हल्द्वानी: बीते दिनों पहाड़ों और हल्द्वानी के आसपास हुई भारी बरसात का असर तराई के क्षेत्रों में देखा गया है. दरअसल, गौला नदी ने तबाही मचाते हुए किसानों के फसल और उपजाऊ जमीन को भारी नुकसान पहुंचाया है. ऐसे में किसानों ने सरकार और प्रशासन से मुआवजे की मांग की है. फिलहाल जिला प्रशासन वन भूमि का हवाला देते हुए मुआवजा देने से हाथ खड़े कर दिए हैं.
किसानों का कहना है कि नदी में आए भारी मात्रा पानी से उनके फसलों और जमीन को भारी नुकसान पहुंचा है. लालकुआं तहसील क्षेत्र के बिन्दुखत्ता, हाटा ग्राम और खुरियाखत्ता सहित कई ग्रामीण इलाकों में नदी से लगे किसानों के फसलों और उपजाऊ जमीनों को भारी नुकसान पहुंचा है. कई दर्जन किसानों के गन्ने और धान की फसल नदी में समा गई है. जिससे किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है.
उन्होंने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन से मुआवजे की मांग की जा रही है, लेकिन मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि नदी में तटबंध बनाने के लिए कई बार मांग भी कर चुके हैं. दो वर्ष पहले नदी में बहे तटबंध अभी तक नहीं बन पाए हैं. जिसका नतीजा है कि इस बार नदी ने फिर से ग्रामीणों को भारी नुकसान पहुंचा है.
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उप जिलाधिकारी हल्द्वानी मनीष कुमार का कहना है कि नदी से जिन क्षेत्र में भू-कटाव हुआ है. वह क्षेत्र वन भूमि अंतर्गत आता है, ऐसे किसानों को मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने बताया कि नदी से जंगल को भी नुकसान पहुंचा है, जहां भू कटाव से कई जगहों पर जंगल नदी में समा गया है. साथ ही कहा कि लालकुआं के बजरी कंपनी, राजीव नगर क्षेत्र में भी नुकसान पहुंचा है. नुकसान का आकलन तहसील स्तर पर कराए जा रहे हैं. किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए शासन स्तर से बात की जाएगी. जिसके बाद ही मुआवजे का प्रावधान हो सकेगा.
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