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तराई पूर्वी वन प्रभाग की कवायद, 572 हेक्टेयर भूमि पर तैयार कर रहा मिश्रित वन

तराई पूर्वी वन प्रभाग द्वारा वन्य जीवों के बेहतर प्रवास के लिए नैनीताल और उधम सिंह नगर जिले में मिश्रत जंगल तैयार किए जा रहे हैं. इसके लिए विभाग दोनों जनपदों की 572 हेक्टेयर भूमि पर विभिन्न प्रजाति के 5 लाख 825 पौधे रोपित कर रहा है.

तराई पूर्वी वन प्रभाग की कवायद
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Published : Jul 25, 2019, 1:11 PM IST

हल्द्वानी: मॉनसून सीजन में उत्तराखंड वन विभाग उधम सिंह नगर और नैनीताल जनपद में 572 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण कर रहा है. इस भूमि पर करीब 5 लाख 825 पौधे लगाए जाने हैं. वन्यजीवों के बेहतर वास स्थल के लिए मिश्रित वनों के पौधारोपण की प्रक्रिया दो तिहाई स्थल पर पूरी हो चुकी है. तराई केंद्रीय वन प्रभाग के 9 रेंज में अलग-अलग मिश्रित वन विकसित किए जा रहे हैं, जिसके लिए वन विभाग दिन-रात पौधारोपण में जुटा है.

नीतीश मणि त्रिपाठी, डीएफओ, तराई पूर्वी वन प्रभाग.

तराई पूर्वी वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी नीतीश मणि त्रिपाठी का कहना है कि मॉनसून सीजन में हर वर्ष पौधारोपण किया जाता है. इस बार भी अपनी उम्र पूरी कर चुके पौधों के प्लांटेशन के कटान के बाद खाली हुए जंगलों के प्लाटों में बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया जा रहा है. इस गतिविधि में नैनीताल जनपद में 110 हेक्टेयर भूमि पर 1 लाख 4 हजार 200 पौधे लगाए जा चुके हैं और ऊधम सिंह नगर जनपद में 371 हेक्टेयर जमीन पर पौधारोपण किया जा चुका है, जिसमें 3 लाख 38 हजार 910 पौधे लगाए जा चुके हैं.

पढ़ें- ऋषिकेश: हाईटेक सुविधाओं से लैस होगा नया झूला पुल, ये चीजें बनाएंगी खास

नीतीश मणि त्रिपाठी ने बताया कि पौधारोपण की जो कार्रवाई है वो अगले 15 से 20 दिन में पूरी हो जाएगी. इस प्रक्रिया में उधम सिंह नगर और नैनीताल जिले में तराई पूर्वी वन प्रभाग द्वारा लगाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा इस बार मिश्रित वनों व विशेष जोर दिया जा रहा है, क्योंकि जिस तरह लगातार आबादी की ओर आ रहे वन्य जीवों की घटनाओं को देखते हुए जंगलों में अब मिश्रित पेड़ लगाने की प्रक्रिया को तेज किया गया है.

हल्द्वानी: मॉनसून सीजन में उत्तराखंड वन विभाग उधम सिंह नगर और नैनीताल जनपद में 572 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण कर रहा है. इस भूमि पर करीब 5 लाख 825 पौधे लगाए जाने हैं. वन्यजीवों के बेहतर वास स्थल के लिए मिश्रित वनों के पौधारोपण की प्रक्रिया दो तिहाई स्थल पर पूरी हो चुकी है. तराई केंद्रीय वन प्रभाग के 9 रेंज में अलग-अलग मिश्रित वन विकसित किए जा रहे हैं, जिसके लिए वन विभाग दिन-रात पौधारोपण में जुटा है.

नीतीश मणि त्रिपाठी, डीएफओ, तराई पूर्वी वन प्रभाग.

तराई पूर्वी वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी नीतीश मणि त्रिपाठी का कहना है कि मॉनसून सीजन में हर वर्ष पौधारोपण किया जाता है. इस बार भी अपनी उम्र पूरी कर चुके पौधों के प्लांटेशन के कटान के बाद खाली हुए जंगलों के प्लाटों में बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया जा रहा है. इस गतिविधि में नैनीताल जनपद में 110 हेक्टेयर भूमि पर 1 लाख 4 हजार 200 पौधे लगाए जा चुके हैं और ऊधम सिंह नगर जनपद में 371 हेक्टेयर जमीन पर पौधारोपण किया जा चुका है, जिसमें 3 लाख 38 हजार 910 पौधे लगाए जा चुके हैं.

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नीतीश मणि त्रिपाठी ने बताया कि पौधारोपण की जो कार्रवाई है वो अगले 15 से 20 दिन में पूरी हो जाएगी. इस प्रक्रिया में उधम सिंह नगर और नैनीताल जिले में तराई पूर्वी वन प्रभाग द्वारा लगाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा इस बार मिश्रित वनों व विशेष जोर दिया जा रहा है, क्योंकि जिस तरह लगातार आबादी की ओर आ रहे वन्य जीवों की घटनाओं को देखते हुए जंगलों में अब मिश्रित पेड़ लगाने की प्रक्रिया को तेज किया गया है.

Intro:sammry- मिश्रित वनों से बनेगा वन्यजीवों के वास् स्थल। एंकर-मानसून सीजन में तराई केंद्रीय वन प्रभाग 178 हेक्टेयर में पौधारोपण और बुआई कर रहा है ।वन्यजीवों के बेहतर वास स्थल के लिए मिश्रित वनों के पौधारोपण की प्रक्रिया दो तिहाई स्थल पर पूरी हो चुकी है। तराई केंद्रीय वन प्रभाग के 9 रेंज में अलग अलग मिश्रित वन विकसित किए जा रहे हैं जिसके लिए वन विभाग दिन-रात पौधारोपण में जुटा हुआ है।


Body:तराई पूर्वी वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी नीतीश मणि त्रिपाठी का कहना है कि मानसून सीजन में हर वर्ष पौधारोपण व बुवाई की जाती है ।इस बार भी अपनी उम्र पूरी कर चुके पौधों के प्लांटेशन के कटान के बाद खाली हुए जंगलों के प्लाटों में बड़े पैमाने पर पौधारोपण और मिश्रित बीज बुवाई की जा रही है। 178 हेक्टेयर में हो रहे पौधारोपण में अब तक 110 हेक्टेयर में पौधारोपण किया जा चुका है जिसमें पांच लाख पौधे रोपे जाएंगे।


Conclusion:वन विभाग द्वारा इस बार मिश्रित वनों व विशेष जोर दिया जा रहा है क्योंकि जिस तरह लगातार आबादी की ओर आ रहे वन्य जीव की घटनाओं को देखते हुए जंगलों में अब मिश्रित पर लगाने की प्रक्रिया को तेज किया गया है ताकि वन्यजीवों को जंगल में ही भोजन और खाना पानी मिल सके और वह आबादी वाले इलाकों में ना आ पाए और उनको उनका प्राकृतिक वास स्थल भी मिले। बाइट-नीतीश मणि त्रिपाठी डीएफओ
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