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संकट में पहाड़ का किसान, नहीं मिल रहा सब्सिडी युक्त आलू बीज

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Published : Nov 26, 2020, 1:44 PM IST

इस साल पहाड़ के आलू किसान बीज नहीं मिलने के कारण परेशान हैं. किसानों को हिमाचल का सब्सिडी युक्त बीज नहीं मिल रहा है. ऐसे में किसानों ने सरकार को चेताया है कि अगर समय से आलू का बीज नहीं मिला तो पहाड़ में आलू संकट खड़ा हो जाएगा.

Haldwani Potato Farmer
हल्द्वानी आलू किसान

हल्द्वानी: अन्य प्रदेशों में आलू का सीजन समाप्त होने के बाद पहाड़ के आलू की डिमांड पूरे देश में की जाती है. इसको लेकर पहाड़ के किसान दिसंबर से आलू लगाना शुरू कर देते हैं. लेकिन पहाड़ के किसानों को अभी तक हिमाचल का आलू बीज नहीं मिल पाया है. ऐसे में पहाड़ के किसान परेशान हैं. किसानों ने कहा है कि अगर सरकार ने जल्द ही आलू का बीज उपलब्ध नहीं कराया गया तो पहाड़ के किसानों के आगे संकट खड़ा हो जाएगा.

संकट में पहाड़ के आलू किसान.

गौर हो, कुमाऊं के रामगढ़, धारी, ओखलकांडा, नैनीताल सहित कई इलाकों में भारी मात्रा में आलू की खेती की जाती है. यहां के किसान आलू की खेती पर निर्भर हैं. ये लोग हर साल दिसंबर महीने से आलू लगाने का काम शुरू कर देते हैं. लेकिन किसानों को इस बार हिमाचल प्रदेश का बीज उपलब्ध नहीं होने से किसान चिंतित हैं. किसानों की मानें तो हॉर्टिकल्चर विभाग से उनको आलू का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन वह भी मुनस्यारी का, जिसकी क्वालिटी अच्छी नहीं है. ऐसे में किसानों ने सरकार से मांग की है कि हिमाचल के मनाली के आलू का बीज उनको सब्सिडी पर उपलब्ध कराया जाए. जिससे कुमाऊं के किसान आलू का उत्पादन कर अपनी आय को बढ़ा सकें.

पहाड़ के किसानों एक दौर था जब रामगढ़, मुक्तेश्वर, सूफी, धारी, सतबूंगा में सरकारी आलू बीज उत्पादन केंद्र से बीज लेकर जाते थे. लेकिन अब यह बीज फार्म भी बंद हो चुके हैं. काश्तकारों का कहना है कि उनकी डिमांड के अनुसार उनको अब बीज भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. सरकार द्वारा केवल 25, 30 कुंतल बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. जबकि उनके पास आलू के बीज की खपत डेढ़ सौ से 200 कुंतल तक होती है.

गौरतलब है कि कुमाऊं मंडल के आलू किसानों को हर साल बीज के लिए करीब 200 कुंतल से अधिक आलू की जरूरत पड़ती है, लेकिन सरकार द्वारा यहां के किसानों को 10 कुंतल आलू भी उपलब्ध नहीं कराया जाता है. ऐसे में किसान उच्च क्वालिटी के आलू का बीज नहीं लगा पाते हैं, जिससे वह आलू के फसल में पिछड़ रहे हैं.

कुमाऊं की सबसे बड़ी सब्जी मंडी हल्द्वानी के सब्जी फल एसोसिएशन के अध्यक्ष जीवन सिंह कार्की ने सरकार से मांग की है कि सरकार मंडी समिति के माध्यम से पहाड़ के किसानों को हिमाचल प्रदेश का बीज उपलब्ध कराए, जिससे कि यहां के किसानों की आमदनी में इजाफा हो सके और उत्तराखंड के आलू की पहचान अन्य प्रदेशों में हो सके.

पढ़ें- तट से टकराकर कमजोर पड़ा निवार, मौसम विभाग ने चेताया-खतरा अभी टला नहीं

किसानों का कहना है कि 3 साल पहले तक हिमाचल के आलू का बीज सरकार द्वारा 50 फीसदी सब्सिडी में उपलब्ध कराया जा रहा था, जिससे उनका उत्पादन अच्छा हो रहा था. लेकिन सरकार ने इसको बंद कर दिया है और अब हॉर्टिकल्चर विभाग के माध्यम से उत्तराखंड के मुनस्यारी का बीज दे रही है, जिसकी क्वालिटी ठीक नहीं है.

