रामनगर: भाजपा के पूर्व विधायक शैलेंद्र मोहन सिंघल ने परिवहन निगम के रोडवेज बस स्टैंड के मामले में राजस्व अधिकारियों पर अधिकारियों को गुमराह करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि परिवहन निगम के अधिकारियों व तहसील के अधिकारियों ने बिना केस पढ़े और बिना दस्तावेज देखे ही रोडवेज बस स्टैंड की भूमी नापी है. जो शासनादेश जिस जमीन का है उस पर आज भी हाईकोर्ट का स्टे प्रभावी है.
बता दें कि, पूर्व विधायक शैलेंद्र मोहन सिंघल ने रोडवेज बस स्टैंड भूमि को लेकर राजस्व विभाग पर विभागीय अधिकारी व जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है. जिसको लेकर भाजपा के पूर्व विधायक शैलेंद्र मोहन सिंघल ने कहा कि 17 नवंबर 2014 को जसपुर में बस अड्डा बनाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा शिलान्यास किया गया था. इसका एक शासनादेश जारी हुआ था, जो खाता संख्या 101 नेशनल हाईवे के ऊपर स्थित है. उससे पूर्व में 2011 में कुछ अन्य नंबरों पर शासनादेश हुआ था. लेकिन वह जमीने पीछे गड्ढों में थी. जिस पर बस अड्डा नहीं बन सकता है. जिसके बाद नई भूमि की व्यवस्था की गई, जोकि आज रिकॉर्ड में सरकारी भूमि के नाम पर दर्ज है.
उस शासनादेश पर कुछ लोग हाईकोर्ट से स्टे ले आये थे, जो आज भी प्रभावी है. उन्होंने कहा कि तहसील प्रशासन ने जो 2 दिन पूर्व जमीन नापी वह पहले वाले शासनादेश के हिसाब से नापी 100 नंबर और 96 नंबर. वह निजी भूमि है. नापी गई जमीन नये शासनादेश पर आज भी प्रभावी है. उन्होंने कहा कि परिवहन निगम के अधिकारी व तहसील परिसर के अधिकारियों ने कोई भी बात गंभीरता से नहीं ली. इन्होंने न कोई केस स्टडी की और न ही दस्तावेज देखे. आनन-फानन में किसी दबाव में कहें या किसी तरीके से यह कार्य किया गया.
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उन्होंने कहा कि जो शासनादेश जिस जमीन का है, उस पर आज भी हाईकोर्ट का स्टे प्रभावी है. जिस जमीन पर तहसील ने कब्जा दिखाया है वह रोडवेज का कब्जा दिखाया गया है. जिस नंबर पर वह निजी भूमि के रूप में खतौनी में दर्ज है.