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नैनीताल में खूबसूरत जंगल के बीच बने ये वाटरहोल बुझाएंगे जानवरों की प्यास, 200 से अधिक जलाशय तैयार - मानव वन्यजीव संघर्ष

इस बार पिछले सालों की अपेक्षा कम बारिश होने से जल स्रोतों का पानी सूखने लगा है. इससे निपटने के लिए वन विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं. विभाग ने जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के लिए जंगल में कई वाटरहोल बनाए हैं.

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Published : Mar 31, 2023, 7:49 AM IST

Updated : Mar 31, 2023, 9:16 AM IST

वाटरहोल बुझाएंगे जानवरों की प्यास

हल्द्वानी: मॉनसून सीजन में इस बार बरसात कम होने का असर आम आदमी के साथ-साथ जंगली जानवरों पर भी देखा जा रहा है. बढ़ती गर्मी से तापमान के साथ-साथ अब जंगल में बने जल स्रोत सूख रहे हैं. ऐसे में वन विभाग ने 200 से अधिक कच्चे व पक्के वाटरहोल तैयार किए हैं. इनसे जल संरक्षण के साथ-साथ जंगली जानवरों के प्यास बुझाई जा सकेगी. साथ ही वाटरहोल तैयार हो जाने से मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर भी लगाम लगेगी.

बारिश कम होने से सूखने लगे जल स्रोत: प्रभागीय वन अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि तराई पूर्वी वन प्रभाग की सीमा हल्द्वानी से लेकर नेपाल सीमा तक लगी हुई है. यहां के जंगल में बड़ी संख्या में जंगली जानवरों का वास स्थल स्थान है. ऐसे में जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के साथ-साथ जल संरक्षण के लिए 200 से अधिक वाटरहोल तैयार किए गए हैं. उन्होंने बताया कि इस मॉनसून सीजन में वर्षा बहुत कम हुई है. इसके चलते जंगलों के पोखर, नाले, चाल खाल, सूखने की कगार पर हैं. ऐसे में वन विभाग ने पहल करते हुए 200 से अधिक कच्चे पक्के वाटरहोल तैयार किए हैं, जिससे जंगली जानवरों को प्यास बुझाने के लिए जंगल से बाहर नहीं जाना पड़े. साथ ही वाटरहोल जल संरक्षण के क्षेत्र में भी कारगर साबित होंगे.

waterholes for wild animals
वन विभाग ने तैयार किए वाटरहोल
पढ़ें-'टाइगर ऑफ फ्रेश रिवर' को लेकर अच्छी खबर, महाशीर मछली के लिए कोसी बैराज और नैनीताल झील बनी जीवन दायिनी

मानव वन्यजीव संघर्ष पर लगेगी लगाम: उन्होंने बताया कि जंगल में बनने वाले वाटरहोल में बरसात के समय पानी इकट्ठा होगा. लेकिन गर्मी में पानी सूख जाने की स्थिति में उसमें टैंकरों के माध्यम से पानी भरने का काम किया जाएगा. वाटरहोल तैयार करने के दौरान वन्यजीवों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान दिया गया है. जिससे कि वाटरहोल में डूबने से किसी जंगली जानवरों को भी नुकसान ना पहुंचे. उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा देखा जाता है कि पानी की तलाश में जंगली जानवर जंगल में भटकता है, लेकिन उसको पानी नहीं मिलता है. ऐसे में वह आबादी की ओर रुख करते हैं. जहां मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी देखी जाती हैं. वाटरहोल तैयार हो जाने से मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर भी लगाम लगेगी. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के हिसाब से वाटरहोल तैयार किए गए हैं, जो कई योजनाओं के माध्यम से बनाई गई हैं.

वाटरहोल बुझाएंगे जानवरों की प्यास

हल्द्वानी: मॉनसून सीजन में इस बार बरसात कम होने का असर आम आदमी के साथ-साथ जंगली जानवरों पर भी देखा जा रहा है. बढ़ती गर्मी से तापमान के साथ-साथ अब जंगल में बने जल स्रोत सूख रहे हैं. ऐसे में वन विभाग ने 200 से अधिक कच्चे व पक्के वाटरहोल तैयार किए हैं. इनसे जल संरक्षण के साथ-साथ जंगली जानवरों के प्यास बुझाई जा सकेगी. साथ ही वाटरहोल तैयार हो जाने से मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर भी लगाम लगेगी.

बारिश कम होने से सूखने लगे जल स्रोत: प्रभागीय वन अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि तराई पूर्वी वन प्रभाग की सीमा हल्द्वानी से लेकर नेपाल सीमा तक लगी हुई है. यहां के जंगल में बड़ी संख्या में जंगली जानवरों का वास स्थल स्थान है. ऐसे में जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के साथ-साथ जल संरक्षण के लिए 200 से अधिक वाटरहोल तैयार किए गए हैं. उन्होंने बताया कि इस मॉनसून सीजन में वर्षा बहुत कम हुई है. इसके चलते जंगलों के पोखर, नाले, चाल खाल, सूखने की कगार पर हैं. ऐसे में वन विभाग ने पहल करते हुए 200 से अधिक कच्चे पक्के वाटरहोल तैयार किए हैं, जिससे जंगली जानवरों को प्यास बुझाने के लिए जंगल से बाहर नहीं जाना पड़े. साथ ही वाटरहोल जल संरक्षण के क्षेत्र में भी कारगर साबित होंगे.

waterholes for wild animals
वन विभाग ने तैयार किए वाटरहोल
पढ़ें-'टाइगर ऑफ फ्रेश रिवर' को लेकर अच्छी खबर, महाशीर मछली के लिए कोसी बैराज और नैनीताल झील बनी जीवन दायिनी

मानव वन्यजीव संघर्ष पर लगेगी लगाम: उन्होंने बताया कि जंगल में बनने वाले वाटरहोल में बरसात के समय पानी इकट्ठा होगा. लेकिन गर्मी में पानी सूख जाने की स्थिति में उसमें टैंकरों के माध्यम से पानी भरने का काम किया जाएगा. वाटरहोल तैयार करने के दौरान वन्यजीवों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान दिया गया है. जिससे कि वाटरहोल में डूबने से किसी जंगली जानवरों को भी नुकसान ना पहुंचे. उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा देखा जाता है कि पानी की तलाश में जंगली जानवर जंगल में भटकता है, लेकिन उसको पानी नहीं मिलता है. ऐसे में वह आबादी की ओर रुख करते हैं. जहां मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी देखी जाती हैं. वाटरहोल तैयार हो जाने से मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर भी लगाम लगेगी. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के हिसाब से वाटरहोल तैयार किए गए हैं, जो कई योजनाओं के माध्यम से बनाई गई हैं.

Last Updated : Mar 31, 2023, 9:16 AM IST
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