हल्द्वानीः इन दिनों उत्तराखंड के जंगल धू-धू कर जल रहे हैं. कुमाऊं मंडल के जंगलों में भी आग धधक रही है. दावानल से बहुमूल्य वन संपदा जलकर राख हो रहे हैं. साथ ही वन्य जीवों पर भी संकट खड़ा हो गया है. वन महकमा लगातार बढ़ रही आग की घटनाओं को रोकने में बेबस और लाचार नजर आ रहा है. ऐसे में फायर सीजन की तैयारियों के तमाम दावे और वादे करने वाली वन विभाग की पोल खुल रही है. उधर, आग पर काबू पाने के लिए विभाग हाथ खड़े करता नजर आ रहा है. अब विभाग को बरसात का ही इंतजार है.
बता दें कि उत्तराखंड में अब तक 1623 स्थानों पर दावानल की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. आग लगने से 2131 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो चुके हैं. विभाग की मानें तो आग से 38 लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. अभी भी देवभूमि के जंगल सुलग रहे हैं. गढ़वाल मंडल ही नहीं कुमाऊं के जंगल भी आग की चपेट में है. विभाग प्रदेश में आग को बुझाने में पूरी तरह से नाकाम है. अब विभागीय अधिकारी बरसात का इंतजार कर रहे हैं.
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कुमाऊं के पिथौरागढ़ से लेकर उधमसिंह नगर तक करीब 14 वन प्रभाग हैं. जिसमें 750.948 हेक्टेयर जंगल हैं. इनदिनों सैकड़ों हेक्टेयर जंगलों में आग लगी हुई है. आग से निकलने वाले धुएं और गर्मी से ग्लोबल वार्मिंग पर भी काफी असर पड़ रहा है. वहीं, पारा चढ़ते ही वन विभाग जंगलों में लगने वाली आग की तैयारियों को लेकर कई दावे करता है. बकायदा इसके लिए वन महकमा कर्मियों को ट्रेनिंग भी देता है, बावजूद जंगल लगातार जल रहे हैं.