हल्द्वानी: अन्य प्रदेशों में आलू का सीजन समाप्त होने के बाद पहाड़ के आलू की डिमांड पूरे देश में की जाती है. इसको लेकर पहाड़ के किसान दिसंबर से आलू लगाना शुरू कर देते हैं. लेकिन पहाड़ के किसानों को अभी तक हिमाचल का आलू बीज नहीं मिल पाया है. ऐसे में पहाड़ के किसान परेशान हैं. किसानों ने कहा है कि अगर सरकार ने जल्द ही आलू का बीज उपलब्ध नहीं कराया गया तो पहाड़ के किसानों के आगे संकट खड़ा हो जाएगा.

संकट में पहाड़ के आलू किसान.

गौर हो, कुमाऊं के रामगढ़, धारी, ओखलकांडा, नैनीताल सहित कई इलाकों में भारी मात्रा में आलू की खेती की जाती है. यहां के किसान आलू की खेती पर निर्भर हैं. ये लोग हर साल दिसंबर महीने से आलू लगाने का काम शुरू कर देते हैं. लेकिन किसानों को इस बार हिमाचल प्रदेश का बीज उपलब्ध नहीं होने से किसान चिंतित हैं. किसानों की मानें तो हॉर्टिकल्चर विभाग से उनको आलू का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन वह भी मुनस्यारी का, जिसकी क्वालिटी अच्छी नहीं है. ऐसे में किसानों ने सरकार से मांग की है कि हिमाचल के मनाली के आलू का बीज उनको सब्सिडी पर उपलब्ध कराया जाए. जिससे कुमाऊं के किसान आलू का उत्पादन कर अपनी आय को बढ़ा सकें.

पहाड़ के किसानों एक दौर था जब रामगढ़, मुक्तेश्वर, सूफी, धारी, सतबूंगा में सरकारी आलू बीज उत्पादन केंद्र से बीज लेकर जाते थे. लेकिन अब यह बीज फार्म भी बंद हो चुके हैं. काश्तकारों का कहना है कि उनकी डिमांड के अनुसार उनको अब बीज भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. सरकार द्वारा केवल 25, 30 कुंतल बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. जबकि उनके पास आलू के बीज की खपत डेढ़ सौ से 200 कुंतल तक होती है.

गौरतलब है कि कुमाऊं मंडल के आलू किसानों को हर साल बीज के लिए करीब 200 कुंतल से अधिक आलू की जरूरत पड़ती है, लेकिन सरकार द्वारा यहां के किसानों को 10 कुंतल आलू भी उपलब्ध नहीं कराया जाता है. ऐसे में किसान उच्च क्वालिटी के आलू का बीज नहीं लगा पाते हैं, जिससे वह आलू के फसल में पिछड़ रहे हैं.

कुमाऊं की सबसे बड़ी सब्जी मंडी हल्द्वानी के सब्जी फल एसोसिएशन के अध्यक्ष जीवन सिंह कार्की ने सरकार से मांग की है कि सरकार मंडी समिति के माध्यम से पहाड़ के किसानों को हिमाचल प्रदेश का बीज उपलब्ध कराए, जिससे कि यहां के किसानों की आमदनी में इजाफा हो सके और उत्तराखंड के आलू की पहचान अन्य प्रदेशों में हो सके.

पढ़ें- तट से टकराकर कमजोर पड़ा निवार, मौसम विभाग ने चेताया-खतरा अभी टला नहीं

किसानों का कहना है कि 3 साल पहले तक हिमाचल के आलू का बीज सरकार द्वारा 50 फीसदी सब्सिडी में उपलब्ध कराया जा रहा था, जिससे उनका उत्पादन अच्छा हो रहा था. लेकिन सरकार ने इसको बंद कर दिया है और अब हॉर्टिकल्चर विभाग के माध्यम से उत्तराखंड के मुनस्यारी का बीज दे रही है, जिसकी क्वालिटी ठीक नहीं है.

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