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सूखे की भेंट चढ़ने के कगार पर फसल, काश्तकारों को बारिश का इंतजार

हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में कई महीनों से बारिश नहीं होने के चलते गेहूं की फसल अब धीरे-धीरे सूखने के कगार पर है. गेहूं के पौधों पीले पड़ने शुरू हो चुके हैं.

haldwani farmers waiting for rain
काश्तकारों को बारिश का इंतजार.
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Published : Feb 7, 2021, 4:54 PM IST

हलद्वानी: बारिश नहीं होने के चलते शहर के गौलापार क्षेत्र के कई किसानों के गेहूं के फसल अब सूखने के कगार पर हैं. खेतों में खड़े गेहूं अब धीरे-धीरे पीले पड़ रहे हैं. अगर, जल्द बरसात नहीं हुई तो किसानों की गेहूं पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा. किसानों का कहना है कि उन्होंने महंगे बीज और खाद डालकर गेहूं की फसल तैयार की है लेकिन बारिश नहीं होने के चलते फसल अब बर्बादी की ओर है.

सूखे की भेंट चढ़ने के कगार पर फसल.

किसानों का कहना है कि उनके क्षेत्र में फसलों के सिंचाई का मुख्य साधन बारिश और सिंचाई गुल का पानी है, लेकिन गुल का पानी भी उनके खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है. किसानों का कहना है कि उनके खेतों तक पहुंचने वाले सिंचाई गुल जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. ऐसे में उनके खेतों तक गुल का पानी भी नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसे में अब अपने फसलों को बचाने का मात्र बारिश का सहारा ही बचा हुआ है.

यह भी पढे़ं-ग्लेशियर टूटने से हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर के निचले स्थानों पर अलर्ट जारी

किसानों का कहना है कि इस महंगाई के दौर में किसान अपना खून पसीने से फसल को तैयार कर रहा है, लेकिन मौसम के मार के चलते किसान समय-समय पर बर्बाद हो रहा है. सरकार की उदासीनता के चलते किसानों की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर हो रही है .

हलद्वानी: बारिश नहीं होने के चलते शहर के गौलापार क्षेत्र के कई किसानों के गेहूं के फसल अब सूखने के कगार पर हैं. खेतों में खड़े गेहूं अब धीरे-धीरे पीले पड़ रहे हैं. अगर, जल्द बरसात नहीं हुई तो किसानों की गेहूं पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा. किसानों का कहना है कि उन्होंने महंगे बीज और खाद डालकर गेहूं की फसल तैयार की है लेकिन बारिश नहीं होने के चलते फसल अब बर्बादी की ओर है.

सूखे की भेंट चढ़ने के कगार पर फसल.

किसानों का कहना है कि उनके क्षेत्र में फसलों के सिंचाई का मुख्य साधन बारिश और सिंचाई गुल का पानी है, लेकिन गुल का पानी भी उनके खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है. किसानों का कहना है कि उनके खेतों तक पहुंचने वाले सिंचाई गुल जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. ऐसे में उनके खेतों तक गुल का पानी भी नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसे में अब अपने फसलों को बचाने का मात्र बारिश का सहारा ही बचा हुआ है.

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