हल्द्वानी: उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र जैव विविधता के क्षेत्र में लगातार मुकाम हासिल कर रहा है. इसी के तहत हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र (Haldwani Forest Research Center) पहली बार उत्तराखंड की पहली जलीय पौधों की वाटिका (Uttarakhand first aquatic plant garden) तैयार कर रहा है. इसमें करीब 24 प्रजातियों के जलीय पुष्प पौधों को सुरक्षित करने का काम (protection of aquatic flowering plants) किया जा रहा है. इससे इन जलीय पौधों के अस्तित्व को बचाया जा सकेगा. इसके अलावा अनुसंधान केंद्र इन जलीय पुष्प पौधों को लोगों को उचित मूल्य पर उपलब्ध भी करा रहा है. इससे लोग इन पौधों को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं. अनुसंधान केंद्र में जलीय वाटिका पूरी तरह से विकसित हो गया है. इसमें तरह-तरह के फूल खिले हुए हैं जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है.
वन अनुसंधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट का कहना है कि उत्तराखंड में पहली जलीय वाटिका को तैयार किया गया है. इसमें करीब 24 प्रजातियों के जरिए पुष्प लगाए गए हैं. जिनको संरक्षित करने के साथ-साथ लोगों को देने का काम भी किया जा रहा है. इससे लोग इन जलीय पुष्प संरक्षित करने के साथ-साथ इनके विषय में जानकारी भी हासिल कर सकें. उन्होंने बताया कि करीब 8 अलग-अलग प्रकार के कमल के फूल के अलावा दुर्लभ और औषधीय गुणों से भरे जलीय पौधे लगाए गए हैं, जो जैव विविधता के लिए बेहतर संरक्षण है.
वाटिका में वाटर लिली, वाटर लेट्यूस, वाटर विस्टेरिया, नील कमल, लाल कमल, सफेद कमल सहित करीब 24 प्रजातियों के पौधे हैं. केंद्र के प्रभारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि जलीय पौधों को महाराष्ट्र के अलावा कई अन्य राज्यों से लाया गया है. इसमें बिहार के मुख्य रूप से मखाना का पौधा यूरेल फेरोक्स सलीब पौधा को भी लगाया गया है.