने की थी. आज ये गांधी मंदिर शासन-प्रशासन और सरकार की उपेक्षा के चलते खंडहर में तब्दील हो चुका है.
आज (2 अक्टूबर) पूरा देश धूमधाम से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा हैं, लेकिन नैनीताल में उनके द्वारा बसाया गया गांधी मंदिर बदहाल स्थिति में है. जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
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नैनीताल-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित छोटी सी घाटी में बना गांधी मंदिर उनके जन्म दिन के मौके रप वीरान पड़ा है. इस मंदिर नींव न सिर्फ गांधी जी ने रखी थी, बल्कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान उन्होंने यहां काफी वक्त भी बिताया था, लेकिन सरकारी सिस्टम की नाकामी कहे या फिर कुछ इस ऐतिहासिक जगह के बारे में कुछ ही लोग जानते है.
सरकार और सिस्टम ने जिस तरह गांधी मंदिर की उपेक्षा की है उससे स्थानीय लोगों काफी नाराज है. स्थानीय लोगों का मानना है कि इस स्थान को पर्यटन के क्षेत्र से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि लोग गांधी जी के व्यक्तित्व और इस ऐतिहासिक स्थान के बारे में जान सकें. स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि सरकार इस गांधी मंदिर को पर्यटक से जोड़ती है तो नैनीताल में एक नया ऐतिहासिक पर्यटन स्थल विकसित हो सकता है. जिससे स्थानीय युवाओं को रोजागार भी मिलेगा.
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गांधीजी के नजदीकी रहे नैनीताल के साह परिवार के सदस्य राजीव लोचन साह ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन उप प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से इस ऐतिहासिक धरोहर को संग्रहालय बनाने के साथ-साथ पर्यटन से जोड़ने की मांग की थी. उन्होंने आश्वासन भी दिया था कि जल्द ही इस क्षेत्र में काम किया जा सकेंगे, लेकिन आज तक कोई प्रयास नहीं किए गए. लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते आज ये ऐतिहासिक मंदिर विरान और खंडहर हो चुका है. इसे विडंबना नहीं तो और क्या है कि गांधी जयंती के मौके पर भी इस ऐतिहासिक स्थान पर सरकार और प्रशासन का कोई नुमाइंदा नहीं पहुंचा.