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Fire Season: जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग ने कसी कमर, 300 करोड़ की लकड़ियों को बचाना बड़ी चुनौती

उत्तराखंड में 15 फरवरी से 15 जून तक का समय फायर सीजन का कहलाता है. ऐसे में जंगलों की आग की घटनाएं सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. वन विभाग हर साल जंगलों को आग से बचाने का प्रयास करता है. हालांकि धरातल पर उसका काम ज्यादा दिखाई नहीं देता है. इस बार भी वनाग्नि की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए वन विभाग ने कमर कसी हैं.

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Published : Feb 22, 2023, 3:20 PM IST

हल्द्वानी: फायर सीजन शुरू होने के साथ ही वन विभाग और वन विकास निगम की चुनौतियां बढ़ गई है. तापमान बढ़ने के साथ ही जहां वन विभाग वनाग्नि की रोकने के जतन करने में जुटा है, वहीं वन विकास निगम करीब 300 करोड़ रुपए की बेशकीमती लकड़ियों को बचाने में जुटा है. उत्तराखंड में 15 फरवरी से 15 जून तक का समय फायर सीजन का कहलाता है. इस दौरान जंगलों की आग की घटनाएं सबसे ज्यादा देखने को मिलती है.

ऐसे में वन विकास निगम का प्रयास है कि लकड़ी डिपो को आग से बचाया जाए. क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम महेश चंद्र आर्य ने बताया कि फायर सीजन देखते हुए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. वन विकास निगम के अलग-अलग डिपो में करोड़ों रुपए की बेशकीमती लकड़िया पड़ी हुई है. लकड़ियों की आग से सुरक्षा के लिए अतिरिक्त हर कर्मचारियों की भी तैनाती की गई है, जिससे आग की घटनाओं को तुरंत रोका जा सके. इसके अलावा सभी अग्निशमन यंत्र को दुरुस्त कर मॉक ड्रिल पर कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है.
पढ़ें- Fire Season: 15 फरवरी से शुरू होगा फायर सीजन, वन विभाग ने तैयार किए क्रू स्टेशन

क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम महेश चंद्र आर्य ने बताया कि कुमाऊं मंडल के छह लकड़ी डिपो के अंतर्गत करीब 85 हजार घन मीटर से अधिक की लकड़ियां पड़ी हुई, जिसकी कीमत करीब 300 करोड़ से अधिक की बताई जा रही है, जिससे आग से बचाना विभाग के लिए चुनौती भी है. क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम का कहना है कि लकड़ियों को आग से बचाने के लिए जहां अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था है. इसके साथ ही लकड़ियों का इंश्योरेंस भी किया गया है जिससे कि आग लगने के दौरान होने वाली क्षति की भरपाई की जा सके. लकड़ी डिपो के अंतर्गत बेशकीमती लकड़ियां हैं, जिनकी सुरक्षा करना विभाग की पहली प्राथमिकता है.

वन विभाग ने भी कसी कमर: वहीं, फायर सीजन में जगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग ने कमर कस ली है. बढ़ते तापमान को देखते हुए वन विभाग कंट्रोल बर्निंग और फायर लाइन को साफ करने में जुटा है. सभी क्रू स्टेशन को अलर्ट कर दिया गया है और सभी कर्मचारियों को 24 घंटे आगजनी की घटनाओं पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं.
पढ़ें- गर्मी बढ़ने पर वन विभाग भूला आग बुझाने की 'कला', शोपीस बना कंट्रोल रूम

प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड धनंजय मोहन के मुताबिक उत्तराखंड में वन अधिकारियों और जनता के बीच जंगल में आग लगने को लेकर जन जागरूकता मीटिंग भी की जा रही है. वन विभाग की चिंता ये है कि इस बार गर्मी ने समय से पहले दश्तक दे दी है. तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है. इसीलिए विभाग ने सभी रेंज अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए है. जंगल में आग लगने की घटना सामने आने पर तुरंत एक्शन लेने को कहा गया है.

गौरतलब है कि फरवरी माह में ही तापमान में वृद्धि देखने को मिल रही है, जिसके चलते जंगलों के अलावा कई जगहों पर आग की घटनाएं भी अब धीरे-धीरे बढ़ रही है. हर साल आग से वन विभाग और वन विकास निगम को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में इस बार समय रहते वन विभाग और वन विकास निगम ने आग से बचाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी है.

हल्द्वानी: फायर सीजन शुरू होने के साथ ही वन विभाग और वन विकास निगम की चुनौतियां बढ़ गई है. तापमान बढ़ने के साथ ही जहां वन विभाग वनाग्नि की रोकने के जतन करने में जुटा है, वहीं वन विकास निगम करीब 300 करोड़ रुपए की बेशकीमती लकड़ियों को बचाने में जुटा है. उत्तराखंड में 15 फरवरी से 15 जून तक का समय फायर सीजन का कहलाता है. इस दौरान जंगलों की आग की घटनाएं सबसे ज्यादा देखने को मिलती है.

ऐसे में वन विकास निगम का प्रयास है कि लकड़ी डिपो को आग से बचाया जाए. क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम महेश चंद्र आर्य ने बताया कि फायर सीजन देखते हुए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. वन विकास निगम के अलग-अलग डिपो में करोड़ों रुपए की बेशकीमती लकड़िया पड़ी हुई है. लकड़ियों की आग से सुरक्षा के लिए अतिरिक्त हर कर्मचारियों की भी तैनाती की गई है, जिससे आग की घटनाओं को तुरंत रोका जा सके. इसके अलावा सभी अग्निशमन यंत्र को दुरुस्त कर मॉक ड्रिल पर कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है.
पढ़ें- Fire Season: 15 फरवरी से शुरू होगा फायर सीजन, वन विभाग ने तैयार किए क्रू स्टेशन

क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम महेश चंद्र आर्य ने बताया कि कुमाऊं मंडल के छह लकड़ी डिपो के अंतर्गत करीब 85 हजार घन मीटर से अधिक की लकड़ियां पड़ी हुई, जिसकी कीमत करीब 300 करोड़ से अधिक की बताई जा रही है, जिससे आग से बचाना विभाग के लिए चुनौती भी है. क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम का कहना है कि लकड़ियों को आग से बचाने के लिए जहां अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था है. इसके साथ ही लकड़ियों का इंश्योरेंस भी किया गया है जिससे कि आग लगने के दौरान होने वाली क्षति की भरपाई की जा सके. लकड़ी डिपो के अंतर्गत बेशकीमती लकड़ियां हैं, जिनकी सुरक्षा करना विभाग की पहली प्राथमिकता है.

वन विभाग ने भी कसी कमर: वहीं, फायर सीजन में जगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग ने कमर कस ली है. बढ़ते तापमान को देखते हुए वन विभाग कंट्रोल बर्निंग और फायर लाइन को साफ करने में जुटा है. सभी क्रू स्टेशन को अलर्ट कर दिया गया है और सभी कर्मचारियों को 24 घंटे आगजनी की घटनाओं पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं.
पढ़ें- गर्मी बढ़ने पर वन विभाग भूला आग बुझाने की 'कला', शोपीस बना कंट्रोल रूम

प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड धनंजय मोहन के मुताबिक उत्तराखंड में वन अधिकारियों और जनता के बीच जंगल में आग लगने को लेकर जन जागरूकता मीटिंग भी की जा रही है. वन विभाग की चिंता ये है कि इस बार गर्मी ने समय से पहले दश्तक दे दी है. तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है. इसीलिए विभाग ने सभी रेंज अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए है. जंगल में आग लगने की घटना सामने आने पर तुरंत एक्शन लेने को कहा गया है.

गौरतलब है कि फरवरी माह में ही तापमान में वृद्धि देखने को मिल रही है, जिसके चलते जंगलों के अलावा कई जगहों पर आग की घटनाएं भी अब धीरे-धीरे बढ़ रही है. हर साल आग से वन विभाग और वन विकास निगम को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में इस बार समय रहते वन विभाग और वन विकास निगम ने आग से बचाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी है.

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